Move to Jagran APP

तेलंगाना के सीएम केसीआर की नई राष्ट्रीय पहल से बिगड़ेगा केंद्र में विपक्षी एकता का समीकरण

कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस पर अनौपचारिक चर्चा करते हुए कहा कि केसीआर की ऐसी कोशिशें विपक्षी खेमे में बिखराव का नकारात्मक संदेश पहुंचाने में भूमिका जरूर निभाएगी। इस लिहाज से विपक्ष कमजोर होगा और भाजपा के लिए यह फायदेमंद हो सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Wed, 05 Oct 2022 07:29 PM (IST)
Hero Image
राष्ट्रीय स्तर पर पांव पसारने के उनके दांव ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सतर्क कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए पिछले कुछ अर्से से कमर कस रहे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी का नाम बुधवार को तेलंगाना राष्ट्रसमिति से बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर लिया है। राष्ट्रीय स्तर पर पांव पसारने के उनके दांव ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सतर्क कर दिया है। पार्टी केसीआर की इस पहल को केंद्र में विपक्षी एकता के समीकरण के लिए नुकसानदेह मान रही है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जेडीएस नेता कुमारस्वामी का केसीआर की इस पहल में शामिल होना इस नुकसान के शुरुआती संकेत भी माने जा रहे हैं।

सर्तक कांग्रेस में केसीआर की पहल को तवज्जो नहीं देने की रणनीति

राजनीतिक धूम-धड़ाके से शुरू की गई केसीआर की इस पहल के बावजूद कांग्रेस तथा उसके समर्थक विपक्षी खेमे के दल टीका-टिप्पणी से परहेज कर रहे हैं। इन दलों का मानना है कि केसीआर के इस राजनीतिक दांव को ज्यादा तवज्जो देना इसलिए भी मुनासिब नहीं है क्योंकि इसके सहारे वे विपक्षी खेमे की सियासत में अपनी हलचल बनाए रखना चाहते हैं। उनका मानना है कि टीआरएस चाहे बीआरएस बन जाए मगर केसीआर का राजनीतिक आधार तेलंगाना से बाहर नहीं है।

पर दूसरी सच्चाई यह भी है कि यही हाल किसी भी दूसरे क्षेत्रीय दल के नेताओं का है। डर यह है कि सूबे की सत्ता में होने के साथ अपने संसाधनों के सहारे वे कुछ राज्यों में ऐसे दलों के साथ राजनीतिक गलबहियां करने का प्रयास करेंगे जिनके कांग्रेस के साथ रिश्ते सहज नहीं हैं। ध्यान रहे कि पूर्व में केसीआर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से लेकर नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी जैसे की नेताओं से मिल चुके हैं।

केसीआर की कोशिशों से विपक्षी खेमे में बिखराव का संदेश

कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस पर अनौपचारिक चर्चा करते हुए कहा कि केसीआर की ऐसी कोशिशें विपक्षी खेमे में बिखराव का नकारात्मक संदेश पहुंचाने में भूमिका जरूर निभाएगी। इस लिहाज से विपक्ष कमजोर होगा और भाजपा के लिए यह फायदेमंद हो सकता है। जेडीएस नेता कुमारस्वामी की केसीआर की पहल में शामिल होने को इसका नमूना बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सही है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच चुनावी तालेमल की गुंजाइश नहीं है। लेकिन कांग्रेस की ओर से विपक्षी खेमे की राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक प्रयासों में जेडीएस अब तक शामिल होती रही थी, मगर केसीआर की पहल में उसके जुड़ने के बाद उसका रूख अलग होगा।

जिन दलों के कांग्रेस से बेहतर रिश्ते नहीं, उन्हें जोड़ने की कोशिश

जाहिर तौर पर केसीआर इसमें जगनमोहन रेडडी की वाइएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर आम आदमी पार्टी जैसे उन दलों को जोड़ने का प्रयास करेंगे, जिनके कांग्रेस से अच्छे रिश्ते नहीं हैं। ऐसे दलों की संख्या और ताकत अच्छी खासी है। वहीं दक्षिण राज्य से जुड़े एआइसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अधिकांश दल इस हकीकत को स्वीकार कर चुके हैं कि कांग्रेस के बिना राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की कोई धुरी नहीं बन सकती।

केसीआर ने अपनी पहल में कांग्रेस के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी ने इसीलिए केसीआर को हाल ही में बेलाग तरीके से इसे बता दिया। चंद्रशेखर राव इस सिलसिले में पिछले कुछ अर्से के दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, द्रमुक प्रमुख तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से लेकर जेएमएम नेता झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी मिले थे। लेकिन इन सभी ने दो टूक उन्हें बता दिया कि कांग्रेस को अलग कर विपक्षी एकता की पहल को आगे बढ़ाने की बात बेमानी है। इसके बावजूद केसीआर ने भाजपा के खिलाफ सियासी जंग की ताल ठोकने की अपनी पहल में कांग्रेस के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई है।

इसे भी पढ़ें: भाजपा से दो-दो हाथ करने से पहले विपक्ष के बीच होगा घमासान, विपक्षी खेमे में कौन सा फ्रंट होगा तैयार, असमंजस बरकरार

इसे भी पढ़ें: VIDEO: लांचिंग से पहले विवादों में घिरी KCR की राष्ट्रीय पार्टी, TRS नेता ने बांटी शराब की बोतलें और मुर्गा