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हरियाणा विधानसभा में गूंजे ठहाके, शेरो-शायरी के जरिये सीएम मनोहर-भूपेंद्र हुड्डा ने एक-दूसरे पर कसे तंज

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पलटवार करते हुए शेर दागा कि जिसे निभा न सकूं ऐसा वादा नहीं करता मैं बात अपनी सीमा से ज्यादा नहीं करता तमन्ना रखता हूं आसमान छू लेने की लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं रखता।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 29 Dec 2022 08:44 PM (IST)
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चमन को रौंद डाला जिन्होंने पैरों से, वही दावा कर रहे चमन की रहनुमाई का : भूपेंद्र सिंह हुड्डा
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा विधानसभा में बुधवार को सदन के नेता मुख्यमंत्री मनोहर लाल और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच इशारों ही इशारों में खूब जुबानी तीर चले। गन्ने के दाम बढ़ाने को लेकर चली बहस के बीच दोनों ने शेरो-शायरी के जरिये एक-दूसरे पर तंज कसे। इस दौरान दोनों पक्ष ठहाकों के साथ अपने नेता का जोश बढ़ाते रहे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जहां सार्वजनिक मंचों के साथ ही विधानसभा में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा खोदे गड्ढे भरने का दावा करते रहे हैं।

इशारों-इशारों में चले आरोप-प्रत्यारोप, ठहाकों से गूंजता रहा सदन

वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सरकार के पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाते हुए घेराबंदी करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। सत्ता पक्ष द्वारा बार-बार हर चीज के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराने पर चुटकी लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शायराना अंदाज में कहा कि 'चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी मानता हूं मैं, यही इल्जाम लग रहा है हम पर बेवफाई का, अरे चमन को रौंद डाला जिन्होंने अपने पैरों से, वही दावा कर रहे हैं, इस चमन की रहनुमाई का।'

मुख्यमंत्री पलटवार करते हुए शेर दागा

इस पर मुख्यमंत्री भी भला कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने पलटवार करते हुए शेर दागा कि 'जिसे निभा न सकूं, ऐसा वादा नहीं करता, मैं बात अपनी सीमा से ज्यादा नहीं करता, तमन्ना रखता हूं आसमान छू लेने की, लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं रखता।' इस पर हुड्डा ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि 'न पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहां तक है, पूछ ले तेरी हसरत जहां तक है, वफा की उम्मीद उन्हें होगी तुमसे, जिनकी आंखें बंद हैं मैं तो दुनिया को दिखा रहा हूं, तू बेवफा कहां तक है।'

फिर मुख्यमंत्री ने प्रत्युत्तर दिया कि 'हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ते अपने आप हो जाएंगे' बात यहीं नहीं थमी। शेरो-शायरी का क्रम आगे बढ़ाते हुए हुड्डा ने कहा कि 'मेरे जुनूं का नतीजा जरूर निकलेगा, इसी स्याह समंदर से नूर निकलेगा, गिरा दिया है तो साहिल पे इंतजार न कर, अगर वो डूब गया है तो दूर निकलेगा, उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ, हमें यकीन था कि हमारा कुसूर निकलेगा।' फिर क्या था। मुख्यमंत्री ने पलटवार किया कि 'मेरी खामोशियों का लिहाज कीजिए, मेरे लफ्ज आपसे बर्दाश्त नहीं होंगे।'

दांत छोड़, पहले मेरी आंख बचा

दोनों तरफ से चल रही शेरो-शायरी के बीच भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक किस्सा सुनाते हुए सरकार की तुलना नरवाना के एक झोलाछाप डाक्टर से की जो दांत दर्द के इलाज का दावा करता था। न उसके पास जमूरा था और न कोई अन्य उपकरण। अपने पास केवल दो शीशी रखी थीं, जिनमें से एक में मिर्च का पानी था। एक मरीज आया तो उसने मिर्च का पानी उसकी आंख में डाल दिया।

दर्द से कराहता मरीज आंख बचाने की गुहार करने लगा तो झोलाछाप ने कहा कि दांत के दर्द का क्या हुआ। मरीज ने कहा कि छोड़ मेरे दांत को, पहले आंख बचा। इस पर सदन में गूंजते ठहाकों के बीच हुड्डा ने तंज कसा कि सरकार भी कुछ ऐसा ही व्यवहार कर रही है। पूछो कुछ, बताया कुछ और जाता है।

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