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जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी के फैसले को बताया भ्रामक और गलत, कहा- लाखों लोग हुए बेरोजगार

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटबंदी के फैसले को सही ठहराए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले को भ्रामक और गलत करार दिया है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 02 Jan 2023 04:55 PM (IST)
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जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी के फैसला को बताया भ्रामक और गलत। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, एएनआइ। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटबंदी के फैसले को सही ठहराए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले को भ्रामक और गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यह नहीं बताया है कि केंद्र के इस फैसले ने घोषित लक्ष्यों को पूरा किया है या नहीं। उन्होंने अपने बयान में कहा, 'शीर्ष अदालत ने सिर्फ यह कहा है कि आठ नवंबर को नोटबंदी की धोषणा से पहले 1934 की आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) को सही तरीके से लागू किया गया था या नहीं।' रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आगे कहा कि एक माननीय न्यायाधीश ने इस फैसले में असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में संसद को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था।

नोटबंदी के कारण आर्थिक विकास की गति को पहुंचा नुकसान

उन्होंने कहा कि अदालत ने विमुद्रीकरण (Demonetisation) के प्रभावों के बारे में कुछ नहीं कहा, जो कि एक विनाशकारी फैसला था। रमेश ने कहा कि नोटबंदी के फैसले ने आर्थिक विकास की गति को काफी नुकसान पहुंचाया है, इस फैसले के कारण ही देश का MSME सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। इसके साथ ही इसने अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) को समाप्त ही कर दिया, जिसके कारण लाखों लोगों की आजीविका चली गई।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को किया खारिज

मालूम हो कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 500 और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के साल 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कार्यपालिका की आर्थिक नीति होने के कारण इस निर्णय को उलटा नहीं जा सकता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा, ' साल 2016 में नोटबंदी के फैसले से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श हुआ था।

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