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Ayodhya Land Dispute Case: सुप्रीम कोर्ट में गूंजा इकबाल अंसारी के साथ 'झड़प' का मामला

Ayodhya Land Dispute Case में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के 19वें दिन मुस्लिम पख के वकील राजीव धवन ने याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम के पुत्र इकबाल अंसारी पर हमले का मुद्दा उठाया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 04 Sep 2019 11:55 AM (IST)
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Ayodhya Land Dispute Case: सुप्रीम कोर्ट में गूंजा इकबाल अंसारी के साथ 'झड़प' का मामला
नई दिल्‍ली, माला दीक्षित। Ayodhya Land Dispute Case में सुप्रीम कोर्ट में 19वें दिन सुनवाई जारी है। सुनवाई की शुरुआत में ही मुस्लिम पख के वकील राजीव धवन ने याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम के पुत्र इकबाल अंसारी और अंतरराष्ट्रीय शूटर वर्तिका सिंह के बीच मंगलवार को हुई झड़प का मुद्दा उठाया। इस पर सर्वोच्‍च अदालत ने उन्‍हें आश्‍वस्‍त किया कि हम इस पर विचार करेंगे। फ‍िलहाल, मुख्य मामले पर सुनवाई में वकील राजीव धवन की ओर से दलीलें पेश की जा रही हैं। 

बता दें कि इकबाल अंसारी और खुद को अंतरराष्ट्रीय शूटर बताने वाली लखनऊ की वर्तिका सिंह के बीच कल झड़प हो गई थी। बताया जाता है कि विवाद तीन तलाक और मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर चर्चा के दौरान बढ़ा था। दोनों के अपने-अपने दावे हैं। इकबाल का कहना है कि वर्तिका मस्जिद पर दावा वापस लेने की जिद पकड़े थीं, जब इन्कार किया तो उग्र हो गईं। मारपीट पर उतारू हो गईं। धमकाने लगीं कि अंतरराष्ट्रीय शूटर हूं, गोली मार दूंगी। जबकि वर्तिका ने इकबाल पर भड़काऊ बातें करने और बुरे बर्ताव का आरोप लगाया है।

इकबाल ने पुलिस को दी तहरीर में आशंका जताई है कि वर्तिका तनाव पैदा करना चाहती हैं। उधर, वर्तिका का कहना है कि वह अयोध्या रामलला के दर्शन करने गई थीं। वह इकबाल से सौहार्दपूर्ण वार्ता करने उनके घर गई थीं। इस दौरान इकबाल भड़काऊ बातचीत करने लगे। सामान्य बात पर बुरा बर्ताव किया। एसएसपी ने बताया कि वर्तिका को लखनऊ उनके घर भेज दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। वर्तिका सिंह मूलरूप से प्रतापगढ़ के ग्राम रायचंद्रपुर की हैं। वे स्वयं को अंतरराष्ट्रीय शूटर बताती हैं और इन दिनों लखनऊ में रहती हैं। 

सुन्नी वक्फ बोर्ड और उसके अन्य सहयोगियों की ओर से पक्ष रख रहे वकील राजीव धवन और एजाज मकबूल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हिंदू समुदाय के लोगों ने 22-23 दिसंबर 1949 को रात के अंधेरे में चुपके से केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति अंदर रखी थी। यह एक सुनियोजित हमला था। इस साजिश की शुरुआत तो 19 मार्च 1949 को हो गई थी जब निर्मोही अखाड़ा ने पंजीकरण कराया था और पहली बार राम जन्मभूमि मंदिर का जिक्र किया था। धवन ने विवादित ढांचे को मस्जिद बताते हुए 1950 के शिलालेख का जिक्र किया और फोटो दिखाई जिसमें तीन जगह अरबी में अल्लाह लिखा होना बताया है।