मोबाइल की तरह अब बिजली कंपनी भी चुनने की होगी आजादी, पर करना होगा थोड़ा इंतजार
Monsoon Session 2022 बिजली मंत्री आर के सिंह का कहना है कि अगले आठ वर्षों में देश में बिजली उत्पादन की क्षमता को दोगुना करने के लिए जरूरी भारी निवेश जुटाने में यह विधेयक काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 08:39 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले तीन वर्षों तक सोच-विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश तो कर दिया लेकिन विपक्षी दलों के भारी विरोध की वजह से इस पर वोटिंग करवाने के बजाये संसदीय समिति को सौंपने का फैसला किया गया। एक ही बिजली वितरण क्षेत्र में एक से ज्यादा कंपनियों के प्रवेश को खोलने और बिजली वितरण कंपनियों को समय पर राज्यों की तरफ से भुगतान करने की व्यवस्था करने वाले इस विधेयक के खिलाफ कई राज्यों में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने हड़ताल का भी आयोजन किया था।
बिजली मंत्री आर के सिंह का कहना है कि अगले आठ वर्षों में देश में बिजली उत्पादन की क्षमता को दोगुना करने के लिए जरूरी भारी निवेश जुटाने में यह विधेयक काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। यह विधेयक आम ग्राहक को टेलीफोन, मोबाइल प्रदाता कंपनियों की तरह बिजली वितरण कंपनी (डिस्काम) को चुनने का विकल्प देगा।विधेयक के कई प्रावधानों को लेकर विपक्षी दलों को काफी आपत्तियां थी। टीएमसी, कांग्रेस व कुछ दूसरे दलों ने आरोप लगाया कि बिजली राज्यों के अधिकार का मामला है लेकिन यह विधेयक उनसे इस क्षेत्र के कई अधिकार ले कर केंद्र के हाथों में दे देगा। बाद में बिजली मंत्री सिंह ने स्वयं ही संसदीय समिति को सौंपने की पेशकश की जिसे स्वीकार कर लिया गया। विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है कि सरकार इससे किसानों को सस्ती दर पर बिजली देने के मौजूदा तौर-तरीके पर लगाम लगा देगी।
बिजली मंत्री सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रस्तावित विधेयक में किसानों के हितों को प्रभावित करने वाला कोई मुद्दा ही नहीं है। विपक्षी दल के नेताओं ने इस विधेयक के बारे में पढ़ा नहीं है या फिर पढ़ा है तो उसे समझा नहीं है। बिजली मंत्री ने विपक्ष के इस आरोप को भी खारिज किया है कि प्रस्तावित विधेयक को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई।
बिजली की दर का एक न्यूतनम स्तर प्रस्तावित करने का प्रावधान बिजली मंत्री सिंह के मुताबिक सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से विमर्श किया गया। उन्होंने जोर दे कर कहा कि इस विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो बिजली क्षेत्र में सब्सिडी देने के मौजूदा तौर-तरीके में किसी तरह की बाधा उत्पन्न करता हो। कोई सरकार जितनी सब्सिडी देना चाहती है, दे सकती है। हां, क्रास सब्सिडी को रोकने के प्रावधान जरूर प्रस्तावित हैं। इसके तहत बिजली की दर का एक न्यूतनम स्तर प्रस्तावित करने का प्रावधान है। इससे कम दर कोई भी नहीं रख सकेगा। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अगर एक सेक्टर से आप ज्यादा बिजली बिल वसूल रहे हैं तो उसे ऐसे वर्ग पर खर्च किया जाए जिसे इसकी जरूरत है। इससे बिजली वितरण कंपनियों का ही भला होगा।
अगर उक्त विधेयक के मौजूदा प्रस्ताव को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया जाता है तो अभी जिस तरह से एक ग्राहक टेलीफोन, मोबाइल या इंटरनेट की सेवा कई कंपनियों में से चुनता है वैसी ही आजादी बिजली सेक्टर में मिलेगी।साइबर हमले से पूरे देश के बिजली सेक्टर को हो सकता है नुकसानअभी एक वितरण क्षेत्र में एक ही डिस्काम होती है लेकिन प्रस्ताव में इसे दूसरी कंपनियों के लिए खोलने का प्रस्ताव है। संभावित साइबर हमले के बारे में उन्होंने कहा कि अब समूचा ट्रांसमिशन लाइन एक हो गया है। इस पर एक बड़ा साइबर हमला पूरे देश के बिजली सेक्टर को नुकसान हो सकता है। पहले भी हमला करने की कोशिश हुई है और आज भी हो रही है। प्रस्तावित विधेयक से इन हमलों को रोकने वाले तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि किस तरह से यह काम होगा। बिजली वितरण कंपनियों के लिए अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली खरीदने की भी बाध्यता लागू होगी।