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Lok Sabha Election Result 2024: दक्षिण में कांग्रेस ने खुद को किया मजबूत; केरल, कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी का कैसा रहा प्रदर्शन?

Lok sabha Election Result 2024 दक्षिण भारत के चार राज्यों में कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति पहले से है।दो राज्यों में अपनी है और एक राज्य में सहयोगी दल के साथ गठबंधन की सरकार है। ऐसे में भाजपा की तुलना में कांग्रेस के लिए दक्षिण के राज्यों में पहले से ही ज्यादा संभावना थी। परिणाम भी उम्मीदों के अनुरूप ही आया।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 04 Jun 2024 11:49 PM (IST)
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दक्षिण में कांग्रेस ने खुद को किया मजबूत। फाइल फोटो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दक्षिण भारत के चार राज्यों में कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति पहले से है। दो राज्यों में अपनी है और एक राज्य में सहयोगी दल के साथ गठबंधन की सरकार है। ऐसे में भाजपा की तुलना में कांग्रेस के लिए दक्षिण के राज्यों में पहले से ही ज्यादा संभावना थी। परिणाम भी उम्मीदों के अनुरूप ही आया।

कांग्रेस ने दक्षिण में बढ़ाई 13 सीटें

कांग्रेस ने दक्षिण के पांच राज्यों एवं तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 13 सीटें बढ़ाई हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को इन राज्यों में सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत मिली थी, जो भाजपा के बराबर थी। इस बार कांग्रेस ने 42 सीटों का जुगाड़ दक्षिण के राज्यों से ही किया है। हालांकि कर्नाटक में सरकार होने के बावजूद सीटों के मामले में वह भाजपा से पिछड़ गई है, लेकिन तेलंगाना में सरकार होने का उसे फायदा मिला है। पिछली बार राज्य में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं, जो इस बार बढ़कर आठ हो गईं।

कांग्रेस को मिल सकता है फायदा

दस वर्षों से लगातार तेलंगाना की सत्ता में मजबूती से अड़ी-खड़ी भारत राष्ट्र समिति को निर्वासित कर कांग्रेस ने अपने लिए मजबूत जगह बनाई है। समझा जा रहा कि कांग्रेस को इसका दूरगामी फायदा मिल सकता है। संसदीय चुनाव के लिहाज से दक्षिण में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ केरल को माना जाता है।

कांग्रेस को कर्नाटक में मिली बड़ी कामयाबी

पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से लड़कर कांग्रेस की जड़ें जमाई थी। कांग्रेस को इस प्रदेश की 20 सीटों में से 15 सीटें मिली थीं। इस बार भी 14 सीटों के साथ कांग्रेस ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। कांग्रेस को बड़ी कामयाबी कर्नाटक में मिली है। 2019 के चुनाव में उसे कर्नाटक में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। इस बार यह संख्या बढ़कर नौ हो गई है। कांग्रेस ने इनमें से ज्यादातर सीटें भाजपा से ही छीनी है।

दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस के लिए सबसे कमजोर कड़ी आंध्र प्रदेश है, जहां वह लगभग डेढ़ दशक से वापसी के प्रयास में है। आंध्र प्रदेश में राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे, लेकिन उनके निधन और 2009 में पार्टी में विभाजन के बाद से कांग्रेस इस प्रदेश में कमजोर होती चली गई।

कड़ी मशक्कत कर रही पार्टी

स्थिति यहां तक आ गई कि उसे एक प्रतिशत वोट के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस बार राजशेखर रेड्डी की पुत्री एवं वाइएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी को प्रदेश की कमान देकर कांग्रेस ने प्रदेश में वापसी का पूरा प्रयास किया, लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ा। आज भी वह हाशिये पर खड़ी है।

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