कांग्रेस को बड़ा झटका, असम में पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा टीएमसी में हुए शामिल; अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में थामा पार्टी का दामन
Ripun Bora joins TMC तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में बोरा ने टीएमसी की सदस्यता ग्रहण की है। इसके पहले भी कई बड़े नेता टीएमसी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। हाल ही में टीएमसी ने उपचुनावों में बड़ी जीत दर्ज की है।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Sun, 17 Apr 2022 11:03 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। असम में कांग्रेस को फिर बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे रिपुन बोरा ने राज्य कांग्रेस में अंदरूनी कलह का हवाला देते हुए रविवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया है। बोरा टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में यहां तृणमूल में शामिल हुए। इस मौके पर टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन भी उपस्थित थे।
टीएमसी ने ट्वीट कर रिपुन बोरा का स्वागत किया है। टीएमसी ने लिखा, असम के पूर्व पंचायत व ग्रामीण विकास एवं शिक्षा मंत्री, पूर्व राज्यसभा सदस्य और असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रिपुन बोरा का स्वागत करते हुए हमें खुशी हो रही है! वह आज अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में हमारे साथ शामिल हुए।बता दें कि इससे पहले असम में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं सुष्मिता देव ने भी पिछले साल तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद देव को तृणमूल ने राज्यसभा भी भेजा है। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के विभिन्न हिस्सों में पार्टी के विस्तार में जुटी है।
बोरा ने कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा पत्र भेजकर लगाए गंभीर आरोप इधर, तृणमूल में शामिल होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में रिपुन बोरा ने पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय असम कांग्रेस के वरिष्ठ पदों पर बैठे नेताओं के एक वर्ग ने भाजपा सरकार के साथ गुप्त समझौता कर लिया है। उन्होंने कहा कि कुछ नेता निजी स्वार्थ के लिए पार्टी के हित और विचारधारा के खिलाफ भाजपा के पक्ष में समझौता कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर भाजपा को रोकने के लिए एकजुट और आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाय, पुरानी पार्टी के नेता अपने निहित स्वार्थों के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। इसीलिए वे पार्टी छोड़ रहे हैं। बता दें कि असम के वरिष्ठ नेता बोरा 1976 से कांग्रेस से जुड़े हुए थे।