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Kerala: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- नेताओं और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन गई है यूनिवर्सिटी

राज्यपाल खान ने कहा कि केरल में पिछले साल तक 13 विश्वविद्यालय थे और सभी नियुक्तियां अवैध हैं। क्या कोई और राज्य है जहां कानून का उल्लंघन कर शत-प्रतिशत नियुक्तियां की गई हैं। विश्वविद्यालय पार्टी कैडर और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन गए हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Tue, 15 Nov 2022 02:42 PM (IST)
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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया
नई दिल्ली, एजेंसी। केरल के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आज एक बार फिर से नाराज नजर आए। दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए खान ने केरल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को चलाने का काम चांसलर के पास है, सरकार चलाना चुनी हुई सरकार के पास है। मुझे एक उदाहरण दें जहां मैंने सरकार के कारोबार में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, मैं उसी क्षण इस्तीफा दे दूंगा। मैं आपको हजारों उदाहरण दे सकता हूं जहां उन्होंने प्रतिदिन विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप किया गया है। मुझे लगता है कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आपके पास पर्याप्त सबूत हैं कि मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं जो दबाव बना सके।

विश्वविद्यालय पार्टी कैडर और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन गए हैं: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा कि आप यह मुद्दा क्यों नहीं उठाते कि पिछले साल तक केरल में 13 विश्वविद्यालय थे और सभी नियुक्तियां अवैध हैं? क्या कोई और राज्य है जहां कानून का उल्लंघन कर शत-प्रतिशत नियुक्तियां की गई हैं? विश्वविद्यालय पार्टी कैडर और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन गए हैं।

क्या है मामला?

दरअसल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के विपरीत सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर राज्य के नौ विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर से 24 अक्तूबर तक इस्तीफा देने को कहा था। राज्यपाल के इस आदेश के बाद केरल सरकार ने राजभवन के बाहर प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। जिसके बाद राज्यपाल और भड़क गए।

अध्यादेश फैसला नहीं देंगे, इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे

बता दें कि केरल सरकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को यूनिवर्सिटीज के चांसलर के पदों से हटाने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर सरकार एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर राज्यपाल ने कहा है कि अगर सीपीएम सरकार द्वारा कोई अध्यादेश उनके अधिकारों को लेकर भेजा गया है तो वह इस पर फैसला नहीं देंगे और इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे। दिल्ली में शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्हें अभी अध्यादेश देखना और पढ़ना है, इसके बाद ही वो कोई फैसला लेंगे।