सर्जिकल स्ट्राइकः पाक में कमांडो क्यों साथ लेकर गए थे तेंदुए का मल और पेशाब?
पाकिस्तान में की गई गई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने बड़ा खुलासा किया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 13 Sep 2018 11:14 AM (IST)
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। वर्ष 2016 में उरी स्थित सेना के कैंप पर किए गए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में जिस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था उसको अब लगभग दो वर्ष पूरे होने वाले हैं। इस सर्जिकल स्ट्राइल को 29 सितंबर को अंजाम दिया गया था। इस दौरान सेना के कमांडो ने पाकिस्तान की सीमा में करीब 15 किमी अंदर जाकर आतंकियों के तीन लॉन्चिंग पैड ध्वस्त किये थे। इस सर्जिकल स्ट्राइक में 30 आतंकी भी मारे गए। इसके बाद पाकिस्तान ने कुछ समय के लिए आतिंकियों के कैंप भी यहां से हटा दिये थे। इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवानों को वर्ष 2017 में सम्मानित भी किया गया था।
अब इस सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर बिल्कुल नई चीज सामने आई है। पाकिस्तान में हुई इस स्ट्राइक को लेकर अब नगरोटा के पूर्व कॉर्प कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने इससे जुड़ी जिन चीजों को सामने रखा है वह आज तक सामने नहीं आई थी। आपको बता दें कि इस सर्जिकल स्ट्राइक पर डिस्कवरी चैनल ने एक डॉक्युमेंट्री भी तैयार की थी जिसको टीवी चैनल पर दिखाया गया था। आपको यहां बता दें कि निंबोरकर को बाजीराव पेशवा प्रतिष्ठान की तरफ से मंगलवार को सम्मानित किया गया था। इस दौरान उन्होंने बताया कि इस सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कमांडो ने तेंदुए के पेशाब और मल का उपयोग किस तरह से किया था।
उन्होंने बताया कि जिस इलाके से होकर यह कमांडो पाकिस्तान के अंदर जाने वाले थे वह इलाका घने जंगल के अलावा आबादी वाला भी था। कॉर्प कमांडर को डर था कि यहां पर मौजूद कुत्ते इस सर्जिकल स्ट्राइक को नाकाम कर सकते हैं। इसकी वजह ये भी थी कि कुत्तों के भौंकने की वजह से कमांडो की जानकारी वहां के स्थानीय लोगों को हो सकती थी। ऐसे में यदि कुत्ते कमांडोज को काट भी सकते थे। इतना ही नहीं कमांडो बिना मकसद कुत्तो को न तो मार सकते थे न ही कुछ और सकते थे। लिहाजा इन कुत्तों को कमांडो से दूर रखना था। इनको दूर रखने में सबसे बड़ा सहायक था तेंदुए का पेशाब और मल।
दरअसल, यह एक ऐसा इलाका भी था जहां अक्सर तेंदुए कुत्तों का शिकार करते थे। लिहाजा कमांडोज को बचाने के लिए इसको ही एक जरिया बनाया गया। आपको यहां पर ये भी बता दें कि जनरल निंबोरकर इस पूरे इलाके से बखूबी वाकिफ थे। उन्होंने बताया कि नगरोटा सेक्टर में कमांडर के पद पर रहते हुए उन्हें इस बात की जानकारी थी कि तेंदुए के हमले के डर से कुत्ते रात में घरों में ही बंद रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इस स्ट्राइक की प्लानिंग करते समय सभी बातों पर गौर किया गया था। इसमें कुत्तों की वजह से इस स्ट्राइक पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी बात हुई थी। इससे बचने के लिए इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले कमांडोज को खासतौर पर तेंदुए का मल और पेशाब दिया गया। कमांडोज ने इसका इस्तेमाल पाकिस्तान की सीमा के अंदर किया। जिस रास्ते को कमांडोज ने चुना वहां पर वह इसकी कुछ बूंदे गिराते चले गए।
दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह ये थी कि तेंदुए के मल और पेशाब की गंध कुत्तों को कमांडोज से दूर रखने में सहायक थी। दूसरा इस मल और पेशाब की गंध से कुत्तों को तेंदुए की इलाके में मौजूदगी का अंदाजा हो जाता था। उन्होंने बताया कि यह एक सीक्रेट मिशन था, लिहाजा इसको अंजाम देने तक इससे जुड़ी कोई भी जानकारी का बाहर आना पाकिस्तान की सीमा में जाने वाले कमांडोज के लिए जानलेवा साबित हो सकता था। निंबोरकर ने बताया कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें एक सप्ताह के अंदर अंजाम देने के लिए कहा।
इसके बाद उन्होंने इस स्ट्राइक में शामिल होने वाले कमांडोज को तैयार रहने के लिए बताया, लेकिन उन्हें इसकी जगह के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। इसकी जानकारी उन्हें केवल इस स्ट्राइक से एक दिन पहले ही दी गई। इस स्ट्राइक से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड की पहचान की गई। इसके अलावा उनकी तमाम गतिविधियों को बारीकी से देखा गया। इस स्ट्राइक के लिए सुबह 3:30 बजे का वक्त निर्धारित किया गया था। सेना की एक यूनिट का काम इन कमांडोज को उस सीमा तक ले जाना था जहां के बाद इन्हें पैदल सफर तय करना था।
पाकिस्तान में हुई सर्जिकल स्ट्राइक ने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया था। पाकिस्तान में इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बड़ी हलचल देखी गई। पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार हालांकि इस स्ट्राइक को हमेशा से ही झूठा बताती रही है लेकिन पूरी दुनिया को भारत ने इसका सच दिखाया है।विपक्ष कर रहा एकजुटता का दिखावा, लेकिन हकीकत कुछ और, भाजपा निकाल देगी हवा
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