Karnataka Election 2023: कर्नाटक, गुजरात में बचाई पार्टी की साख, कौन हैं कांग्रेस के 'संकटमोचक' डीके शिवकुमार?
Who is DK Shivakumar कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता है। उन्होंने कई मौकों पर अपनी पार्टी को मुश्किलों से बाहर निकाला है। उनके पास अरबों की संपत्ति है। डीके पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Sat, 13 May 2023 08:36 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। सात बार के विधायक डीके शिवकुमार कर्नाटक में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। डीके शिवकुमार को कर्नाटक में कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है। कर्नाटक या गुजरात में जब भी कांग्रेस फंसी, तब डीके शिवकुमार ही थे जिन्होंने अपनी पार्टी को मुसीबत से बाहर निकाला।
डीके शिवकुमार को कहते हैं कांग्रेस का संकटमोचक
डीके शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक क्यों कहा जाता है, इसका उदाहरण वो कई बार दे चुके हैं। बात 2018 के विधानसभा चुनाव की है। इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। हालांकि, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को कुछ ही विधायकों की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कहा जाता है कि ऐसा डीके शिवकुमार की वजह से हुआ। डीके की वजह से ही कांग्रेस और जेडीएस का एक भी विधायक पाला नहीं बदल सका और येदियुरप्पा सरकार नहीं बना सके।
गुजरात में भी साबित की वफादारी
गुजरात में राज्यसभा का चुनाव था। कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे थे। कई विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा चुके थे। ऐसे में डीके शिवकुमार ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी की जीत की जिम्मेदारी ले ली। डीके ने गुजरात कांग्रेस के सभी 44 विधायकों को बेंगलुरु में अपने रिसॉर्ट में भेज दिया। इसका असर ये हुआ कि एक भी विधायक पाला नहीं बदल सका और अहमद पटेल चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंच गए। यही वजह है कि वो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं।सबसे अमीर नेताओं में से एक
डीके देश के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक हैं। कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने नामांकन दाखिल किया है। इसमें उन्होंने अपनी संपत्ति 1,413.78 करोड़ रुपये घोषित की है। वहीं, 2018 के चुनाव में उन्होंने 840 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति की घोषणा की थी। 2013 के चुनावों से ये लगभग 590 करोड़ रुपये ज्यादा थी।