राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराना कांग्रेस को पड़ रहा महंगा, गुजरात के इस कद्दावर नेता ने छोड़ा 'हाथ' का साथ
गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होंगे। डेर ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्हें कब पार्टी ने निलंबित कर दिया और घोषणा की कि वह मंगलवार को गांधीनगर में अपने राज्य मुख्यालय कमलम में भाजपा में शामिल होंगे।
अहमदाबाद, पीटीआई। Lok Sabha Election 2024। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़कर जाने का सिलसिला जारी है। इस बार गुजरात कांग्रेस को झटका लगा है।
गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होंगे।उनकी घोषणा से ठीक पहले गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा कि रविवार रात को हुई एक बैठक के दौरान, पार्टी की अनुशासन समिति ने डेर को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उन्हें कांग्रेस से छह सालों के लिए निलंबित किया जाता है।
अंबरीश डेर ने बताई कांग्रेस छोड़ने की वजह
डेर ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्हें कब पार्टी ने निलंबित कर दिया और घोषणा की कि वह मंगलवार को गांधीनगर में अपने राज्य मुख्यालय 'कमलम' में भाजपा में शामिल होंगे। डेर ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस छोड़ने का मुख्य कारण पार्टी नेताओं का अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का दौरा नहीं करने का निर्णय था। 46 वर्षीय पूर्व विधायक ने दावा किया कि यह उनकी "घर वापसी" होगी क्योंकि वह अतीत में भाजपा के साथ थे और जब वह छोटे थे तो उन्होंने इसके लिए बड़े पैमाने पर काम किया था।
राजनीतिक दल को एक एनजीओ की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए: अंबरीश डेर
डेर ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं पता कि कांग्रेस ने मुझे कब निलंबित किया था। लेकिन, मैंने सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है और यह फैक्स और ईमेल के माध्यम से हमारे आलाकमान तक पहुंच चुका है।"उन्होंने कहा, "पाटिल मुझसे मिलने और मेरी बीमार मां का हालचाल जानने के लिए मेरे आवास पर आए। उनसे मिलने के बाद मैंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया।" किसी का नाम लिए बिना डेर ने कहा कि नेताओं को यह समझना चाहिए कि एक राजनीतिक दल को एक एनजीओ की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए।