2018 से लेकर 2023 तक, कर्नाटक में कैसे बदली विपक्षी एकता की तस्वीर; क्या 2024 में बनेगा भाजपा विरोधी मोर्चा?
कर्नाटक में सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथग्रहण कर लिया है। उनके शपथग्रहण समारोह में कई विपक्षी दल शामिल हुए लेकिन कुछ नेता नदारद रहे। ऐसे में यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि क्या 2024 में भाजपा विरोधी मोर्चा बनेगा।
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में सिद्दरमैया ने 20 मई को शपथ लिया। इस दौरान मंच पर कई विपक्षी नेता मौजूद रहे। आज से करीब पांच साल पहले 2018 में जब कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की सरकार बनी थी तो उस समय भी आज की ही तरह विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा था। भाजपा को संदेश देने के लिए सभी विपक्षी दल एक मंच पर नजर आए थे। हालांकि, इस बार कुछ नेता मंच पर नहीं दिखे।
संयुक्त भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की तैयारी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने में जुटे हैं, जो संयुक्त भाजपा विरोधी मोर्चा बना सकता है। पिछली बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विपक्षी एकता का प्रयास कर रही थीं। हालांकि, 2018 में यह प्रयास रंग नहीं लाया और लड़ाई 'मोदी बनाम बाकी' के रूप में खत्म हो गई।
ये नेता शपथग्रहण समारोह से रहे नदारद
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, अखिलेश यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो पिछली बार कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, इस बार सिद्दरमैया के शपथग्रहण समारोह से नदारद रहे। कहा जा रहा है कि इन सभी को निमंत्रण नहीं भेजा गया था। वहीं, उद्धव ठाकरे अज्ञात कारणों से समारोह में शामिल नहीं हो पाए। इन नेताओं की अनुपस्थिति से इस बात पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं कि क्या 2024 में विपक्ष एक होगा और भाजपा विरोधी मोर्चे का गठन होगा।
बिहार में हो सकती है विपक्षी दलों की बैठक
नीतीश कुमार ने संकेत दिया है कि जल्द ही बिहार में विपक्षी दलों की एक बैठक हो सकती है। हालांकि, इस बैठक में कौन शामिल होगा, क्या कांग्रेस इस बैठक में शामिल होगी, इसे लेकर सवालिया निशान बना हुआ है। आम आदमी पार्टी तेजी से कांग्रेस के लिए चुनौती बन रही है। पंजाब में 'आप' ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। ऐसे में 'आप' का कांग्रेस के जाने की संभावना बहुत कम दिखाई देती है।