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BJP की घेरेबंदी को शिवकुमार ने थामा, मुकाबले में घिरे सिद्धारमैया; ग्राउंड रिपोर्ट में लोगों ने दी प्रतिक्रिया

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के दोनों दिग्गजों डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया की चुनौतियां अलग-अलग है। लोकप्रियता के दम पर डीके शिवकुमार घेरा तोड़ने में कामयाब दिख रहे हैं तो कद्दावर सिद्धारमैया अपने ही घर में कांटे की टक्कर से रूबरू हो रहे हैं।ग्रांउड रिपोर्ट में लोगों ने प्रतिक्रिया दी है।

By Sanjay MishraEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 01 May 2023 08:56 PM (IST)
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BJP की घेरेबंदी को शिवकुमार ने थामा, मुकाबले में घिरे सिद्धारमैया। फोटो- जागरण।
संजय मिश्र, कनकपुरा/वरुणा। कर्नाटक की सियासत में कांग्रेस के दो बड़े दिग्गजों सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की आपसी प्रतिस्पर्धा इस चुनाव में बेशक अभी तक ठंढे बस्ते में है मगर दिलचस्प यह है कि दोनों की अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में अलग तरह की चुनौतियां हैं। इन दोनों की घेरेबंदी के लिए खिलाफ दमदार उम्मीदवार उतारने के भाजपा के दांव के बावजूद जहां डीके शिवकुमार इलाके में अपनी जबरदस्त पैठ और राबिन हुड छवि के सहारे अपने विरोधियों पर स्पष्ट रूप से भारी साबित नजर आ रहे हैं।

अपने ही घर की सीट वरुणा में सिद्धारमैया को मिल रही दोहरी चुनौती

वहीं, निर्विवाद रूप से कांग्रेस ही नहीं सूबे के सबसे कद्दावर नेताओं में एक सिद्धारमैया को अपने ही घर की सीट वरुणा में भाजपा और जनतादल सेक्यूलर की दोहरी चुनौती से जूझना पड़ रहा है। टक्कर कितना कांटे का है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नामांकन पत्र भरकर यहां आने की बजाय अपना समय कर्नाटक में कांग्रेस को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी में लगाने का बयान देने वाले सिद्धारमैया अभी तक वरुणा में चार दिन अपने प्रचार में लगा चुके हैं।

वरुणा सीट पर कांग्रेस का बोलबाला

मैसूर शहर के निकट की वरुणा वैसे तो परंपरागत रूप से कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट है मगर भाजपा ने राज्य के आवास मंत्री लिंगायत समुदाय के एक बड़े चेहरे वी सोमन्ना को मैदान में उतार सिद्धारमैया के आसान चुनावी समीकरण को झकझोर दिया है। इसकी झलक सिद्धारमैया के गांव से करीब आठ किमी दूर वरुणा के मुख्य सड़क की अलग-अलग चुनावी चर्चाओं में साफ सुनाई भी दे रहा है।

वरुणा में करीब 40 फीसद वोट लिंगायत सुमदाय का

करीब दर्जन भर वरिष्ठ नागरिकों की एक टोली में मुखर राजशेखरन कहते हैं कि सिद्धारमैया का यह गांव है मगर वह ज्यादा समय बंगलुरू में बिताते हैं और यहां मामला कांग्रेस या भाजपा का नहीं लिंगायत का है। वरुणा में करीब 40 फीसद वोट लिंगायत सुमदाय का है और भाजपा उम्मीदवार सोमन्ना इसी वर्ग के हैं।

चुनाव पार्टियों का नहीं जाति का है- महादेव स्वामी

वरुणा इलाके में एक चौक पर होटल में दोपहर के भोजन के लिए जुटे कामकाजी लोगों की एक टोली में शामिल महादेव स्वामी इसे और साफ करते हुए कहा कि यहां चुनाव पार्टियों का नहीं जाति का है। इसीलिए लिंगायत होने के नाते बाहर से आए सोमन्ना को तवज्जो देंगे। सिद्धारमैया कुरूवा जाति के हैं जो ओबीसी में आता है। हालांकि वरुणा मैसूर रोड पर फल बेच रहीं कोमल्ला और आटो ड्राइवर मादप्पा सिद्धारमैया को लेकर अपने भावुक समर्थन का इजहार करते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री रहते उनके क्षेत्र में किए गए काम से उनका फायदा हुआ।

जेडीएस उम्मीदवार डा भारती शंकर बढ़ा रहे सिद्धारमैया की चुनौती

कांग्रेस और भाजपा के दिग्गजों के बीच इस कांटे की लड़ाई में जेडीएस उम्मीदवार डा भारती शंकर की मौजूदगी भी सिद्धारमैया की चुनौती बढ़ा रही है। भाजपा के पूर्व विधायक रहे शंकर एससी वर्ग से हैं और वे कांग्रेस के एससी आधार वोट में ही सेंध लगाएंगे। ऐसे में कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सिद्धारमैया के लिए वरुणा में चुनावी फतह हासिल करना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इसकी तुलना में बंगलुरू से 70 किमी दूर कनकपुरा सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की चुनावी फिजा में गूंज हर चौक-चौराहे पर मुखर रूप से सुनाई दे रही है।

शिवकुमार चुनाव प्रचार में व्यस्त

मालूम हो कि कनकपुरा में शिवकुमार के घर और कार्यालय पर सुबह 10 बजे पूरा सन्नाटा था क्योंकि उनकी पूरी चुनावी टीम जनसंपर्क के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में घूम रही थी। शिवकुमार कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और कनकपुरा में उनकी पत्नी प्रचार की कमान संभाल रही हैं। समर्थकों का हुजूम उनके प्रचार काफिले में जोश भरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा था।

शिवकुमार की लोकप्रियता कई नेताओं की दे रही है मात

भाजपा ने यहां भी वोकलिंगा वर्ग के बड़े नेता राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोक को मैदान में उतारा है तो जेडीएस के नागराज भी इसी समुदाय से आते हैं। बावजूद शिवकुमार की लोकप्रियता इन चुनौतियों पर भारी नजर आ रही है और कनकपुरा के एक किसान संतोष कुमार कहते हैं कि क्षेत्र के विकास के लिए उनके अनगिनत योगदान हैं।

डीके के कारण कनकपुरा में आया नंदिनी का प्लांट

स्थानीय एमजी रोड की एक चाय दुकान पर जुटे कुछ युवाओं ने तो कहा कि डीके शिवकुमार डरते नहीं और उनके लिए तो वे राबिन हुड जैसे हीरो हैं। इसी में शामिल एक युवा महेश ने कहा कि डीके की वजह से कनकपुरा में नंदिनी का प्लांट आया और इसमें उन्हें डाटा इंट्री आपरेटर की 20 हजार रुपए की नौकरी मिली। तो गुरू गौड़ा सरीखे कुछ लोगों ने कहा कि कांग्रेस जीती तो डीके मुख्यमंत्री बन सकते हैं और तब क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलेगा।

लोगों में शिवकुमार का डर- भाजपा

कनकुपरा के भाजपा के मीडिया इंचार्ज मदन मोहन कहते हैं कि डीके के डर से लोग सच नहीं बोल रहे मगर वे यह भी कबूल करते हैं कि उनसे मुकाबले में भाजपा ही नंबर दो है जेडीएस नहीं। बहरहाल चुनाव अभियान अब अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है तब कांग्रेस के दोनों दिग्गजों में डीके शिवकुमार जहां मजबूती विकेट पर डटे हैं वहीं वरुणा में सिद्धारमैया को कामयाबी हासिल करने के लिए बचे हुए दिनों में कहीं ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा।