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Exclusive: 'सिर्फ सीमा सुरक्षा से घुसपैठ नहीं रुकेगी', गृह मंत्री अमित शाह से खास बातचीत; कहा- राहुल गांधी एक्सपोज हो चुके

Amit Shah Exclusive पिछले महीने आए हरियाणा के नतीजे ने राष्ट्रीय राजनीति में फिर से उस विमर्श को तेज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति में सबकुछ मुमकिन है। शाह ने धर्मांतरण सीमा पर घुसपैठ आदिवासियों के मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को आड़े हाथों लिया।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 16 Nov 2024 09:16 PM (IST)
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से खास बातचीत। ( फाइल फोटो)
जागरण, रांची। पिछले महीने आए हरियाणा के नतीजे ने राष्ट्रीय राजनीति में फिर से उस विमर्श को तेज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति में सबकुछ मुमकिन है। झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चार दर्जन से ज्यादा रैलियां व बैठकें कर चुके शाह का मानना है कि भ्रम फैलाकर कुछ राजनीतिक दल क्षणिक लाभ तो पा सकते हैं लेकिन विकास के लिए भाजपा की कटिबद्धता और विश्वसनीयता का तोड़ नहीं है। इसी विश्वसनीयता के कारण भाजपा गठबंधन इन दोनों राज्यों में भी बड़े बहुमत की सरकार बनाएगा।

शाह ने बताया कि किस तरह संविधान बचाने के फर्जी दावे को लेकर राहुल गांधी जनता के बीच एक्सपोज हो चुके हैं। कुछ महीनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाले चुनाव में भी वह आम आदमी पार्टी सरकार का जाना तय मान रहे हैं। दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा, रांची के संपादकीय प्रभारी शशि शेखर व वरिष्ठ संवाददाता दिब्यांशु से अमित शाह ने वर्तमान चुनाव व देश की समस्याओं पर लंबी चर्चा की। पेश है बातचीत के अंश-

सवाल:  लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव भी भाजपा के लिए उतना ही कठिन माना जा रहा है जितना हरियाणा। हरियाणा में तो आपने अप्रत्याशित कर दिखाया। क्या लहर वापस आ गई है?

जवाब: हरियाणा में हमने कोई अप्रत्याशित काम नहीं किया, जो किया है हरियाणा की जनता ने किया है। हरियाणा की जनता ने विकास के नाम पर मुख्यमंत्री चुनने का फैसला किया। लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस और उनके साथियों ने जो भ्रम फैलाने का काम किया था वह बादल छंट गया है। झारखंड में लोकसभा चुनाव परिणाम को ही विधानसभा के हिसाब से रखकर देखें तो हमारा यहां बहुमत तब भी था। इसके बाद राहुल गांधी ने जो कोरा संविधान जनता के बीच बांटा है, इससे इनकी संविधान वाली बात जनता के सामने उजागर हुई कि यह आदमी असली संविधान की प्रति भी नहीं हासिल कर सकता है। वो पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं। इन लोगों की जो नीति है उसके कारण झारखंड में ट्राइबल और ओबीसी अल्पसंख्यक हो जाएंगे यह सबको डरा रहा है।

सवाल: झारखंड में पहले चरण का मतदान हो चुका है। कितनी सीटों का अनुमान है आपका। मुख्यमंत्री का फैसला कितनी जल्दी हो जाएगा?

जवाब: इस बार भारतीय जनता पार्टी झारखंड में 50 से अधिक सीटों के साथ सरकार बनाएगी। अबतक की सबसे ज्यादा सीटों की सरकार हम झारखंड में बनाएंगे। और महाराष्ट्र में भी सरकार बनाएंगे। हम चुनाव के बाद बैठकर मुख्यमंत्री का फैसला कर लेंगे। यही काम महाराष्ट्र में भी होगा। हमने बहुत अच्छी सरकार दी है। नतीजों के बाद महायुति के दल बैठेंगे और फैसला करेंगे। अघाड़ी के दलों जैसा सिर फुटौव्वल हमारे यहां नही हैं।

सवाल: दूसरे चरण में संताल परगना में चुनाव होने जा रहा है। वहां आदिवासी मतदाताओं की भूमिका अहम है। पिछली बार झामुमो ने 28 आरक्षित सीटों में से 26 पर जीत हासिल की थी। क्या इस बार भाजपा आदिवासियों के बीच भरोसा कायम कर पाएगी?

