Karnataka Assembly Election 2023: चुनाव से पहले ही भाजपा को लगे 8 झटके, दो बड़े नेताओं ने थामा कांग्रेस का हाथ
Karnataka Assembly Election 2023 कर्नाटक चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद से भाजपा के कई नेता पार्टी छोड़ कांग्रेस-जेडीएस में शामिल हो गए हैं। इनमें पूर्व सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम भी शामिल हैं।
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 17 Apr 2023 01:14 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Karnataka Assembly Election 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न पार्टियों ने अपने ज्यादातर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। सूची जारी होने के बाद से ही प्रदेश की राजनीति चरम पर है। इस बीच टिकट न मिलने से भाजपा के कई नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इनमें से 8 बड़े नेताओं ने तो पार्टी भी छोड़ दी है।
पूर्व सीएम कांग्रेस में शामिल
भाजपा के कई नेताओं ने बीते दिनों टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस या जेडीएस का दामन थाम लिया है। इन नेताओं में भाजपा की ओर से पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी है। शेट्टार तो भाजपा छोड़ने के बाद आज ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं। उनका भाजपा से जाना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
कुल 8 नेताओं ने छोड़ी पार्टी
विधानसभा चुनाव के लिए टिकट जारी होने के बाद भाजपा के कुल 8 नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इनमें पूर्व सीएम, पूर्व डिप्टी सीएम से लेकर कई विधायक और एमएलसी तक शामिल है। इसी सूची में पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी भी शामिल है।इनके अलावा पूर्व विधायक डीपी नारीबोल, मंत्री एस अंगारा और बीएस येदियुरप्पा के करीबी डॉक्टर विश्वनाथ के साथ मौजूदा विधायक एमपी कुमारस्वामी, मौजूदा विधायक रामप्पा लमानी, मौजूदा विधायक गुली हटी शेखर, मौजूदा एमएलसी शंकर शामिल हैं।
सावदी और शेट्टार के जाने से बड़ा झटका
भाजपा को जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के जाने से बड़ा झटका लगा है। माना जा रहा है कि पार्टी को आने वाले चुनाव में इसके चलते बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। दरअसल, शेट्टार हुबली-धारवाड़ से चुनाव लड़ते आए हैं और यहीं से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने देने से मना कर दिया।कांग्रेस को मिल सकते हैं लिंगायत समुदाय के वोट
शेट्टार लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और उनका कांग्रेस में शामिल होना पार्टी के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। लिंगायत समुदाय के कर्नाटक में 18 फीसद मतदाता हैं और वो भाजपा के समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, अब शेट्टार के भाजपा से जाने के बाद वो अकेले 20 से 25 सीटों पर असर डाल सकते हैं।