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किसानों को सरकार ने लिखी एक और चिट्ठी, कहा- अगली बातचीत का समय और तारीख आप खुद तय करें

केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के मसले पर दिल्ली में आंदोलनकारी किसानों को एक बार फिर से चिट्ठी लिखी है। सरकार ने चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीक का रास्ता खुला रखा है। सरकार ने कहा है कि वह हर मांग पर चर्चा के लिए तैयार है।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2020 06:22 PM (IST)
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सरकार ने आंदोलनकारी किसानों को एक और चिट्ठी लिखी। (फोटो: दैनिक जागरण)
नई दिल्ली, एएनआइ। कृषि कानूनों के मामले पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच केंद्र सरकार ने एक बार फिर से किसानों को चिट्ठी लिखकर बातचीत की पेशकश की है। सरकार ने किसानों को चिट्ठी लिखकर संकेत दिया है कि बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं। कृषि मंत्रालय की ओर से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार किसानों की हर मांग पर चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार ने चिट्ठी में लिखा है कि वह चर्चा करने के लिए तैयार है। 

सरकार ने आंदोलनकारी किसानों को लिखे पत्र में किसानों से बातचीत के अगले दौर के लिए तारीख और समय तय करने को कहा है। साथ ही कहा है कि सरकार आपके द्वारा उठाए गए मुद्दों के तार्किक समाधान तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है।

देश में गुरुवार को 29वें दिन भी किसान आंदोलन जारी है। नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों ही पक्षों की ओर से कहा जा रहा है कि  किसानों की समस्याओं का हल करने की दिशा में वे बातचीत के लिए तैयार हैं। मगर अगले दौर की वार्ता कैसे और किन मसलों पर होगी। ये अभी तक साफ नहीं हुआ है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार कोई ठोस प्रस्तान दे तो वार्ता हो सकती है।

दूसरी ओर सरकार का कहना है कि किसान संगठन कानून में संशोधन के जो भी प्रस्ताव लेकर आएंगे उस पर विचार किया जाएगा। लेकिन, प्रदर्शनकारी किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर कायम है जबकि सरकार उनकी मांग को मानने को तैयार नहीं है।

गौरतलब है कि सरकार कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को जल्द खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के रुख के अनुरूप समिति गठित करने की तैयारी कर रही है। समिति के लिए सदस्यों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दिसंबर की शुरुआत में सरकार की ओर से किसान संगठनों को एक छोटी समिति बनाने का सुझाव दिया गया था ताकि बातचीत से समाधान निकाला जा सके।