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Karnataka Election Result 2023: चुनावों में क्यों होती है 'जमानत जब्त', क्या है इसके मायने?

Karnataka Election Result कर्नाटक चुनाव के परिणाम में कांग्रेस ने बाजी मार ली जबकि बीजेपी को बहुत कम सीट मिली है। लेकिन आप को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। आप के सभी प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त कर ली गई। क्या आप जानते हैं जमानत राशि का मतलब?

By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sun, 14 May 2023 11:25 AM (IST)
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कर्नाटक में AAP के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त
नई दिल्ली, ऑलनाइन डेस्क। Karnataka Election Result 2023:कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के नतीजे कल यानी 13 मई को घोषित कर दिए गए। कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस ने बाजी मार ली, जबकि बीजेपी बुरी तरह से हार गई। कांग्रेस ने 224 सीटों में से 136 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं, भाजपा केवल 66 सीट ही जीत पाई।

चुनाव में विभिन्न पार्टियों के 2,615 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन उनमें से जीत केवल 224 उम्मीदवारों की हुई है। चुनाव में कई उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई, जिसमें आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशी शामिल हैं, क्योंकि आप को कर्नाटक चुनाव में नोटा से भी कम वोट हासिल हुए थे।

लेकिन क्या आप जानते हैं यह जमानत जब्त होना आखिर क्या होता है और यह क्यों की जाती है, किसी प्रत्याशी के जमानत जब्त होने के बाद उसका क्या होता है। आइए हम आपको बताते हैं कि यह जमानत जब्त कैसे होती है और इसकी क्या प्रक्रिया है।

क्या होता है जमानत जब्त होने का मतलब?

लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनाव में जब भी कोई उम्मीदवार टिकट मिलने पर चुनाव लड़ना चाहता है, तो पहले उसे नामांकन भरना पड़ता है, पर्चा भरने के दौरान ही उम्मीदवार को जमानत राशि जमा करनी होती है। उम्मीदवार चुनाव आयोग को एक तय रकम जमा करवाता है, इसे ही जमानत कहा जाता है। अगर कोई उम्मीदवार तय वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है।  

ये जमानत राशि हर चुनाव में अलग-अलग होती है। पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार को जमानत राशि देनी ही होती है और यदि निर्धारित किए गए वोट हासिल नहीं होते हैं, तो जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।

कब जब्त होती है जमानत राशि?

भारत का चुनाव आयोग विभिन्न नियमों और मानदंडों के तहत किसी भी चुनाव का आयोजन कराता है और नियमों का पालन करने के लिए हर उम्मीदवार प्रतिबद्ध होता है। ठीक इसी तरह चुनाव में हार जाने के बाद उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है। किसी भी चुनाव में उम्मीदवार को यदि अपनी जमानत बचानी होती है तो उम्मीदवार को उस निर्वाचन क्षेत्र में पड़े वोटों का 6वां हिस्सा हासिल करना होता है।

अगर किसी उम्मीदवार को इतने वोट नहीं मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है। उदाहरण के तौर पर समझें तो यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीट पर वहां 1 लाख वोटर्स हैं तो उस सीट से खड़े उम्मीदवार को अपनी जमानत राशि को बचाने के लिए 16,666 वोट हासिल करना जरूरी होता है। यदि उम्मीदवार इतने वोट हासिल नहीं कर पाता है तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।

कितनी जमा करानी होती है जमानत राशि ?

लोकतंत्र भारत में कई तरह के चुनाव होते हैं, इसलिए हर चुनाव में जमानत की राशि अलग-अलग होती है। पंचायत चुनाव, ,लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ ही में राष्ट्रपति के चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार के लिए जमानत राशि अलग-अलग होती है।

लोकसभा चुनाव:- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 34 1(a) के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है। वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है।

विधानसभा चुनाव:- विधानसभा चुनाव में भी जमानत की राशि अलग होती है। जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव:- राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी जमानत राशि देनी ही होती है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।

किस एक्ट में है जमानत राशि का जिक्र?

लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में किया गया है, जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है। इसी के तहत उम्मीदवारों को जमानत राशि जमा करनी होती है।

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क्या वापस भी मिलती है जमानत राशि?

चुनाव में निर्धारित किए गए वोट न प्राप्त होने पर उम्मीदवार की जमानत राशि जब्त कर ली जाती है, लेकिन कुछ ऐसी भी स्थितियां होती हैं, जिनमें जमानत राशि उम्मीदवार को वापस मिल जाती है।

1..अगर किसी उम्मीदवार का नामांकन चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है तो उसकी जमानत राशि चुनाव आयोग वापस कर देता है।

2..अगर उम्मीदवार को उसके निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से ज्यादा वोट मिल जाते हैं तो उसे भी जमानत राशि वापस मिल जाती है। भले ही वह व्यक्ति चुनाव हार जाए।

3..कोई उम्मीदवार निर्धारित समय सीमा में अपना नामांकन वापस ले लेता है,तो उसे भी जमानत राशि वापस दे दी जाती है।

4.. वोटिंग शुरू होने से पहले किसी प्रत्याशी का निधन हो जाए तो उसे प्रत्याशी के परिवार वालों को यह जमानत राशि दे दी जाती है।

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