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Chandrababu Naidu: चुनावी हार... राजनीतिक अपमान और गिरफ्तारी, पढ़िए आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू ने कैसे शुरू किया राजनीति का नया अध्याय

पिछले साल सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है। TDP ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। पार्टी कुल 25 में से 16 सीट पर आगे है वहीं उसकी सहयोगी भाजपा और जनसेना पार्टी क्रमश 3 और दो सीट पर आगे हैं।

By Babli Kumari Edited By: Babli Kumari Updated: Tue, 04 Jun 2024 05:47 PM (IST)
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तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

डिजिटल डेस्क, अमरावती। 'समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता' यह कहावत आंध्र प्रदेश में सच साबित होते हुए देखा गया। इस सही समय के लिए तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने पांच साल तक इंतजार किया। चुनाव के परिणाम ने नायडू की किस्मत खोल दी। एन. चंद्रबाबू नायडू जबरदस्त आंकड़ों के साथ एक बार फिर राजनीति में सत्ता का स्वाद चखने के लिए तैयार हैं। आइए जानते हैं कैसे एन. चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के सियासी गलियारों में अपना परचम लहराया। 

अपने से कम उम्र के जगन मोहन रेड्डी से निराशाजनक हार मिलने के पांच साल बाद तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में अपनी पार्टी को आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत की ओर ले जाते दिख रहे हैं। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनसेना पार्टी भी उनके साथ गठबंधन में हैं।

पिछले साल स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में हुए थे गिरफ्तार 

मतगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार TDP 175 सदस्यीय विधानसभा में दो सीट पर जीत हासिल कर चुकी है और 130 पर आगे है, वहीं उसकी सहयोगी भाजपा सात पर और जनसेना पार्टी 20 सीट पर आगे हैं। निवर्तमान विधानसभा में TDP के 23 सदस्य हैं। पिछले साल सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है। TDP ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है पार्टी कुल 25 में से 16 सीट पर आगे है, वहीं उसकी सहयोगी भाजपा और जनसेना पार्टी क्रमश: 3 और दो सीट पर आगे हैं।

अलग-अलग समय पर 13 वर्ष तक बने रहे सीएम

आंध्र प्रदेश में अलग-अलग समय पर 13 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई कीर्तिमान रच चुके नायडू को आईटी क्षेत्र में अपने राज्य को अग्रणी स्थान पर ले जाने का श्रेय दिया जाता है तथा वह राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति के भी कुशल रणनीतिकार रहे हैं। नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने उन्हें सियासी गलियारों में सबसे पीछे धकेल दिया।

छह साल बाद 2024 में नायडू ने राजग में की वापसी

ठीक छह साल बाद मार्च, 2024 में नायडू ने राजग में वापसी की और आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। गठबंधन के तहत प्रदेश की कुल 175 विधानसभा सीट में से TDP 144, जनसेना 21 और भाजपा 10 सीट पर चुनाव लड़ी। राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की। उन्होंने खुलकर कहा, ”हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा।’’

सहज नहीं थे पीएम मोदी के साथ रिश्ते

हालांकि अपने घोषणापत्र में TDP ने इस मुद्दे से दूरी बना ली। राजग में लौटने के बाद भले ही नायडू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर मौके पर सराहना करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था।

सबसे अधिक समय तक रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं। वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और विभाजन (आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन) के बाद राज्य की बागडोर संभाली।

राज्य के विकास पर दिया विशेष ध्यान

मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान नायडू की छवि एक आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेता की रही है। उन्होंने हैदराबाद को साइबर सिटी के तौर पर विकसित किया। उन्होंने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नई राजधानी अमरावती का निर्माण भी शामिल है।

राष्ट्रीय राजनीति में भी नायडू का खासा दबदबा रहा

राज्य ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी नायडू का खासा दबदबा रहा है। वर्ष 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने से पहले वह संयुक्त मोर्चा के संयोजक थे। नायडू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संयोजक भी रहे।

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव नारावरिपल्ले में हुआ जन्म

एन. चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव नारावरिपल्ले में हुआ था। उनके पिता एन खर्जुरा नायडू एक किसान थे और उनकी मां अम्मानम्मा एक गृहिणी थीं। नायडू ने शेषपुरम के स्कूल से प्राथमिक शिक्षा और चंद्रगिरि के सरकारी स्कूल से 10वीं की। इसके बाद तिरुपति से 1972 में श्री वेंकटेश्वर आर्ट्स कॉलेज से स्नातक और वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक किया। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की है।

1970 के दशक में शुरू हुआ नायडू का सियासी सफर

नायडू का सियासी सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ और परास्नातक की पढ़ाई के दौरान वह श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र संघ के नेता निर्वाचित हुए। इसके बाद वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में चले गए। उन्होंने फिल्म अभिनेता और पार्टी संस्थापक एनटी रामा राव की पुत्री भुवनेश्वरी से विवाह किया।

1978 में विधान सभा के लिए हुए निर्वाचित 

नायडू पहली बार 1978 में आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1995 में, वह अपने ससुर एन टी रामा राव के राजनीतिक तख्तापलट के बाद पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

1999 में फिर से मुख्यमंत्री चुने गए नायडू

नायडू 1999 में फिर से मुख्यमंत्री चुने गए और 2004 तक पद पर रहे। आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना का गठन किये जाने के बाद 2014 में वह तीसरी बार राज्य (आंध्र प्रदेश) के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से करारी हार के बाद तेदेपा सत्ता से बाहर हो गई थी।