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पड़ोसियों से बढ़ते खतरे के मद्देनजर भारत की अंतरिक्ष नीति को नया रूप देने की जरूरत

चीन के बंदरगाह भारतीय बंदरगाह का स्थान नहीं लेंगे बल्कि यह अतिरिक्त बंदरगाह होंगे जिसका हम उपयोग कर सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Wed, 01 May 2019 07:27 AM (IST)
पड़ोसियों से बढ़ते खतरे के मद्देनजर भारत की अंतरिक्ष नीति को नया रूप देने की जरूरत
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय सेना के एक शीर्ष जनरल ने पाकिस्तान को चीन का 'छद्म अंतरिक्ष शक्ति' करार देते हुए दोनों पड़ोसियों से बढ़ते संभावित खतरे के मद्देनजर भारत की अंतरिक्ष नीति को नया रूप देने की तत्काल जरूरत बताई है।

भारतीय सेना में डीजीपीपी लेफ्टिनेंट जनरल तरनजीत सिंह ने पांचवें ओआरएफ कल्पना चावला एनुअल स्पेस पॉलिसी डायलाग के दूसरे दिन अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा जारी रिलीज में ले. जनरल सिंह के हवाले से कहा गया है कि भारत को सैन्य लॉजिस्टिक के लिए ही नहीं, बल्कि हथियारों और मिसाइल की तैनाती में भी संभावित अंतरिक्ष तकनीकी का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों के मद्देनजर अंतरिक्ष नीति का पुनर्गठन जरूरी हो गया है।

नेपाल, चीन ने संधि पत्र पर किए हस्ताक्षर

चीन और नेपाल ने 2016 में किए गए पारगमन और परिवहन समझौते (टीटीए) को अमल में लाने के लिए संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से हिमालयी देश को अपने विदेशी व्यापार के लिए चीनी समुद्री तथा भूमि बंदरगाहों का रास्ता लेने की सुविधा होगी। इससे नेपाल की व्यापार के लिए भारत पर निर्भरता कम होगी।

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ सोमवार को बैठक के दौरान संधि पत्र तथा छह अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भंडारी चीन की नौ दिन की यात्रा पर हैं। इससे पहले उन्होंने दूसरी बेल्ट एंड रोड फोरम बैठक में हिस्सा लिया। यह बैठक 25-27 अप्रैल को हुई थी।

दरअसल, टीटीए पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 2016 में चीन यात्रा के दौरान दस्तखत किया था। उस समय मधेशी आंदोलन चरम पर था, जिससे भारतीय बंदरगाहों तक नेपाल की पहुंच प्रभावित हुई थी। इससे नेपाल में वस्तुओं और ईंधन की भारी कमी हो गई थी।

भारतीय बंदरगाह का स्थान नहीं लेंगे चीनी

काठमांडो पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार इस संधि से तीसरे देश से आयात के लिए नेपाल की पहुंच चीन के बंदरगाहों तिआनजीन, शेनझोन, लिआनयूनगांग और झानजिआंग तथा तीन भूमि बंदरगाह लैनझाऊ, ल्हासा और शीगात्से तक हो जाएगी। साथ ही नेपाल को दोनों देशों के बीच छह पारगमन क्षेत्रों से निर्यात की भी अनुमति होगी। इस बीच, नेपाल के अधिकारी रबी शंकर संजू के हवाले से अखबार ने लिखा है कि चीन के बंदरगाह भारतीय बंदरगाह का स्थान नहीं लेंगे बल्कि यह अतिरिक्त बंदरगाह होंगे जिसका हम उपयोग कर सकते हैं।