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Lok Sabha Election 2024: मिशन दक्षिण भारत पर निकली भाजपा, कर्नाटक में शाह तो तमिलनाडु पहुंचे नड्डा

संसद के बजट सत्र की समाप्ति के अगले ही दिन भाजपा मिशन 2024 के तहत दक्षिण भारत में पैठ बनाने की कोशिशों में जुट गई है। दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर तमिलनाडु केरल आंध्रप्रदेश में भाजपा की पैर जमाने की कोशिशें अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। तेलंगाना आंध्रप्रदेश कर्नाटक तमिलनाडु और केरल में लोकसभा की कुल 131 सीटों में अभी भाजपा के पास केवल 29 सीटें हैं।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Sun, 11 Feb 2024 10:00 PM (IST)
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मिशन 2024 के तहत दक्षिण भारत में पैठ बनाने की कोशिशों में जुटी भाजपा

नीलू रंजन, नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की समाप्ति के अगले ही दिन भाजपा मिशन 2024 के तहत दक्षिण भारत में पैठ बनाने की कोशिशों में जुट गई है। इस सिलसिले में गृहमंत्री अमित शाह गुजरात का कार्यक्रम स्थगित कर कर्नाटक पहुंचे तो तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चेन्नई में रैली को संबोधित किया।

दक्षिण भारत में पैर पसारने की कोशिश में जुटी भाजपा

दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश में भाजपा की पैर जमाने की कोशिशें अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। 2019 में पूर्वोत्तर के राज्यों, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे पूर्वी भारत में दमदार उपस्थित दर्ज कराने वाली भाजपा 2024 में दक्षिण भारत में पैर पसारने की कोशिश में जुटी है।

दक्षिण भारत में दिख रही संभावना

दरअसल 2019 में उत्तर, मध्य और पश्चिमी भारत में अधिकांश सीटें जीत चुकी भाजपा के लिए बढ़त गुजाइंश नहीं है। पूर्वोत्तर भारत में कुछ सीटें जरूर बढ़ सकती हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाजपा के अकेले 370 सीटें जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दक्षिण भारत में सबसे अधिक संभावना है।

131 सीटों में भाजपा के पास सिर्फ 29 सीटें

तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में लोकसभा की कुल 131 सीटों में अभी भाजपा के पास केवल 29 सीटें हैं। इनमें कर्नाटक में 28 में 25 सीटें और एक समर्थिक उम्मीदवार के सहारे भाजपा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चुकी है। लेकिन आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल का किला अभी तक भाजपा के लिए अभेद्य रहा है।

कर्नाटक में लिंगायत वोटबैंक को एकजुट करने की कोशिश

दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ बढ़ाने की कोशिशों को इस बात से समझा जा सकता है कि सुत्तुर मठ के कार्यक्रम में अमित शाह ने खुद कहा कि गुजरात के कार्यक्रम को रद्द कर उन्होंने कर्नाटक में आने का फैसला किया। लिंगायत समुदाय से जुड़े सुत्तुर मठ के कार्यक्रम में भाग लेकर अमित शाह ने लिंगायत वोटबैंक को एकजुट करने की कोशिश की।

लिंगायत वोटबैंक के छिटकने से भाजपा को सत्ता से धोना पड़ा था हाथ

पिछले साल विधानसभा चुनावों में लिंगायत वोटबैंक के छिटकने की वजह से भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। लिंगायत वोटबैंक को एकजुट करने के लिए भाजपा ने बीएस येदुरप्पा के बेटे बीवाई येदुरप्पा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। पिछले दिनों कांग्रेस में चले गए पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार की वासपी लिंगायत वोटबैंक के फिर से एकजुट होने का साफ संकेत माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा को जेडीएस के साथ तालमेल के बाद वोक्कालिगा वोटबैंक के भी जुड़ने की उम्मीद है।

कर्नाटक में भाजपा जल्द करेगी प्रचार अभियान की शुरुआत

कर्नाटक में प्रदेश के कोर कमेटी के नेताओं के साथ बैठक में शाह ने पिछली बार के प्रदर्शन को दोहराने की रणनीति पर चर्चा की और इसके लिए नेताओं को जरूरी निर्देश दिये। अगले कुछ दिनों में जेडीएस के साथ सीटों के बंटवारे की घोषणा के बाद पार्टी प्रचार अभियान शुरु करेगी। वहीं, तमिलनाडु में अभी तक एआइएडीएमके की वैशाखी के सहारे चलने वाली भाजपा अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। इस बार एनआइएडीएमके के साथ गठबंधन टूट चुका है और भाजपा के आक्रमक रूख को देखते हुए इसके दोबारा होने की संभावना भी कम ही है।

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पिछले दिनों दिल्ली में एआइएडीएमके व अन्य दलों को 14 पूर्व विधायकों और एक पूर्व सांसद को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने अपनी रणनीति भी साफ कर दी है। असम समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना भी भाजपा इसी तरह से दूसरे दलों के नेताओं को शामिल कर जनाधार बनाने और असम, त्रिपुरा समेत कई राज्यों में सरकार तक बनाने में सफल रही है।

जेपी नड्डा ने की लोकसभा की रणनीति पर चर्चा

जेपी नड्डा ने भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लोकसभा की रणनीति पर चर्चा की और छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ समझौते की संभावना भी टटोली। केरल में भाजपा ईसाई समुदाय के बीच पैठ बनाने की कोशिश में जुटी है, लेकिन चार-पांच सीटों पर पूरी ताकत लगाकर खाता खोलने की उम्मीद कर रही है।

वहीं, तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीआरएस की हार के बाद भाजपा को लोकसभा में कांग्रेस से मुकाबले की उम्मीद है। आंध्रप्रदेश को लेकर भाजपा की रणनीति अभी तक साफ नहीं हो पाई है। चंद्रबाबू नायडू के साथ जेपी नड्डा और अमित शाह की मुलाकात के बाद टीडीपी और भाजपा के बीच गठबंधन की उम्मीद बढ़ गई, लेकिन कुछ दिन बाद ही जगन मोहन रेड्डी की प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के बाद गठबंधन को लेकर आशंका जतायी जाने लगी है।

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