Gujarat Assembly Election 2022: भाजपा की तुलना में कांग्रेस ने अब तक उतारे ज्यादा दागी उम्मीदवार
गुजरात इलेक्शन वाच राज्य समन्वयक पंक्ति जोग ने बताया कि वर्ष 2004 से लेकर अब तक हुए चुनावों का विश्लेषण किया तो हमने पाया कि गुजरात में बेदाग छवि वाले प्रत्याशियों के जीतने की दर 10 प्रतिशत हैजबकि दागी प्रत्याशियों के जीतने का दर इससे दोगुनी यानी 20 प्रतिशत है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Tue, 15 Nov 2022 04:16 PM (IST)
नई दिल्ली, नेशनल डेस्क: गुजरात विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। रोजाना उम्मीदवारों की सूची जारी हो रही है। ऐसे में अब तक चुनावी रण में उतरे उम्मीदवारों की स्थिति पर एक नजर डालना जरूरी है। एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) और गुजरात इलेक्शन वाच (गुजरात इलेक्शन वाच) ने वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2017 (कुछ सीटों पर वर्ष 2019 में चुनाव हुए) तक गुजरात से संसदीय या राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुल 6,043 उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड का विश्लेषण किया। इसी तरह संसद या राज्य विधानसभा में सीटों पर कब्जा करने वाले कुल 685 सांसदों या विधायकों को भी इसमें शामिल किया है। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि वर्ष 2004 के बाद से कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतार है। आंकड़ों पर एक नजर:
किस पर कितने मामले दर्जपार्टी, उम्मीदवार, मामले, प्रतिशत
भाजपा, 684, 162, 24कांग्रेस, 659, 212, 32
बसपा, 533, 65, 12आप, 59, 7, 12 फीसदीनिर्दलीय, 2,575, 291, 11 फीसदी
किस दल के सांसदों व विधायकों पर कितने केस पार्टी- विधायक, मामले, प्रतिशत/ सांसद, मामले, प्रतिशत भाजपा- 442, 102, 23 / 226, 80, 35
कांग्रेस- कांग्रेस के टिकट पर चुने गए विधायकों और 5 निर्दलीय सांसदों और विधायकों में से 3 (60 फीसदी) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
किस दल के सांसदों व विधायकों के पास कितनी संपत्ति?भाजपा- 442, 5.87 करोड़ रुपयेकांग्रेस- 226, 6.32 करोड़ रुपये
महिला उम्मीदवारों की स्थिति1636 उम्मीदवारों के पास स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री है
4777 प्रत्याशी बारहवीं पास और उससे नीचे हैं130 डिप्लोमा धारक हैं।383 महिला उम्मीदवार थीं, जिनमें से 21 पर आपराधिक मामले हैं और 11 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं
गुजरात इलेक्शन वाच राज्य समन्वयक पंक्ति जोग ने बताया कि वर्ष 2004 से लेकर अब तक हुए चुनावों का विश्लेषण किया तो हमने पाया कि गुजरात में बेदाग छवि वाले प्रत्याशियों के जीतने की दर 10 प्रतिशत है,जबकि दागी प्रत्याशियों के जीतने का दर इससे दोगुनी यानी 20 प्रतिशत है। इसकी वजह से राजनीतिक दल अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों को ज्यादा मैदान में उतारते हैं। यह चिंताजनक है। इस परंपरा को बदलने का बीड़ा जनता को ही उठाना होगा।