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हरियाणा में कांग्रेस की हार से I.N.D.I.A बैचेन! उद्धव का नया दांव, अखिलेश ने भी चली अपनी चाल

हरियाणा में कांग्रेस की हार से आईएनडीआईए के सहयोगियों के तेवर तीखे हो गए हैं। गठबंधन के सहयोगियों ने कांग्रेस पर सीट बंटवारे रणनीतिक चूक से लेकर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस हमलावर हुई तो अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश में अपनी चाल चल दी। शिवसेना यूबीटी और आम आदमी पार्टी के तेवर भी बदले-बदले नजर आए।

By Narender Sanwariya Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 09 Oct 2024 08:59 PM (IST)
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उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी और अखिलेश यादव। (Photo Jagran)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। हरियाणा में कांग्रेस की हैरान करने वाली हार को लेकर आईएनडीआईए गठबंधन में भी बेचैनी दिखाई देने लगी है। इस सियासी बेचैनी में विपक्षी खेमे के घटक दलों ने हरियाणा के नतीजों के बाद कांग्रेस पर दबाव बनाने का खुलकर दांव चल दिया है।

कांग्रेस के दोहरे मानदंड

तृणमूल कांग्रेस से लेकर शिवसेना यूबीटी और आम आदमी पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी तक सभी ने नतीजों के चौबीस घंटे के भीतर ही अपने-अपने तरीकों से तेवर दिखाते हुए कांग्रेस की राजनीतिक जमीन में अपनी अधिक हिस्सेदारी के लिए दबाव बनाने की कोशिश करने के इरादे जाहिर कर दिए। जहां, तृणमूल कांग्रेस ने गठबंधन पर कांग्रेस के दोहरे मानदंड को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया। वहीं, शिवसेना यूबीटी ने गठबंधन के साथ कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए।

अखिलेश ने भी चला अपना दांव

समाजवादी पार्टी ने मौके का फायदा उठाते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के उम्मीदवारों की अपनी सूची बुधवार को जारी करते हुए उन दो सीटों पर भी नाम तय कर दिए, जिन पर कांग्रेस दावा कर रही थी। विपक्षी खेमे के सहयोगी दलों का यह रूख साफ तौर पर इस विमर्श को मजबूत करने का दांव माना जा रहा कि भाजपा से सीधे मुकाबले में कांग्रेस कमजोर पड़ जाती है।

सपा का भाजपा से मुकाबला

शिवसेना यूबीटी ने मंगलवार को ही नतीजे आने के तत्काल बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में हरियाणा में हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा दिया था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हरियाणा नतीजों पर कोई कड़वी बात कहने की बजाय दूसरे ही दिन उपचुनाव के लिए कांग्रेस के दावों वाली दो सीटों पर भी अपने उम्मीदवार का एलान कर यह संदेश दिया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा से मुकाबले के लिए सपा की ही केंद्रीय भूमिका है।

उद्धव ठाकरे की दावेदारी

इन तेवरों से साफ है कि हरियाणा के नतीजों से बदले सियासी हालात में कांग्रेस पर महाराष्ट्र और झारखंड में घटक दलों को गठबंधन में अधिक भागीदारी देने का दबाव डाला जाएगा। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा था, लेकिन शिवसेना यूबीटी सीटों के बंटवारे में अब अपनी हिस्सेदारी और मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे की दावेदारी के लिए पूरा दम लगाएगी।

उद्धव ठाकरे का नया दांव

महाविकास अघाड़ी गठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा के लिए उद्धव ठाकरे का नया दांव भी इसका साफ संकेत है। उद्धव ने मंगलवार को ही कहा कि कांग्रेस या शरद पवार की एनसीपी में से जो भी सीएम का चेहरा सामने लाएगी वे उसका समर्थन करेंगे। पवार की पार्टी सीएम पद की रेस में है ही नहीं।

महाराष्ट्र में कौन होगा सीएम का चेहरा?

उद्धव की अनदेखी कर कांग्रेस चुनाव में अपने चेहरे को आगे लाने का जोखिम नहीं लेगी। ऐसे में उद्धव का बयान साफ तौर पर उन्हें सीएम चेहरा घोषित करने के लिए कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वैसे शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में भी हरियाणा चुनाव नतीजों को लेकर कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाते हुए आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं करने और भूपेंद्र सिंह हुडडा पर अधिक निर्भर होने को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

कांग्रेस पर अहंकार का आरोप

तृणमूल कांग्रेस ने भी बुधवार को कांग्रेस का नाम लिए बिना उस पर अहंकार का आरोप लगाते हुए तीखे हमले किए। टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने कहा कि अहंकार और क्षेत्रीय दलों को नीची निगाह से देखना आपदा का कारण बनता है। उनके अनुसार कांग्रेस जहां खुद को मजबूत समझते हुए जीतने की उम्मीद करती है वहां क्षेत्रीय दलों को जगह नहीं देती और यही चुनावी हार का कारण बन रहा है।

गठबंधन के सहयोगियों की अनदेखी

तंज कसते हुए गोखले ने कहा कि जिन राज्यों में वह पिछड़ रहे होते हैं, वहां क्षेत्रीय पार्टियों से उन्हें जगह चाहिए होता है। भाकपा महासचिव डी राजा ने परिणाम आने के तत्काल बाद ही कांग्रेस को गठबंधन के सहयोगियों की अनदेखी नहीं करने की नसीहत दी थी।

आप और झामुमो के भी बदले तेवर

आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने भी बुधवार को हरियाणा में हार के लिए कांग्रेस के अहंकार को जिम्मेदार ठहराया तो आप ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव अकेले अपने बूते लड़ने की बात कही। झामुमो ने अभी चुप्पी साध रखी है मगर यह तय है कि चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान कांग्रेस पर दबाव बढ़ाकर अधिक सीट हासिल करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी।

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