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India-Bangladesh Relations: द्विपक्षीय संबंधों को नए क्षितिज पर ले जाते दोनों देशों के नेता

India-Bangladesh Relations सीमावर्ती कुशियारा नदी जल बंटवारे पर समझौते से भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा। अब तीस्ता नदी मामले का भी हल निकालना चाहिए। द्विपक्षीय संबंधों को नए क्षितिज पर ले जाते दोनों देशों के नेता।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 12:22 PM (IST)
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India-Bangladesh Relations: नई ऊंचाई पर द्विपक्षीय रिश्ते
डा. दिलीप अग्निहोत्री। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध रखने का विचार व्यक्त किया था। इस दिशा में उन्होंने यथासंभव प्रयास किए थे। उनके इन प्रयासों में पाकिस्तान और चीन भी शामिल थे। यह सच है कि विदेश नीति में विचार के साथ व्यवहार का भी महत्व होता है। संबंधित देशों को नेक नीयत दिखानी होती है, लेकिन पाकिस्तान और चीन की फितरत में यह बात शामिल नहीं है।

पाकिस्तान सीमा पार के आतंकवाद को छोड़ नहीं सका। चीन को सीमा पर तनाव बनाए रखना पसंद है। जाहिर है ऐसे देश भारत के शांति और सौहार्द संबंधी विचारों को समझ ही नहीं सकते। यह राहत की बात है कि पड़ोसियों से बेहतर संबंध रखने की भारतीय नीति पर बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार काे विश्वास है। इस संदर्भ में देखें तो शेख हसीना की भारत यात्रा महत्वपूर्ण है। नरेन्द्र मोदी और शेख हसीना की वार्ता में सात करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जैसे कि सीमावर्ती कुशियारा नदी जल बंटवारे पर समझौते से भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा।

भारतीय रेल बांग्लादेशी रेल कर्मियों को प्रशिक्षण एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मदद करेगी। भारत की न्यायिक अकादमी बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण प्रदान करेगी। सीएसआइआर और बांग्लादेश के सीएसआइआर के बीच विज्ञान एवं तकनीक सहयोग पर समझौता हुआ है। न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सहयोग होगा। भारत इसमें बांग्लादेश की मदद करेगा। प्रसार भारती और बांग्लादेश टेलीविजन एक दूसरे के कार्यक्रमों का प्रसारण करेंगे। यह 2019 के समझौते का विस्तार है। इसके अलावा फ्रेट मैनेजमेंट सिस्टम और अन्य आइटी आधारित क्षमताओं को बढ़ाने में भारत बांग्लादेश को मदद देगा।

निश्चित रूप से इन समझौतों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति होगी। दोनों देश आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं। नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि बांग्लादेश निर्माण की भावना को जीवंत रखने के लिए भी यह बहुत आवश्यक है कि हम ऐसी शक्तियों का मिलकर मुकाबला करें, जो हमारे आपसी विश्वास पर आघात करना चाहती हैं। 54 नदियां भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरती हैं। ये नदियां दोनों देशों के लाखों लोगों की आजीविका से जुड़ी हैं।

ऐसे में जरूरी है कि अब तीस्ता नदी जल बंटवारे मामले का भी सर्व सम्मति से हल निकले। यह एक दशक से अधिक समय से लंबित है। रोहिंग्या घुसपैठिए दोनों देशों के लिए समस्या बन रहे हैं। शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों को मिलकर इसका भी हल निकालना होगा। बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास भागीदार है। न भूलें कि मधुर रिश्ते ही देशों के बीच कारोबार को बढ़ाने का आधार बनते हैं। आपसी सौहार्द की बदौलत ही आज भारत बांग्लादेश का बाजार बना है। दोनों देशों को आपसी व्यापार और बढ़ाने के िलए जल, रेल तथा हवाई संपर्क बढ़ाने पर जोर देना होगा।

बीते पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार में सौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। और यह नौ अरब से 18 अरब डालर यानी करीब 1.42 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। परिवहन संपर्क बढ़ाकर भारत की योजना अगले दो-तीन वर्षों में िनर्यात को 30 अरब डालर तक पहुंचाने की होनी चाहिए। अभी भारत-बांग्लादेश के बीच संपर्क बढ़ाने के िलए तीन यात्री ट्रेनें-मिताली एक्सप्रेस, मैत्री एक्सप्रेस और बंधन एक्सप्रेस चलाने की बात हुई है।

गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 के 9.69 अरब डालर की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने बांग्लादेश को 16.15 अरब डालर का निर्यात किया है। भारत बांग्लादेश का चिकित्सा हब भी बन रहा है। इलाज के लिए पड़ोसी देश की पहली पसंद भारत है। बीते साल कोरोना काल में 2.3 लाख बांग्लादेशी लोगों ने मेडिकल वीजा हासिल कर भारत में इलाज कराया। मेडिकल वीजा से उलट अन्य वीजा पर मात्र 50 हजार लोग ही भारत आए। चिकित्सा क्षेत्र के इस महत्व को देखते हुए भारत को बांग्लादेश के लिए कुछ अहम घोषणा करनी चािहए। भारत और बांग्लादेश बहुत जल्द सीईपीए यानी समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता पर भी चर्चा शुरू करेंगे। गत वर्ष नरेन्द्र मोदी विशेष अवसर पर बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे। तब बांग्लादेश ने अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मनाने के साथ ही बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी पर समारोह भी आयोजित किए थे। कुल मिलाकर शेख हसीना की यात्रा से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को नई ऊर्जा मिली है।

[अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार]