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Katchatheevu Island: क्या कच्चाथीवू द्वीप को भारत में वापस लाएंगे मोदी? कांग्रेस नेता बोले- तमिलनाडु की इतनी ही चिंता तो पीएम...

Katchatheevu Island कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने कच्चाथीवू मुद्दा उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उन्हें चुनौती दी कि अगर उन्हें तमिलनाडु की इतनी ही चिंता है तो वह श्रीलंका से यह द्वीप वापस ले लें। कांग्रेस नेता ने आगे आश्वासन दिया कि अगर रामनाद जिले में तमिल मछुआरों पर हमला किया गया तो कांग्रेस श्रीलंका से द्वीप वापस लेने के लिए आवाज उठाएगी।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 01 Apr 2024 12:21 PM (IST)
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Katchatheevu Island पीएम मोदी पर कांग्रेस का पलटवार।

एएनआई, नई दिल्ली। Katchatheevu Island कच्चाथीवू द्वीप को लेकर देश की राजनीति में बवाल मचा है। पीएम मोदी ने इस को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है तो वहीं अब कांग्रेस ने भी पलटवार किया है। कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने कच्चाथीवू मुद्दा उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उन्हें चुनौती दी कि अगर उन्हें तमिलनाडु की इतनी ही चिंता है तो वह श्रीलंका से यह द्वीप वापस ले लें।

पीएम मोदी को दी चुनौती

टैगोर ने कच्चाथीवू द्वीप पर प्रधानमंत्री के 'एक्स' पोस्ट के कुछ घंटों बाद कहा, "अगर उन्हें तमिलनाडु की इतनी चिंता है तो क्या वह कच्चाथीवु को वापस ले लेंगे? मैं पीएम मोदी को चुनौती देता हूं। वे विफल हो गए हैं।"

कांग्रेस उठाएगी आवाज

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आगे आश्वासन दिया कि अगर रामनाद जिले में तमिल मछुआरों पर हमला किया गया तो कांग्रेस श्रीलंका से द्वीप वापस लेने के लिए आवाज उठाएगी।

पीएम मोदी पर साधा निशाना

टैगोर ने कहा कि इस द्वीप पर अब राजनीति हो रही है, क्योंकि 10 वर्षों में पीएम मोदी ने इसके लिए कुछ नहीं किया। यह दावा करते हुए कि तमिलनाडु में भाजपा की चुनावी संभावनाएं कम हैं, टैगोर ने कहा कि पीएम मोदी को ये रणनीति बंद करनी चाहिए। 

टैगोर ने दावा किया कि भाजपा तमिलनाडु में "विभाजनकारी रणनीति" का उपयोग कर रही है क्योंकि लोग उन्हें राज्य में पसंद नहीं कर रहे हैं।

कांग्रेस ने रखी अपनी सफाई

भारत द्वारा श्रीलंका को कच्चाथीवू द्वीप देने के ऐतिहासिक संदर्भ को समझाते हुए टैगोर ने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इंदिरा गांधी-सिरीमावो भंडारनायके समझौता कहा गया। उस समय, 6 लाख तमिलों को बचाने के लिए, क्योंकि वे पुराने रामनाद जिले के मूल निवासी हैं, यह कच्चाथीवू द्वीप भारत सरकार ने श्रीलंकाई सरकार को दे दिया था। यह तमिलों को बचाने के लिए किया गया था।