जवाब: आदिवासी कल्याण के लिए भाजपा की केंद्र सरकार ने बहुत काम किया है। मैं राहुल गांधी और हेमंत सोरेन से पूछना चाहता हूं कि आपकी सरकार के 2013-2014 वाले वित्त वर्ष में आदिवासियों के कल्याण के लिए कितना बजट था। उस समय 28 हजार 600 करोड़ की राशि उन्होंने दी थी। हमारा 2023-24 का जो बजट है उसमें आदिवासियों के लिए 1 लाख 30 हजार करोड़ का प्रविधान है। हम आदिवासियों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड की स्कीम लेकर आए। इससे 97 हजार करोड़ रुपया मिला है।

700 एकलव्य स्कूल हमने स्वीकृत किए हैं। आदिवासियों के गांव के विकास के लिए 65 हजार करोड़ की राशि हमने दी है। पहली बार आदिवासी को देश का राष्ट्रपति बनाया है। 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आदिवासी गौरव दिवस बनाने का निर्णय किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी बन रही है जो पूरे वर्ष को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाएगी।

हेमंत सोरेन ने आदिवासियों का वोट लेने के अलावा और क्या किया है, उसका हिसाब उनको देना है। हेमंत सोरेन के राज में आदिवासी समुदाय की आबादी 38 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत हो गई। वन अधिकार अधिनियम को लागू करने में झारखंड पीछे क्यों है। कम्युनिटी फॉरेस्ट राइट के 44 प्रतिशत दावे सब डिविजन और जिला स्तर पर लंबित क्यों हैं। अपने ही परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन के लिए अमर्यादित भाषा का ये उपयोग करते हैं। झामुमो की सरकार में झारखंड आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है।

सवाल: घुसपैठ को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है। यह गंभीर समस्या भी है। लेकिन विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री आप हैं तो इसका जवाब तो आपको देना चाहिए?

जवाब: निश्चित रूप से मुझे देना चाहिए और मैं देता हूं जवाब। कभी भारत-बांग्लादेश की सीमा पर जाकर स्वयं देखिए। ये लोग जो सवाल पूछ रहे हैं मुझे वे भी जाकर देखें। वहां की भौगोलिक स्थिति में ढेर सारे नदी, नाले जंगल पहाड़ हैं। जहां फेंसिंग कोई मायने नहीं रहता। वहां सिर्फ बार्डर सिक्युरिटी से घुसपैठ नहीं रुक सकता। प्राकृतिक कठिनाइयों के कारण अगर कोई घुसपैठ करता है तो गांव के पटवारी और स्थानीय थानेदार को इसकी जानकारी होनी चाहिए। इसका आधार कार्ड और राशन कार्ड कौन बना रहा है।

आज असम में भाजपा सरकार आई तो घुसपैठ रुक गया। झारखंड और बंगाल में नहीं रुकता, क्योंकि यहां आईएनडीआई गठबंधन की सरकारें है और वो इसे वोटबैंक मानती है। आखिर हेमंत सोरेन और कांग्रेस की सरकार ने घुसपैठियों के सर्वे करने का विरोध क्यों किया है? हलफनामा देकर विरोध किया है।

सवाल: आपने कहा कि भाजपा सरकारें जहां हैं वहां घुसपैठ पर रोक लग रही है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि देश के एक बड़े हिस्से में विपक्षी गठबंधन दलों की सरकारें हैं। तो क्या माना जाए कि फिलहाल घुसपैठ पर पूरी तरह रोक संभव नही है?

जवाब: ऐसा नहीं है कि रोक संभव नहीं है। लोकतंत्र में बहुत सी समस्याओं का समाधान जनजागृति है। झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेकर कहा कि सर्वे कीजिए। हमारा झारखंड की जनता से वादा है कि हमारी सरकार आई तो हम सुप्रीम कोर्ट जाकर हेमंत सोरेन सरकार ने जो अपील की है उसे वापस लेंगे। हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे। सबसे पहले डिटेक्ट करेंगे, फिर मतदाता सूची से डिलीट करेंगे और अंत में डिपोर्ट करेंगे।

सवाल: आदिवासी क्षेत्रों में पैसों का लालच दिखाकर जिस तरह मत परिवर्तन होता है उसे रोकने के लिए क्या राष्ट्रीय स्तर पर कोई तैयारी की जा रही है?

जवाब: इस पर काफी चर्चा की आवश्यकता है। कई सारे राज्यों ने मतांतरण को रोकने के लिए धर्म स्वतंत्रता के लिए कानून लाया है।

सवाल: भ्रष्टाचार को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है लेकिन विपक्ष का कहना है कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को टारगेट किया जा रहा है। ऐसा ही आरोप दिल्ली में आम आदमी पार्टी लगाती है और बाकी स्थानों पर कांग्रेस और अन्य दल?

