Sengol Row: कांग्रेस ने सेंगोल से जुड़े तथ्यों को बताया झूठा, भाजपा बोली- राजदंड को बना दिया 'वाकिंग स्टिक'
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट कर सेंगोल के संबंध में कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं होने की बात कहते हुए सत्ता हस्तांतरण से इसके जुड़ाव के हाल में सामने आए तथ्यों को झूठा बताया जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीखा पलटवार किया।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 27 May 2023 12:42 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए संसद भवन और उसमें स्थापित किए जा रहे सेंगोल को लेकर राजनीतिक खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट कर सेंगोल के संबंध में कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं होने की बात कहते हुए सत्ता हस्तांतरण से इसके जुड़ाव के हाल में सामने आए तथ्यों को झूठा बताया, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीखा पलटवार किया।
रमेश ने ट्वीट में लिखा कि माउंटबेटन, राजाजी और पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा सेंगोल को ब्रिटिश राज से सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया से जोड़ने का कोई लिखित साक्ष्य नहीं है। इस पर शाह ने प्रश्न किया कि आखिर कांग्रेस को भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों है? वहीं, नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह का बहिष्कार कर रहे दलों को आड़े हाथों लेते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि राजनीति को देश से ऊपर रखने वाली इन पार्टियों को जनता फिर कड़ी सजा देगी।
कांग्रेस का राजनीतिक लाभ का आरोप
जयराम रमेश ने सेंगोल के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक होने पर उठाए गए सवालों से जुड़ी एक रिपोर्ट ट्विटर पर साझा की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ तमिलनाडु में उनका गुणगान करने वाले अपने राजनीतिक फायदे के लिए सेंगोल का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या यह कोई आश्चर्य है कि नई संसद को वाट्सएप यूनिवर्सिटी के झूठे आख्यानों से पवित्र किया जा रहा है? अधिकतम दावों, न्यूनतम साक्ष्यों के साथ भाजपा-आरएसएस के लोगों का फिर पर्दाफाश हो गया है।रमेश ने स्वीकार किया कि तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक प्रतिष्ठान द्वारा मद्रास शहर में तैयार राजसी राजदंड अगस्त 1947 में नेहरू को प्रस्तुत किया गया था, लेकिन सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में इसके वर्णन की कोई लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे दावे बोगस हैं और कुछ लोगों के दिमाग की उपज हैं। राजाजी से जुड़े दो विद्वानों ने इस दावे पर गंभीर संदेह जताया है। राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया था। 14 दिसंबर, 1947 को नेहरू ने वहां जो कहा, वह सार्वजनिक रिकार्ड है, चाहे लेबल कुछ भी कहे। असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन का उद्घाटन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
गृह मंत्री ने बताया मानसिक दीवालियापन
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट में कांग्रेस पर सेंगोल के अपमान का आरोप लगाते हुए इसे मानसिक दिवालियापन की पराकाष्ठा बताया। कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय महत्व और स्वतंत्रता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य की अनदेखी और अपमान का घोर पाप किया है। भारत की महान विरासत और परंपराओं की गहरी समझ रखने वाला व्यक्ति ही सुनिश्चित कर सकता था कि इस तरह की महत्वपूर्ण घटना को इतिहास में उचित स्थान दिया जाए, जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। उन्होंने स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर 1947 में देश के प्रथम पीएम को सौंपे गए सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में रखने का निर्णय लिया है, जो अत्यंत प्रशंसनीय है।शाह ने आगे लिखा कि कांग्रेस ने एक और शर्मनाक काम किया है। शैव मत के पवित्र मठ थिरुवदुथुराई आदिनम ने स्वतंत्रता के वक्त सेंगोल के महत्व के बारे में बताया था। कांग्रेस अब मठ के इतिहास को ही फर्जी बता रही है। स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को पवित्र सेंगोल दिया गया था, लेकिन इसे 'वाकिंग स्टिक' के रूप में संग्रहालय भेज दिया गया।