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कर्नाटक का नुकसान महाराष्ट्र में उठाएगी कांग्रेस! भाजपा ने घेरने का बनाया पूरा प्लान

कांग्रेस को न सिर्फ कर्नाटक बल्कि महाराष्ट में भी कठघरे में खड़ा करने की तैयारी शुरू हो गई है। किसानों को वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन लेने की बाबत थमाए गए नोटिस सरकार ने भले वापस ले लिए हों पर भाजपा इस मुद्दे को आसानी से नहीं छोड़ेगी। वहीं महिलाओं की मुफ्त बस यात्रा बंद करने जैसे प्रस्ताव ने भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 01 Nov 2024 11:45 PM (IST)
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कर्नाटक के मुद्दे महाराष्ट्र में भी मुद्दों को प्रभावित कर सकते हैं। (File Image)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों में लगातार विवादों में घिर रही कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के सामने अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है। बीजापुर सहित अन्य जिलों के किसानों को वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन लेने की बाबत थमाए गए नोटिस भारी विरोध के बाद भले ही सरकार ने वापस ले लिए हों, लेकिन भाजपा के हाथ एक बहुत संवेदनशील मुद्दा आ गया है।

वक्फ को लेकर नरम दिख रही कांग्रेस को न सिर्फ कर्नाटक बल्कि महाराष्ट में भी कठघरे में खड़ा करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसी तरह महिलाओं की मुफ्त बस यात्रा बंद करने जैसे प्रस्ताव को भी भाजपा ने इस रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस चुनावी घोषणाओं से जनता की आंखों में धूल झोंकती है, लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाती।

घेरने की तैयारी में भाजपा

अब भाजपा ने इन मुद्दों पर आंदोलन के लिए बांहें कर्नाटक में चढ़ाई हैं, लेकिन पड़ोस के चुनावी राज्य महाराष्ट्र में भी भाजपा खास तौर पर किसानों और वक्फ बोर्ड के मुद्दे को उछालकर कांग्रेस की राह में कर्नाटक के कांटे बिछाने के लिए तैयार है। कर्नाटक में जमीन घोटालों के आरोपों में घिरी कांग्रेस सरकार की ओर से लगभग दो सप्ताह पहले राज्य के विजयपुरा (बीजापुर) के सैकड़ों किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड का दर्शाते हुए नोटिस जारी कर दिए गए।

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के करीबी माने जाने वाले वक्फ मंत्री जमीर अहमद ने बकायदा इसके लिए अधिकारियों के साथ बैठक की और जमीन वक्फ बोर्ड के नाम जल्द रजिस्टर्ड कराने के लिए निर्देशित किया। इस मुद्दे पर किसानों का उद्वेलित होना स्वाभाविक है। राज्य भर में प्रदर्शन के साथ किसानों ने आरोप लगाए कि अन्य जिलों में भी किसानों को इस तरह के नोटिस जारी किए गए हैं।

भाजपा ने मुद्दे को लपका

इस संवेदनशील मुद्दे को लपकते हुए भाजपा ने भी मुखरता से उठाया। तब मामले की ताप भांपते हुए कर्नाटक सरकार बैकफुट पर आई और नोटिस वापस लेने का आश्वासन दिया, लेकिन मुद्दा खड़ा हो गया। भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस को किसान विरोधी और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए पांच नवंबर से राज्यस्तरीय आंदोलन की हुंकार भरी है।

भाजपा सवाल यह भी उठा ही है कि जब वक्फ संशोधन बिल संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रही है? क्या मौजूदा कानून का अनुचित लाभ लेकर किसानों की जमीन वक्फ बोर्ड को सौंपने का षड्यंत्र है? गौरतलब है कि संसदीय समिति वक्फ संशोधन पर विचार कर रही है जिसमें प्रस्ताव है कि वक्फ किसी जमीन पर अधिकार जताता है तो उसे सबूत देने होंगे। उस साक्ष्य पर फैसला करने का अधिकार जिलाधिकारी के पास होगा।

विपक्षी दलों ने किया विरोध

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल न सिर्फ इस संशोधन के खिलाफ हैं, बल्कि पिछली कुछ बैठकों में विपक्ष की ओर से उग्रता के साथ विरोध किया जा रहा है। भाजपा की ओर से इसे तुष्टीकरण के सबूत के रूप में पेश किया जा रहा है। कर्नाटक में चूंकि किसानों पर वक्फ का असर दिखा तो भाजपा इसकी तैयारी में है कि महाराष्ट्र के किसानों को अभी से आगाह किया जाए कि अघाड़ी सत्ता में आई तो उनके लिए परेशानी बढ़ेगी। महाराष्ट्र में चुनाव चल रहा है, लिहाजा पड़ोसी राज्य कर्नाटक में विजयेंद्र और पूरी भाजपा इस मुद्दे को धार देंगे। मुडा में दलितों कीजमीन हड़पने से लेकर किसानों की जमीन पर वक्फ की तलवार जैसे कई सवाल बार बार पूछे जाएंगे।