जवाब: (हंसते हुए) विपक्षी दल तो ऐसा ही कहेंगे, लेकिन आप बताइए कि चम्पाई सोरेन कौन थे। वो भी तो आदिवासी ही थे। हेमंत सोरेन बताएं- अपने पिताजी के इतने पुराने साथी को तीन महीने भी मुख्यमंत्री नहीं रहने दिया। चुनाव के बाद चम्पाई सोरेन को बदलते। इन्हें अपमानित करने की क्या जरूरत थी। ये किसी आदिवासी के लिए नहीं है, बस स्वयं के लिए हैं।

दूसरी बात ये बताएं कि आलमगीर आलम और धीरज साहू क्या आदिवासी हैं। इनके घर से 350 करोड़ रुपए पकड़े जाने के बाद वो क्या बोलेंगे। कांग्रेस के मंत्री रहे आलमगीर आलम के करीबी के घर से 35 करोड़ की नकदी और बड़ी मात्रा में जेवर बरामद हुए। इतनी रकम मिली की गिनने के लिए मशीन लाई गई। कैश ले जाने के लिए मेटाडोर मंगानी पड़ी। झामुमो का मतलब ही बन गया है जमकर करप्शन करना। इनके साथ कांग्रेस के आने से भ्रष्टाचार में और चार चांद लग गया है।

सवाल: भाजपा रेवड़ी संस्कृति के खिलाफ रही है। लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में महिलाओं को 21 सौ रुपये देने की बात आई, क्या यह मान लिया जाए की रेवड़ी अब राजनीति का सर्वसम्मत हिस्सा है?

जवाब: रेवड़ी और जनकल्याण दोनों में फर्क है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था का आकलन कर इन योजनाओं पर खर्च करना सरकार की प्राथमिकता और संवेदनशीलता होती है। अपनी हर योजना के साथ इस बात का ध्यान है कि कुल आमदनी का कितना हिस्सा इस पर खर्च होगा। हमने जो योजनाएं घोषित की हैं वह झारखंड की कुल आमदनी के 14 प्रतिशत से अधिक नहीं हैं।

हमारा अंदाजा है कि पांच साल में अर्थव्यवस्था में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। ये तो कांग्रेस को कहना पड़ेगा कि वादा करो तो पूरा करो। अभी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने आदेश जारी किया है कि ट्रेजरी से 10 हजार से अधिक की निकासी नहीं कर सकते। कर्नाटक और तेलंगाना में भी कांग्रेस के वादे पूरे नहीं हो सकते। भारतीय जनता पार्टी का एक भी वादा नहीं है जो पूरा न हुआ हो। रेवड़ी की बाात तब होती है जब केवल वोट लेने के लिए इसे लाया जाए।

सवाल: लेकिन परिवारवाद का तो भाजपा सैद्धांतिक रूप से विरोध करती रही है। महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा हर जगह परिवार के लोगों को टिकट दिए गए?

परिवारवाद की व्याख्या आप कैसे करते हैं मुझे पता नहीं लेकिन यह बताइए कि समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह के परिवार के अलावा कोई और मुखिया बन सकता है। कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा कोई कर्ताधर्ता बन सकता है क्या, भले अध्यक्ष कोई बन जाए।

लालू प्रसाद की पार्टी में उनके परिवार के अलावे कोई कर्ताधर्ता बन सकता है क्या। इसी तरह डीएमके में करुणानिधि के परिवार के अलावा कोई कुछ नहीं बन सकता। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी में भी कोई दूसरा मुखिया नहीं हो सकता। इसको परिवारवाद कहते हैं। लेकिन इसे छिपाने के लिए कुछ लोग हमारे किसी नेता का बेटा चुनाव लड़ता है तो उसे दिखा देते हैं।

भाजपा बनी तो अटल बिहारी वाजपेयी इसके अध्यक्ष बने। फिर लालकृष्ण आडवाणी बने, इसके बाद वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और मैं अध्यक्ष बना। इसके बाद जेपी नड्डा अध्यक्ष बने। इन सबमें एक ही समानता है कि किसी का परिवार राजनीति में नहीं था।

सवाल: आज नक्सली जो बैकफुट पर है उसका श्रेय आपको जाता है। आपने मार्च 2026 तक पूरी तरह देश से नक्सल मुक्त होने का वादा किया है। लेकिन आतंकवाद फिर से सिर उठा रहा है, विशेषकर जम्मू-कश्मीर में।

जवाब: झारखंड को नक्सल मुक्त माना जा सकता है। कुछ छोटे गैंग हैं जो उगाही का काम कर रहे हैं। बूढ़ा पहाड़ हो या कोल्हान यहां अब नक्सल बहुत थोड़ा बचा है। जनवरी 2024 से कुल 247 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया है। 861 नक्सली को गिरफ्तार किया गया है।

