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किरेन रिजिजू ने कश्मीर पर गिनाई नेहरू की पांच भूल, कहा- देश को सात दशक तक उठाना पड़ा नीतियों का नुकसान

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर नेहरू पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नेहरू की नीति थी पहले दोस्त फिर भारत। रिजिजू ने कश्मीर पर फिर से नेहरू की पांच भूल गिनाई है। उन्होंने कहा कि देश ने सात दशक तक उनकी नीतियों का नुकसान उठाया है।

By AgencyEdited By: Achyut KumarPublished: Mon, 14 Nov 2022 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2022 09:52 PM (IST)
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर समस्या के लिए पहले भी देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहरा चुके केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने उन्हें जयंती के दिन सोमवार को फिर कठघरे में खड़ा किया। अपने आलेख को ट्विटर पर साझा करते हुए उन्होंने 'कश्मीर पर नेहरू की पांच भूल' गिनाईं और कांग्रेस के पुरोधा की ' पहले दोस्त, फिर भारत' नीति को परिभाषित करते हुए तथ्यों के आधार पर इतिहास को सुधारने की पुरजोर पैरवी की।

नेहरू पर फिर रिजिजू ने बोला हमला

यूं तो नेहरू की कश्मीर नीति पर भाजपा अरसे से सवाल खड़ा करती रही है, लेकिन पिछले एक पखवाड़े में रिजिजू खासतौर से हमलावर हैं। 1947 में भारत में जम्मू और कश्मीर (27 अक्टूबर) के प्रवेश की वर्षगांठ पर भी उन्होंने अपने आलेख 'कश्मीर पर पांच नेहरूवादी भूलों की 75वीं वर्षगांठ' के जरिये हमला बोला था। 

नेहरू की नीति का भारत को सात दशक तक उठाना पड़ा नुकसान

पिछले दिनों इस मुद्दे पर कांग्रेस के अंदर भी जंग छिड़ गई थी, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और कर्ण सिंह में बहस हुई थी। सोमवार को एक के बाद एक कई ट्वीट के जरिए रिजिजू ने कांग्रेस नेता डा. कर्ण सिंह की प्रतिक्रिया को निराशाजनक बताते हुए लिखा कि नेहरू ने कश्मीर को भारत में शामिल करने की महाराजा हरि सिंह की याचिका को एक बार नहीं, बल्कि तीन बार खारिज किया। 'पहले दोस्त, फिर भारत' की सोच को 1947 की नेहरू की कश्मीर पर शुरुआती नीति परिभाषित करती है। इसका नुकसान भारत को सात दशक तक उठाना पड़ा।

'आखिर क्या हुआ था'

रिजिजू ने सवाल उठाया- 'आखिर क्या हुआ था? क्यों पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर को भारत का हिस्सा मानने में देरी की और पाकिस्तान को हमला करने का मौका दिया?' उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के हमले के बाद नेहरू गलत कानून के तहत संयुक्त राष्ट्र गए थे, जिसके कारण पाकिस्तान आक्रामक देश करार दिए जाने के बजाय एक पार्टी बन गया।

पारिवारिक इतिहासकारों ने नेहरू को किया महिमामंडित

अपने तथ्यों पर बल देते हुए कानून मंत्री ने आरोप लगाया- 'पारिवारिक इतिहासकारों ने नेहरू को महिमामंडित किया, लेकिन मैंने प्रत्येक ¨बदु को तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है। कांग्रेस और उसके सत्ता राजवंशियों ने भी नेहरू को पहले और भारत को बाद में रखा है। यह स्थापित तथ्य है। इसलिए अब समय आ गया है कि इतिहास के छात्रों के लिए तथ्यों के आधार पर इतिहास को सुधारने का साहस दिखाया जाए।'

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रिजिजू ने अपने लेख के तथ्य फिर से उल्लेखित किए हैं। इनमें 24 जुलाई, 1952 को लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा दिए गए भाषण का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने 1947 में कश्मीर विलय के प्रश्न को उठाया है। तब नेहरू ने कश्मीर को विशेष मामला कहा था।

अनुच्छेद 370 को लागू करना नेहरू की भूल 

21 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेहरचंद महाजन को लिखे पत्र का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के भारतीय संघ के साथ जुड़ाव की घोषणा को तब अवांछनीय बताया था। मोदी सरकार के मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लागू करने को भी नेहरू की भूल बताया है।

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