Election 2023: पांचों राज्यों में छोटी पार्टियां बिगाड़ सकती हैं कांग्रेस-बीजेपी का गणित, हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में यूं तो मुकाबला आमने-सामने का नजर आता है लेकिन इन राज्यों में सक्रिय छोटी पार्टियां बड़े दलों का गणित बिगाड़ सकती हैं। राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन तीनों ही राज्यों में सपा बसपा आप राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी मिलकर कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं।
By Abhinav AtreyEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 31 Oct 2023 04:29 AM (IST)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में यूं तो मुकाबला आमने-सामने का नजर आता है, लेकिन इन राज्यों में सक्रिय छोटी पार्टियां बड़े दलों का गणित बिगाड़ सकती हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन तीनों ही राज्यों में सपा, बसपा, हमार राज पार्टी, आप, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारतीय आदिवासी पार्टी मिलकर कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं।
इसी तरह से तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले को पिछले चुनाव में नगण्य उपस्थिति वाली बीजेपी इस बार त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। वहीं, मिजोरम में दो क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ कांग्रेस और बीजेपी भी मैदान में हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में छोटी पार्टियों की भूमिका इसीलिए भी अहम हो जाती है कि 2018 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मतों का अंतर बहुत ही मामूली था।
राजस्थान में बसपा की मजबूत पकड़
राजस्थान में कांग्रेस 39.8 फीसद वोट और 99 सीटें मिली थी और बीजेपी को 39.3 फीसद वोट और 73 सीटें मिली थीं। यानी दोनों दलों के बीच वोट का अंतर सिर्फ 0.6 फीसद का था। जबकि बसपा चार फीसद वोट के साथ छह सीटें और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 2.4 फीसद वोट के साथ तीन सीटें जीतने में सफल रही थी। बाद में बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस बार बसपा फिर से मैदान में है।राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भीम आर्मी का गठबंधन
वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने इस बार भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी आजाद समाज पार्टी से समझौता किया है। हनुमान बेनीवाल की कोशिश जाट और दलित वोटों को एकजुट करने की है, जो कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती हैं। इसी तरह से भारतीय आदिवासी पार्टी आदिवासी बहुल इलाकों में अपना दम दिखा सकती है।
कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं घटक दल
मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर आईएनडीआईए गठबंधन दलों के बीच विवाद कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। गठबंधन के घटक दलों में सपा, बसपा, जेडीयू और आप मैदान में हैं, जो एक तिहाई से अधिक सीटों पर मुकाबले को रोचक बना सकती हैं। 2018 के चुनाव में भले ही कांग्रेस 114 सीटें हासिल कर सरकार बनाने में सफल रही है और बीजेपी को 109 सीटें पर सीमित हो गई हो, लेकिन बीजेपी 41.6 फीसद के साथ कांग्रेस के 41.5 फीसद से आगे थी।