नक्सलियों का गढ़ समझे जाने वाले क्षेत्रों में सिक्युरिटी वैक्यूम को समाप्त कर सुरक्षा ग्रिड का विस्तार किया गया है। रही बात कश्मीर के आतंकवाद की तो इसे इस नजरिए से मत देखिए। जब से यहां आतंकवाद शुरू हुआ तब से लेकर इस साल के आंकड़े देखेंगे तो घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है। आतंकवादियों का कोई समूह आता है तो उसे खत्म करने में थोड़ा समय लगता है। लेकिन सुरक्षा बलों का पूर्ण नियंत्रण है और यह बरकरार रहेगा।

सवाल: लोकसभा चुनाव के वक्त से अब भाजपा और विपक्षी दलों की भूमिका बदल गई है। तब विपक्ष आरोप लगाता था कि भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी, संविधान बदल देगी। अब आप लोग यही आरोप लगा रहे हैं?

जवाब: कांग्रेस ने जो आरोप लगाया उसका कोई आधार नहीं था। एक काल्पनिक बात को लेकर घूमे, जनता के बीच भ्रांति फैलाई। हम जो कह रहे हैं उसका आधार है। क्या यह सच नहीं है कि कर्नाटक में और तेलंगाना में कांग्रेस ने अल्पसंख्यक को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया है। अब ये किसका आरक्षण काट कर दिया गया है। ओबीसी का या अनुसूचित जाति का या आदिवासी का आरक्षण कटा। महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से वहां के उलेमा मिले तो उन्होंने लिखित में यह वादा किया। इसलिए हम जो कह रहे हैं उसका आधार है। राहुल गांधी ने निराधार आरोप लगाया था।

सवाल: क्या आपको लगता है कि राजनीति में धर्म बहुत ज्यादा आ गया है। महाराष्ट्र में मौलानाओं को 15 हजार रुपए देने का और वक्फ का मामला प्रमुखता से उठ रहा है। आप की ओर से एक हैं तो सेफ हैं जैसी बात की जा रही है?

जवाब: धर्म तभी आएगा जब राजनीतिक दल इसे लाएंगे। अगर मौलानाओं को 15 हजार रुपए देने की घोषणा होगी तो धर्म आएगा। अगर 300 साल पुराने मंदिर को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा, किसानों की भूमि और घर को वक्फ की संपत्ति बना देंगे तो धर्म की बात होगी। हमने इसलिए वक्फ में संशोधन का बिल रखा है। हम इसे संसद में पारित कराएंगे। लेकिन एक रहोगे तो सेफ रहोगे में बांटने की क्या बात है। जो जातिवाद से लोगों को बांटना चाहते हैं इसके लिए जनता को जागरूक किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने तो देश में चार जातियां बना दीं। गरीब, किसान, महिला और किसान। ये एक करने की बात है। ये पूरे देश के लिए एक संदेश है कि जातिवाद देश को तोड़ेगा।

सवाल: महाराष्ट्र में कोरे संविधान की प्रति बांटने की घटना हुई। आप इस पर क्या कहेंगे?

जवाब:  संविधान इस देश के नागरिकों के भरोसे का प्रतीक है। इस तरह से नकली संविधान की प्रतियां लोगों में बाटेंगे और लहरा कर वोट मांगेंगे तो मैं नहीं मानता कि आजादी के बाद किसी भी राजनेता ने इस तरह से संविधान का अपमान किया होगाा। संविधान चुनावी सभााओं के प्रचार की सामग्री नहीं है। यह लोगों का विश्वास है। इसके आधार पर देश चलता है। आप उसे चुनाव प्रचार की सामग्री बनाकर छापते हो और वह भी नकली।

सवाल: तीन महीने के अंदर दिल्ली में चुनाव हैं। अरविंद केजरीवाल भी लगातार चौथी बार सरकार बनाने की बात कर रहे हैं। भाजपा क्या चुनौती दे पाएगी?

जवाब: अभी दिल्ली में चुनाव के लिए देर है। लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचार और सरकार की विफलता उजागर हुई है, मैं नहीं मानता कि जनता इन्हें फिर से चुनेगी। देश की सर्वोच्च अदालत ने विज्ञापन के पैसे निजी अकाउंट से वापस कराया यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है। इतनी शर्मनाक स्थिति किसी सरकार की नहीं हुई। न तो किसी मुख्यमंत्री ने जेल से सरकार चलाई है। समय आने दीजिए दिल्ली का हाल भी देख लेंगे।