'जज साहब ये एक साथ दो घोड़े की सवारी कर रहे हैं, सोरेन की गिरफ्तारी को अवैध घोषित...', ED और कोर्ट के इन सवालों में उलझ गए सिब्बल
Hemant Soren Kapil Sibal कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश हैं जो कहते हैं कि अगर मामले में बाद में कोई डेवलपमेंट होता है तो कोर्ट राहत देने से इनकार कर सकता है। पीठ ने कहा कि मान लो यह अदालत गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर देती है तो उन दो आदेशों का क्या होगा। सिब्बल ने कहा कि वो दोनों आदेश खत्म हो जाएंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जमीन घोटाले (Jharkhand Land Scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Jharkhand Money Laundering Case) में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने को सुप्रीम कोर्ट से (Arrest Hemant Soren SC News) फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सोरेन के वकील से सवाल किया कि जब अदालत प्रवर्तन निदेशालय (ED On Hemant Soren) द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुकी है जिसमें अदालत ने माना है कि प्रथमदृष्टया मामला बनता है। तो फिर आप बताइये कि अदालत के संज्ञान लेने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट गिरफ्तारी की वैधता पर विचार कर सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आपकी नियमित जमानत खारिज हो चुकी है । ऐसे में आप कोर्ट को संतुष्ट करें कि क्या अदालत इसके बाद भी मामले पर विचार कर सकती है और अगर अदालत मामले पर विचार करती है तो उन दोनों आदेशों का क्या होगा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने हेमंत सोरेन की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि इस मामले में बाद में जो डेवलेपमेंट हुए हैं उन्हें लेकर कोर्ट को संतुष्ट कीजिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।
सोरेन ने HC के आदेश को SC में चुनौती दी
सिब्बल ने कोर्ट की जिज्ञासाओं का जवाब देने के लिए बुधवार तक का समय मांग लिया। कोर्ट मामले पर बुधवार को फिर सुनवाई करेगा। ईडी ने जमीन धोखाधड़ी के केस में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट ने तीन मई को खारिज कर दी थी। सोरेन ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। साथ ही चुनाव को देखते हुए अंतरिम जमानत मांगी है।
सोरेन की नियमित जमानत अर्जी भी खारिज
मंगलवार को सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एडीशनल सालिसटिर जनरल(एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि इस मामले में अदालत ईडी द्वारा दाखिल कंप्लेन (आरोपपत्र) पर संज्ञान ले चुकी है। अदालत ने माना है कि सोरेन के खिलाफ प्रथमदृष्टया मामला बनता है। ऐसे में सोरेन यह कह कर गिरफ्तारी को चुनौती कैसे दे सकते हैं कि उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं है और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। अदालत से इनकी नियमित जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है।पीठ ने कहा- राहत के लिए कोर्ट को संतुष्ट करें
ईडी ने सोरेन के खिलाफ केस को मजबूत बताते हुए गवाहों के बयान आदि का जिक्र किया। हालांकि सिब्बल ने ईडी की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ईडी ने सिर्फ उन मौखिक साक्ष्यों की या गवाहियों पर विश्वास किया है जो कहते हैं कि जमीन हेमंत सोरेन की है लेकिन इस मामले में कोई वास्तविक साक्ष्य नहीं है सिर्फ मौखिक साक्ष्य हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि दस्तावेजों में स्थिति देखी जाए तो सोरेन का उस जमीन से कोई लेना देना नहीं है। जमीन किसी और के नाम है उस पर लगा मीटर और पट्टा भी किसी और के नाम है। पीठ ने कहा कि अंतरिम राहत देने के लिए कोर्ट को प्रथमदृष्टया संतुष्ट होना होगा।