देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं रोहिंग्या प्रवासी, लोकसभा में गृह राज्य मंत्री ने दिया जवाब
संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बसपा सदस्य रितेश पांडे के सवाल का लिखित जवाब दिया जिसमें कहा कि रोहिंग्या प्रवासी अवैध गतिविधियों में संलिप्त हैं और देश की सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं।
By Monika MinalEdited By: Updated: Tue, 20 Jul 2021 03:40 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। अवैध रोहिंग्या प्रवासियों (Illegal Rohingya migrants) को देश की सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया गया है। यह भी बताया गया है कि ये अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन लोकसभा को यह जानकारी दी गई। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बसपा सदस्य रितेश पांडे के सवाल का लिखित जवाब दिया जिसमें यह बात कही। उन्होंने कहा, 'रोहिंग्या समेत तमाम अवैध प्रवासी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उनके अवैध गतिविधियों में शामिल होने की रिपोर्ट भी मिली है।' मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें भारत से रोहिंग्याओं के प्रत्यर्पण न करने का आग्रह किया गया है। मामला अभी विचाराधीन है। हालांकि प्रत्यर्पण पर कोर्ट ने स्टे ऑर्डर नहीं दिया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल और असम राइफल्स को निर्देश जारी किया है कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी और सतर्कता बरती जाए तथा अवैध घुसपैठ रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा, 'म्यांमार के आंतरिक हालात की वजह से म्यांमा के नागरिकों के भारत-म्यांमार सीमा के रास्ते भारतीय क्षेत्र में घुसने की खबरें हैं।' भारत में हाल ही में आने वाले म्यांमार के नागरिकों को मिजोरम में मनरेगा के तहत काम देने के सवाल पर राय ने कहा, 'मिजोरम सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा कोई फैसला नहीं किया गया है।'
इससे पहले भी गृह राज्य मंत्री ने कई बार यह मुद्दा उठाया है। पिछले साल संसद में उन्होंने कहा था कि अवैध घुसपैठिए बिना किसी दस्तावेज के भारत में प्रवेश करते हैं, इसलिए इनकी संख्या का कोई रिकार्ड नहीं है। 2019 में भी नित्यानंद राय ने रोहिंग्या की संख्या के बारे में कोई रिकार्ड नहीं होने की बात कही थी। उन्होंने लोकसभा में किये गए सवाल के जवाब में कहा था कि चूंकि अवैध प्रवासी देश में वैध यात्रा बगैर दस्तावेजों के करते हैं इसलिए इनके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था. जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है।