Rishi Sunak: चिदंबरम और थरूर के बयान से कांग्रेस का किनारा, जयराम रमेश बोले- भारत को किसी से सबक की जरूरत नहीं
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत को किसी से सबक लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह देश अनेकता में एकता की मिसाल रहा है। जयराम रमेश पार्टी नेता चिदंबरम और शशि थरूर के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। ब्रिटेन के पीएम बन सुनक इतिहास रचने जा रहे हैं। सुनक को ब्रिटेन का पीएम चुने जाने पर कई भारतीय नेताओं ने भी बधाई दी है। हालांकि, कांग्रेस ने पार्टी नेता पी चिदंबरम और शशि थरूर की ओर से सुनक पर दिए बयानों से किनारा कर लिया है।
'भारत को किसी से सबक लेने की जरूरत नहीं'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के कई व्यक्ति राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री बने। ऐसे में भारत को किसी से सबक लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह देश अनेकता में एकता की मिसाल रहा है।
अनेकताओं का सम्मान करना होगा- रमेश
कांग्रेस महासचिव ने आगे कहा, 'यह नौबत आ गई है कि विविधताओं को सम्मान देने के बारे में उनसे सबक लेना पड़ेगा। भारत लंबे समय से अनेकता में एकता, अनेकताओं का जश्न मनाने की मिसाल रहा है। पिछले आठ वर्षों में हमने देखा कि क्या हो रहा है। हमें किसी और देश से सबक सीखने की जरूरत नहीं है। हमारी एकता अनेकता से ही मजबूत होगी। हमें अनेकताओं का सम्मान करना होगा।'
फखरुद्दीन, कलाम बने राष्ट्रपति
जयराम रमेश ने कुछ टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाली हस्तियों के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि भारत में जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बने, फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति बने, एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने। बरकतुल्ला खान राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, ए आर अंतुले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।
चिदंबरम और थरूर के ट्वीट पर दिया रिएक्शन
बता दें कि जयराम रमेश पी चिदंबरम और शशि थरूर के उस बयान पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसमें उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत भी अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों को शीर्ष पद देने की इस परंपरा का अनुसरण करेगा।
क्या बोले Chidambaram?
चिदंबरम ने अपने ट्वीट में कहा था कि पहले कमला हैरिस और अब ऋषि सुनक। अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को अपनाया है। उन्हें सरकार में उच्च पदों पर चुना है। मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों को इससे सबक लेना चाहिए।
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