जब लोकसभा चुनाव में चला था 'पंजा', पहली बार इस सिंबल पर लड़ी थी कांग्रेस; जानें कैसे गिरी जनता सरकार
यदि 1977 के लोकसभा चुनाव ने दिखाया कि कैसे मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर इंदिरा गांधी को नकार दिया था तो 1980 के चुनाव ने दिखाया किया कि कैसे जनता पार्टी सरकार एक सुनहरे अवसर को भुनाने में असमर्थ रही जिससे इंदिरा की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। कांग्रेस ने 542 सीटों में से 353 जीती जो 1971 के चुनाव में हासिल की गई सीटों से एक अधिक थी।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। 1980 Lok Sabha Elections: यदि 1977 के लोकसभा चुनाव ने दिखाया कि कैसे मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर इंदिरा गांधी को नकार दिया था तो 1980 के चुनाव ने दिखाया किया कि कैसे जनता पार्टी सरकार एक सुनहरे अवसर को भुनाने में असमर्थ रही, जिससे इंदिरा की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। कांग्रेस ने 542 सीटों में से 353 जीती जो 1971 के चुनाव में हासिल की गई सीटों से एक अधिक थी। 1980 का लोकसभा चुनाव इंदिरा के आखिरी चुनाव के तौर पर भी याद किया जाता है।
गिर गई जनता सरकार
गठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद और अन्य कारणों से सत्ता संभालने के 34 महीने बाद जनता गठबंधन सरकार गिर गई और 22 अगस्त, 1979 को सदन समय से पहले भंग कर दिया गया। इसके छह महीने बाद लोकसभा चुनाव हुए।
- 4,629 थी उम्मीदवारों की संख्या (1977 से लगभग दोगुनी)
- 4 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी मतदान केंद्रों की संख्या
- 35,62,05,329 थी मतदाताओं की संख्या
- 3-6 जनवरी के बीच हुए चुनाव
कांग्रेस की हुई हिंदी पट्टी में वापसी
कांग्रेस ने हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों, बिहार और मध्य प्रदेश में जीत के साथ हिंदी पट्टी में वापसी की। पार्टी महाराष्ट्र , गुजरात और दक्षिण भारत में भी हावी रही।कांग्रेस ने पहली बार पंजे के साथ लड़ा चुनाव
यह पहला चुनाव था, जिसमें कांग्रेस ने अपने वर्तमान चुनाव चिह्न खुली हथेली (पंजे) के साथ चुनाव लड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1978 में 153 सदस्यों में से 76 का समर्थन खोने के बाद कांग्रेस को फिर तोड़ते हुए नई पार्टी कांग्रेस (आई) बनाई और हाथ के पंजे को अपना नया चुनाव चिह्न बनाया।यह भी पढ़ें- Today in Politics: Article 370 हटने के बाद पहली बार PM मोदी जाएंगे जम्मू-कश्मीर, कांग्रेस CEC की पहली बैठक आज