हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- नोटबंदी पर विपक्ष ने मचाया था देश में हल्ला, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सही ठहराया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष पूरे देश में हल्ला मचाया था लेकिन साल 2016 के इस एतिहासिक फैसले का कई राज्यों में हुए चुनावी जनादेशों के माध्यम से जनता का समर्थन मिला है।
By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 02 Jan 2023 07:52 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद विपक्ष पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष पूरे देश में हल्ला मचाया था, लेकिन साल 2016 के इस एतिहासिक फैसले का कई राज्यों में हुए चुनावी जनादेशों के माध्यम से जनता का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से काले धन पर लगाम लगी है और इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा भी मिला है। उन्होंने आगे कहा कि नोटबंदी को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है।
नोटबंदी पर विपक्ष ने मचाया था हल्ला
उन्होंने कहा, 'नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने खुब होहल्ला मचाया था, लेकिन साल 2016 के बाद से कई चुनावी जनादेशों ने इस ऐतिहासिक फैसले को जनता का समर्थन मिला है। नोटबंदी से काले धन पर लगाम लगी है, नक्सली हिंसा पर लगाम लगी है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है। इसके साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराया है।
Be it Rafale deal, Aadhar Act,PM Cares or Central Vista, Oppn branded them as unconstitutional but proven wrong every time both in court of law & court of people. Congress has habit of selectively citing minority judgments & ignoring majority judgement when it suits them:Assam CM
— ANI (@ANI) January 2, 2023
कानून और जनता की अदालत में हुआ गलत साबित
सरमा ने कहा कि विपक्ष ने राफेल डील, आधार एक्ट, पीएम केयर और सेंट्रल विस्टा को असंवैधानिक करार दिया, लेकिन हर बार कानून और जनता की अदालत में गलत साबित हुआ। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस बहुमत के फैसले को नजरअंदाज कर देती है। उन्होंने कहा, 'राफेल डील हो, आधार एक्ट हो, पीएम केयर हो या सेंट्रल विस्टा, विपक्ष ने सभी को असंवैधानिक करार दिया लेकिन हर बार कानून और जनता की अदालत में गलत साबित हुआ। कांग्रेस की आदत है कि वह कुछ ही अल्पसंख्यक फैसलों का हवाला देती है, जबकि बहुमत के फैसले को नजरअंदाज कर देती है।
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