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Jagran Exclusive Interview: मैंने सिर्फ सक्रिय राजनीति से मना किया है, जनसेवा से नहीं: येदियुरप्पा

कर्नाटक चुनाव में भाजपा के कुछ लिंगायत नेताओं की बगावत के बाद से ही पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को जमीन पर पूरी तरह सक्रिय कर दिया है। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से हुई बातचीत का एक अंश-

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Tue, 02 May 2023 08:03 PM (IST)Updated: Tue, 02 May 2023 08:03 PM (IST)
मैंने सिर्फ सक्रिय राजनीति से मना किया है, जनसेवा से नहीं: येदियुरप्पा

आशुतोष झा, बेंगलुरु। कर्नाटक चुनाव में भाजपा के कुछ लिंगायत नेताओं की बगावत के बाद से ही पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को जमीन पर पूरी तरह सक्रिय कर दिया है। वह खुद को चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि पार्टी के कमिटेड लिंगायत वोट में कोई कमी न आए। जनता में उनका असर दिख भी रहा है। पर बड़ा सवाल यह है कि येदियुरप्पा के रियाटरमेंट के बाद पार्टी का लिंगायत लीडर कौन माना जाएगा। ऐसे ही एक सवाल के जवाब में येदियुरप्पा स्पष्ट संकेत दे जाते हैं कि फिलहाल तो वहीं हैं और रहेंगे। वह कहते हैं मैं ने सक्रिय राजनीति से मना किया है। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से हुई बातचीत का एक अंश-

सवालः आपने पार्टी बनाई है और इस बार पहला अवसर है जब आप चुनाव नहीं लड़े रहे और पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं है। लिंगायत समुदाय इसे कैसे ले रहा है। आप क्या कहेंगे।

जवाबः देखिए मैं तो काफी पहले ही फैसला ले लिया था कि अब चुनाव नहीं लडूंगा। मैं जहां कहीं जा रहा हूं यही बता भी रहा हूं और मुझे लगता है कि 70-80 फीसद लोग मेरे इस फैसले से सहमत हैं। आपने लिंगायत की बात की तो वह सौ फीसद मेरे फैसले के साथ हैं। मैं ने उनसे यह भी कहा है कि ऐसे कोई पोस्टर नहीं लगने चाहिए जिसकी जरूरत नहीं है। अब तक मैंने 80 विधानसभा चुनाव का दौरा कर लिया है। पार्टी के लिए काम कर रहा हूं।

सवालः लेकिन लिंगायत समुदाय के ही जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी का पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जाने से पार्टी को क्या कोई नुकसान नहीं होगा।

जवाबः शेट्टार से अमित शाह जी ने भी बात की थी, उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया था। हमने भी उन्हें समझाया कि उनकी पत्नी को टिकट देते हैं लेकिन उन्होंने नामंजूर कर दिया। जबकि लक्ष्मण सावदी को तो हाल ही में विधानपरिषद का सदस्य बनाया गया था। अभी पांच साल का कार्यकाल बाकी थी। पिछली बार हारने के बावजूद उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। फिर भी उन्होंने ऐसी पार्टी को छोड़ा जिसने इतना कुछ दिया था। जनता तो देख ही रही है। वैसे मैं बता दूं कि दोनों बुरी तरह हारेंगे।

सवालः जब आपने सक्रिय राजनीति छोड़ने का फैसला लिया तो अपने पुत्र के लिए भी कुछ मांगा ही होगा।

जवाबः बिल्कुल नहीं, यह मेरी फितरत नहीं है। पार्टी ने मुझे अवसर दिया था कि काम करूं, अभी भी कर रहा हूं। पुत्र का फैसला भी पार्टी को ही करना था।

सवालः अभी तक यह माना जाता था कि येदियुरप्पा पार्टी के लीडर होने के साथ साथ लिंगायत के लीडर हैं। अब जबकि आपने राजनीति से संन्यास ले लिया है तो भाजपा में लिंगायत का लीडर किसे माना जाएगा।

जवाबः सक्रिय राजनीति से मैंने रिटायरमेंट लिया है, लेकिन पार्टी के लिए तो काम करता ही रहूंगा, आजीवन। जैसे आज कर रहा हूं। इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं। लीडर जनता चुनती है, लीडर जनता बनाती है।

सवालः पिछले तीस पैंतीस साल में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में आप भाजपा के सत्ता में वापसी को लेकर कितने आश्वस्त हैं।

जवाबः मैं सौ फीसद आश्वस्त हूं और बहुमत की सरकार बनेगी। कम से कम 120 सीटें आएंगी, क्योंकि जनता ने देखा है कि पिछली बार किस तरह कांग्रेस और जनता दल एस ने गलत तरीके से सरकार बनाई थी और जनता को भुगतना पड़ा था।

सवालः लेकिन अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब है कि हवा उस समय से भी ज्यादा प्रभावी है जब आप पार्टी अध्यक्ष थे।

जवाबः हां, और इसका श्रेय मोदी जी को जाएगा। वह केवल प्रदेश ही नहीं विश्व में लोकप्रिय हैं। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए न सिर्फ पैसे दिए बल्कि यह भी निगरानी की कि काम हो और समय पर हो। जनता की सुविधाएं बढ़े। बेंगलुरु के लिए विकास की योजना में तो उनकी विशेष रुचि थी। यही कारण है कि वह जब भी आते हैं जनता में उत्साह दिखता है। यही स्थिति अमित शाह की भी है।

सवालः शिकारीपुरा विधानसभा को आपने बहुत लगन से तैयार किया है। अब आपके छोटे पुत्र विजयेंद्र यहां से लड़ रहे हैं। आप कितने विश्वस्त हैं कि वह इसे उसी तरह संवारकर रखेंगे।

जवाबः पहली बात को आप यह मान लीजिए कि कम से कम 50 हजार की मार्जिन से जीतेंगे। रही बात संवारकर रखने की तो वह मेहनती हैं। लोगों के साथ उनका कनेक्ट अच्छा है। संवाद करते हैं, समस्याओं को सुनते हैं और सुलझाते हैं। जब इतनी बातें हो तो मुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है।


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