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हैशटैग वाले ट्वीट व पोस्ट माने जा सकते हैं चुनाव प्रचार का हिस्सा, इंटरनेट मीडिया पर बढ़ेगी निगरानी

राजनीतिक दलों को इंटरनेट मीडिया के जरिये चुनाव प्रचार अब महंगा साबित हो सकता है। चुनाव आयोग ने फिलहाल चुनाव के दौरान इंटरनेट मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर हैशटैग के जरिये होने वाले राजनीतिक प्रचार को चुनावी खर्चों में शामिल करने के संकेत दिए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Tue, 02 Mar 2021 09:57 PM (IST)
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इंटरनेट मीडिया के जरिये चुनाव प्रचार पर निगरानी बढ़ाने की तैयारी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजनीतिक दलों को इंटरनेट मीडिया के जरिये चुनाव प्रचार अब महंगा साबित हो सकता है। चुनाव आयोग ने फिलहाल चुनाव के दौरान इंटरनेट मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर हैशटैग के जरिये होने वाले राजनीतिक प्रचार को चुनावी खर्चों में शामिल करने के संकेत दिए हैं। इनमें गूगल, फेसबुक, ट्विटर और इंस्ट्राग्राम आदि सभी शामिल होंगे। अभी तक चुनाव आयोग की इंटरनेट मीडिया पर ऐसे हैशटैग वाले प्रचार पर कोई निगरानी नहीं है।

चुनाव आयोग की कमेटी ने कहा- हैशटैग वाले ट्वीट और पोस्ट राजनीतिक दलों के खर्चों में शामिल हों

चुनाव आयोग ने ये संकेत इंटरनेट मीडिया के जरिये होने वाले चुनाव प्रचार पर निगरानी बढ़ाने के लिए गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद दिए हैं। इसमें कमेटी ने कहा है कि हैशटैग वाले ट्वीट और पोस्ट के लिए इंटरनेट मीडिया को पैसा दिया जाता है। ऐसे में इन ट्वीट और पोस्टों को राजनीतिक दलों के खर्चों में शामिल किया जाए। साथ ही इन पर नजर रखने के लिए आयोग की ओर से बनाई गई मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) के नियमों के दायरे में लाया जाए।

इंटरनेट मीडिया के जरिये प्रचार पर निगरानी रखने में विफल रहा चुनाव आयोग

वैसे भी आयोग अभी तक इंटरनेट मीडिया के जरिये अलग-अलग तरीकों से किए जाने वाले प्रचार पर पूरी तरह निगरानी रखने में विफल रहा है क्योंकि अभी उसके पास कोई तंत्र नहीं है। आयोग ने यह संकेत ऐसे समय दिया है जब बंगाल, असम सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का एलान हो चुका है। साथ ही राजनीतिक दल मैदान से लेकर इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के लिए उतर चुके हैं।

इंटरनेट मीडिया के जरिये प्रचार पर निगरानी बढ़ाने की तैयारी, चुनाव आयोग का नहीं है कोई नियंत्रण

चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इससे पहले भी कई विशेषज्ञों ने इंटरनेट मीडिया के जरिये होने वाले प्रचार-प्रसार पर निगरानी और बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन हाल के चुनावों में वोटिंग से ठीक पहले जब चुनाव प्रचार पूरी तरह से थम जाता है, तब इंटरनेट मीडिया के जरिये वोटरों को लुभाने के लिए एक अलग तरह की मुहिम चलाई जाती है। यह चुनाव प्रचार का ही एक हिस्सा होती है, लेकिन अभी इस पर निगरानी नहीं रखी जाती है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जिला स्तर पर निगरानी रखने के लिए एक एक्सपर्ट टीम के गठन का भी सुझाव दिया है जो ऐसे प्रचारों पर होने वाले खर्च की जानकारी भी दे सके। माना जा रहा है कि आयोग इसे लेकर जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।