जयंत की भी भाजपा के साथ डील पक्की, लोकसभा की दो और राज्यसभा की एक सीट पर बनी बात
भाजपा ने रालोद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा की ऐसी दो सीटें देने का प्रस्ताव किया है जो जाट बहुल है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की रजामंदी हुई तो तीसरी सीट के रूप में नगीना संभल अमरोहा और मथुरा में से कोई एक हो सकती है। भाजपा ने केंद्र की सत्ता में आने पर रालोद को एक कैबिनेट रैंक का मंत्रिपद भी देने का वादा किया है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। बिहार और बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गठबंधन को करारा झटका लगने वाला है। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की समाजवादी पार्टी (सपा) से दूरियां बढ़ गई हैं। रालोद की नई दोस्ती भाजपा के साथ होने जा रही है। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बात आगे बढ़ी है। शर्तें भी लगभग तय हो चुकी हैं।
रालोद और भाजपा के बीच लंबा खींच रहा बातचीत का सिलसिला
भाजपा ने रालोद को लोकसभा की दो सीटों के साथ राज्यसभा की एक सीट का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों का दावा है कि एक-दो दिनों में इसकी घोषणा भी हो जाएगी।
लगातार दो लोकसभा चुनावों में शून्य पर आउट रालोद की भाजपा से चार सीटों की अपेक्षा थी, जो भाजपा को मंजूर नहीं है। इसीलिए बात का सिलसिला कुछ लंबा खिंच रहा है, किंतु रालोद से जुड़े सूत्र का कहना है कि आखिरी दौर की बातचीत में दोनों दलों के नेतृत्व सहमति की ओर बढ़ रहे हैं।
भाजपा ने रालोद के कैबिनेट रैंक के मंत्रिपद देने का किया वादा
भाजपा ने रालोद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा की ऐसी दो सीटें देने का प्रस्ताव किया है, जो जाट बहुल हैं। तीसरी सीट पर मामला अटका है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की रजामंदी हुई तो तीसरी सीट के रूप में नगीना, संभल, अमरोहा और मथुरा में से कोई एक हो सकती है। भाजपा ने केंद्र की सत्ता में आने पर रालोद को एक कैबिनेट रैंक का मंत्रिपद भी देने का वादा किया है।
भाजपा ने इतनी सीटें देने की कही बात
प्रारंभिक दौर में जयंत चौधरी ने भाजपा से सहारनपुर, बागपत, बिजनौर और मथुरा की अपेक्षा की थी। दलित-मुस्लिम समीकरण के लिए नगीना, संभल एवं अमरोहा में किसी एक की भी मांग की गई थी। बात आगे बढ़ी। किंतु भाजपा ने इनकार किया तो जयंत तीन पर आकर ठहर गए।भाजपा की तरफ से लोकसभा की दो एवं राज्यसभा की एक सीट की पेशकश कर बात को विराम दे दिया गया। एक दौर ऐसा भी आया जब लगा कि बात बिगड़ गई है, किंतु फिर घोषित चैनल और बड़े नामों को दरकिनार कर अभियान में दोनों तरफ के विश्वस्तों को लगाया गया।