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धर्म के नाम पर दक्षिण की राजनीति भी होने लगी गर्म, कर्नाटक में टीपू सुल्तान और हनुमान बन रहा चुनावी मुद्दा

अयोध्या के मसले पर भाजपा के विरुद्ध मुखर कांग्रेस तो तेलंगाना में हिंदुत्व का मुद्दा ही छीनना चाहती है। सौ विधानसभा क्षेत्रों में राम मंदिर बनाने का वादा कर कांग्रेस ने भाजपा के साथ-साथ के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की धार को भी कुंद करने का प्रयास किया है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 17 Feb 2023 08:11 PM (IST)
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उत्तर से दक्षिण भारत के राज्यों तक राम और हनुमान के नाम पर धर्म की राजनीति जोर पकड़ने लगी है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। भाजपा के बढ़ते प्रभाव से कुछ दलों को लगातार निराशा मिलने लगी तो राजनीति का स्वरूप बदलने लगा है। दशकों तक स्वयं को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले दल भी धर्म को अवलंब बनाकर राजनीतिक लाभ लेने के प्रयास में हैं।

उत्तर से दक्षिण भारत के राज्यों तक राम और हनुमान के नाम पर धर्म की राजनीति जोर पकड़ने लगी है। पूर्वोत्तर की लड़ाई अब दक्षिण की ओर जाने वाली है, जहां इसी वर्ष दो राज्यों में चुनाव होने हैं। तेलंगाना से पहले कर्नाटक विधानसभा के चुनाव होंगे। दोनों राज्यों में धर्म के नाम पर राजनीति गर्म होने लगी है।

भाजपा ने राज्य की 90 सीटें जीतने का तय किया लक्ष्य

अयोध्या के मसले पर भाजपा के विरुद्ध मुखर कांग्रेस तो तेलंगाना में हिंदुत्व का मुद्दा ही छीनना चाहती है। सौ विधानसभा क्षेत्रों में राम मंदिर बनाने का वादा कर कांग्रेस ने भाजपा के साथ-साथ के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की धार को भी कुंद करने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्य के एक अति प्राचीन हनुमान मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी कोष से छह सौ करोड़ रुपये आवंटित कर राज्य में भाजपा के रास्ते को रोकने की कोशिश की है। कुल 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा का चुनाव अभी दस महीने दूर है, मगर दांव-पेच चरम पर है। भाजपा ने राज्य की 90 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर मिशन-90 पर काम शुरू कर दिया है। गतिविधियों को आक्रामक बना दिया है।

केसीआर ने चुनाव के मद्देनजर बढ़ाए आवंटन

इसका साइड इफेक्ट सत्तारूढ़ दल भारत राष्ट्र समिति पर पड़ा तो उसने भी अपनी रणनीति में कुछ फेरबदल किया है। भाजपा का अनुशरण करते हुए केसीआर सरकार ने कोंडागट्टू में अंजनेय स्वामी (हनुमान) मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पहले तो एक सौ करोड़ रुपये दिए। चुनाव नजदीक आ रहा तो पांच सौ करोड़ और आवंटित कर दिए। मंदिर को वास्तु एवं वैष्णव परंपरा के अनुसार बनाने का निर्देश दिया है। यह भी कहा कि इस योजना पर सरकार एक हजार करोड़ खर्च करने को तैयार है। केसीआर की इस पहल को भाजपा को नियंत्रित करने से जोड़कर देखा जा रहा है। तेलंगाना में मंदिर बनाम मंदिर

कांग्रेस ने सौ विधानसभा क्षेत्रों में राम मंदिर बनाने का किया वादा

तेलंगाना राज्य के गठन के समय से ही सत्ता में वापसी के लिए संघर्षरत कांग्रेस को जब समझ में आया कि वह इस धर्मयुद्ध में पीछे छूटने लगी है तो वादा करने में उसने भी देर नहीं की। हाथ जोड़ो यात्रा के दौरान तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी भी जनता से वादा कर रहे कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो राज्य की सौ विधानसभा क्षेत्रों में दस-दस करोड़ रुपये से राम मंदिर का निर्माण कराएंगे। इसकी लागत भी एक हजार करोड़ बता रहे हैं, जो केसीआर के वादे के बराबर है। ऐसा पहली बार हो रहा कि कांग्रेस का कोई नेता चुनावी वादे के तौर पर राम मंदिर बनाने का आश्वासन दे रहा है।

राज्य में टीपू सुल्तान और हनुमान का उठ रहा मुद्दा

हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान हिंदू एवं हिंदुत्व की अलग-अलग परिभाषा बताने वाले राहुल गांधी भी अभी पिछले महीने ही भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में दक्षिण के कई मंदिरों में मत्था टेक आए हैं। 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी राहुल ने भाजपा से ज्यादा मठों का भ्रमण किया था।

धर्म की राजनीति की पराकाष्ठा कर्नाटक में भी है। दो वर्ष पहले मंदिरों पर हमले की आंच अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इस बार भी पूजा-पाठ, टीपू सुल्तान और हनुमान का मुद्दा काफी तेजी से गर्म हो रहा है। आंध्र प्रदेश में तो विपक्ष के हमले को कुंद करने के लिए जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 20 हजार मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं।

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