BJP से कहां हो गई गलती? मोहन भागवत से लेकर इंद्रेश तक; RSS नेताओं के इन बयानों से मची सियासी खलबली
RSS leaders Target BJP आम चुनाव के रिजल्ट सामने आने के बाद संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से लेकर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार तक ने बीजेपी पर निशाना साधा है। वहीं इंद्रेश कुमार ने इशारों-इशारों में भाजपा को अहंकारी बता दिया। इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि प्रभु राम सभी के साथ न्याय करते हैं। आइए जानते हैं कि आरएसएस नेताओं ने भाजपा को लेकर क्या-कुछ कहा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। RSS leaders Target BJP। लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को आशातीत सफलता नहीं मिलने को लेकर पार्टी के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में मंथन की स्थिति है।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से लेकर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार तक ने इशारों-इशारों में बीजेपी पर निशाना साधा है। सभी नेताओं ने अलग-अलग मुद्दों का जिक्र करते हुए भाजपा से कई सवाल और कुछ नसीहत भी दी है। आइए आज जानें कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद किसने क्या कहा है।
मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा का किया जिक्र
चुनाव परिणाम सामने आने के बाद संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मणिपुर में फैले अशांति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संघर्ष से जूझ रहे राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "मणिपुर पिछले एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है। राज्य में 10 साल पहले शांति थी। ऐसा मालूम पड़ता था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा देखी गई।"
भाजपा नेताओं ने नहीं सुनी जनता की आवाज:रतन शारदा
मोहन भागवत के बयान के बाद आरएसएस मेंबर रतन शारदा ने आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि क्यों लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता जनता की आवाज सुनने की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैन फॉलोइंग की चमक का आनंद ले रहे थे।ये एक रियलिटी चेक: रतन शारदा
रतन शारदा ने आगे कहा कि भाजपा के नेता चुनावी सहयोग के लिए 'स्वयंसेवकों' तक नहीं पहुंचे। भाजपा ने उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं दी जो जमीन पर काम कर रहे थे। वहीं, पार्टी ने उन कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया जो 'सेल्फी' के सहारे प्रचार कर रहे थे। आरएसएस मेंबर रतन शारदा ने लेख में आगे लिखा,"यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए एक 'रियलिटी चेक' है।"
वहीं, आरएसएस कार्यकर्ता ने लिखा कि भाजपा ने महाराष्ट्र की राजनीति में जरूरत से ज्यादा सक्रियता दिखाई। वहीं, भाजपा का एनसीपी और शिवसेना दलों को साथ हाथ मिलाना कई पार्टी कार्यकर्ताओं को नगवार गुजरा, जिसका बुरा असर चुनाव पर पड़ा।