जम्मू-कश्मीर व चार पूर्वोत्तर राज्यों के लिए परिसीमन आयोग गठित, पूर्व जज देसाई अध्यक्ष नियुक्त
कानून मंत्रालय की जारी अधिसूचना के अनुसार सेवानिवृत्त जस्टिस देसाई को एक साल के लिए या अगले आदेश तक इस आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sat, 07 Mar 2020 01:05 AM (IST)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। परिसीमन आयोग का गठन किया गया है जो जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर के चार राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करेगा। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को शुक्रवार को परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद अब इस केंद्र शासित प्रदेश में सात विधानसभा सीटें बढ़नी हैं।
सेवानिवृत्त जस्टिस देसाई परिसीमन आयोग की अध्यक्ष नियुक्तकानून मंत्रालय की जारी अधिसूचना के अनुसार सेवानिवृत्त जस्टिस देसाई को एक साल के लिए या अगले आदेश तक इस आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसमें से जो भी पहले हो, उसी से उनका कार्यकाल निर्धारित होगा। चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र, जम्मू व कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त और चार राज्यों के पदेन इसके सदस्य होंगे। परिसीमन एक देश या एक प्रांत की सीमाओं या संसदीय क्षेत्रों का नए सिरे गठन होता है।
जम्मू-कश्मीर के संसदीय, विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन और 4 पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठनअधिसूचना में कहा गया है कि परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा-3 के तहत निहित शक्तियों से ही केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया है। केंद्र सरकार का मकसद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के अलावा असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड राज्यों में संसदीय क्षेत्रों और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करना है। आयोग जम्मू-कश्मीर के संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन और चार पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं का भी पुनर्गठन करेगा। विगत 28 फरवरी को सुरक्षा कारणों के चलते सरकार ने असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के परिसीमन की अधिसूचना को रद कर दिया था। इसलिए अब यह कवायद होगी।
जेके में 114 विधानसभा सीटें होंगीजम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से पहले विधानसभा में 87 सीटें थीं। इनमें लद्दाख की चार सीटें शामिल थीं। इसके अलावा गुलाम कश्मीर की 24 सीटें रिक्त रखी जाती थीं। इस तरह कुल 111 सीटें थीं। अब लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। पुनर्गठन के बाद लद्दाख की चार सीटें कम हो गईं। इस तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 107 सीटें रह गईं। परिसीमन के बाद राज्य में सात सीटें बढ़ेंगी और इनकी संख्या बढ़कर 114 हो जाएंगी। गुलाम कश्मीर की 24 सीटें ही कायम रहेंगी। यहां स्पष्ट कर दें कि यह परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही होगा।
लोकसभा की पांच सीटें रहेंगीराज्य के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें रहेंगी और लद्दाख में एक सीट है। इस तरह लोकसभा सीटों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। जम्मू और कश्मीर में अंतिम परिसीमन 1995 में हुआ था। तब राज्य में सीटों की संख्या बढ़ाकर 75 से 87 की गई थी। उसके बाद फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर परिसीमन पर रोक लगा दी थी। 2002 के चुनावों में कश्मीर और लद्दाख के मुकाबले जम्मू में मतदाताओं की संख्या अधिक थी। इसके बावजूद कश्मीर में सीटों की संख्या अधिक रही और लगातार कश्मीर केंद्रित दल ही राज्य की सत्ता पर काबिज रहे। यही वजह है कि कश्मीरी दल परिसीमन नहीं होने देना चाहते थे।