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Arvind Kejriwal Bail: केजरीवाल को कैसे मिली जमानत? कोर्ट ने रखी ये 6 शर्तें, LG की भी हुई एंट्री

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आए। दिल्ली शराब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी। हालांकि दिल्ली के सीएम को शराब नीति मामले में राहत मिल गई है लेकिन उनकी शक्तियों में भारी कटौती की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सचिवालय जाने और फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए भी कुछ शर्तें लगाई हैं।

By Mala Dixit Edited By: Narender Sanwariya Updated: Fri, 13 Sep 2024 08:53 PM (IST)
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Arvind Kejriwal Bail News दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। (Photo Jagran)
Arvind Kejriwal Bail News : माला दीक्षित, नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सशर्त जमानत दे दी। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल पहले से ही अंतरिम जमानत पर हैं ऐसे में सीबीआई केस में जमानत मिलने के बाद उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को महत्व देते हुए केजरीवाल को जमानत तो दे दी है लेकिन उन पर जो कड़ी शर्तें लगाई हैं, उसका मतलब यही निकलता है कि केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद भी मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज नहीं करेंगे और न ही मुख्यमंत्री दफ्तर जाएंगे।

जमानत पर पीठ एकमत, गिरफ्तारी पर मतभिन्नता

केजरीवाल को जमानत देने के मुद्दे पर पीठ के दोनों न्यायाधीशों की राय एक है लेकिन, सीबीआई की गिरफ्तारी पर जजों में मतभिन्नता है। जस्टिस सूर्य कांत ने सीबीआई की गिरफ्तारी को वैधानिक ठहराते हुए कहा है कि उसमें कोई प्रक्रियात्मक या कानूनी खामी नहीं है। जबकि जस्टिस उज्जवल भुइयां ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया है और सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता की धारणा से बाहर आने की नसीहत दी है।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीबीआई ने केजरीवाल को 26 जून 2024 को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की अपीलों पर दिया।

केजरीवाल ने दो अपीलें दाखिल की थीं एक में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और दूसरी में जमानत मांगी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त 2024 को केजरीवाल की याचिकाएं खारिज करते हुए सीबीआई गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और जमानत के लिए उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था।

इन 6 शर्तों पर दी गई अरविंद केजरीवाल को जमानत

  1. अरविंद केजरीवाल मामले की योग्यता पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। ईडी मामलों में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी।
  2. वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे।
  3. केजरीवाल आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलती।
  4. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
  5. केजरीवाल किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे और मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी।
  6. केजरीवाल को 10 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है। इतनी राशि के दो जमानती भी पेश करने होंगे।

केजरीवाल को कैसे मिली जमानत?

  • शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पहली शर्त में केजरीवाल को सीबीआई केस में जमानत देते हुए कहा है कि दस लाख के जमानती बंधपत्र और इतनी राशि के दो जमानती पेश करने पर उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।
  • कोर्ट ने कहा कि मुकदमा लंबित रहने के दौरान आरोपी को लंबे समय तक कारावास में रखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करना है।
  • हालांकि कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कड़ी शर्तें लगाई हैं। शीर्ष अदालत ने दूसरी शर्त में कहा कि केस अभी ट्रायल कोर्ट में लंबित है, केजरीवाल सीबीआई केस के बारे में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
  • पीठ ने कहा कि सार्वजनिक मंचों पर अपने बारे में बखान की हालिया प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के लिए यह शर्त आवश्यक है। हालांकि इसमें उन पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी दलीलें रखने की कोई मनाही नहीं है।
  • इसके अलावा कोर्ट ने शर्त तीसरी लगाई है कि केजरीवाल ट्रायल के जल्दी निपटारे के लिए ट्रायल कोर्ट को पूरा सहयोग देंगे। हर तारीख पर कोर्ट में पेश होंगे जबतक कि उन्हें पेशी से छूट न दे दी गई हो।

पहले से लगी हुई है ये तीन शर्तें

इसके अलावा ईडी के मामले में जमानत के वक्त लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगीं, जैसे कि केजरीवाल सीएम दफ्तर और सचिवालय नहीं जाएंगे। किसी भी ऑफिशियल फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जबतक कि उपराज्यपाल (एलजी) की मंजूरी लेने के लिए उस फाइल पर हस्ताक्षर करना जरूरी न हो। वह किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे।

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