Hemant Soren: सिर्फ विधानसभा की सदस्यता पर ही संकट नहीं, हेमंत सोरेन के लिए बढ़ सकती है दूसरी मुश्किलें
चुनाव आयोग द्वारा खदान आवंटन को अवैध करार दिये जाने के बाद परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। अभी तक यह हेमंत सोरेन के विरोधियों का आरोप था लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों की पुष्टि कर ही है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2022 07:04 PM (IST)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। खनन मंत्री के रूप में खुद को खदान आवंटित करने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए विधानसभा की सदस्यता पर ही तलवार नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार का फंदा भी कस सकता है। खुद को खदान आवंटित करने को अवैध ठहराने के चुनाव आयोग के निर्णय के बाद इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून और मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई का भी रास्ता भी साफ हो सकता है। झारखंड में पूर्व खनन सचिव पूजा सिंघल और उसके सहयोगियों के खिलाफ जांच कर रहे ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक खनन घोटाले को लेकर कोई एफआइआर दर्ज नहीं है, इसीलिए ईडी भी मनी लांड्रिंग के तहत इसकी जांच शुरू करने में असमर्थ है।
चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन के खिलाफ लग रहे आरोपों की कर दी पुष्टि
कानून के मुताबिक मनी लांड्रिंग की जांच शुरू करने के लिए आरोपियों के खिलाफ पहले एफआइआर दर्ज होना जरूरी है। उनके अनुसार इस मामले में सीबीआइ जांच के लिए जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। लेकिन हाईकोर्ट की सुनवाई कानूनी पेचीदिगियों में उलझी हुई है। चुनाव आयोग द्वारा खदान आवंटन को अवैध करार दिये जाने के बाद परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। अभी तक यह हेमंत सोरेन के विरोधियों का आरोप था, लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों की पुष्टि कर ही है। इस मामले में राज्यपाल हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने के साथ ही इसकी जांच विजिलेंस विभाग को सौंप सकते हैं।