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Lok Sabha Election Results 2024: I.N.D.I.A को मिली बड़ी संख्या, 18वीं लोकसभा में आधिकारिक रूप से होगा नेता प्रतिपक्ष

Lok sabha Election Result 2024 लोकसभा चुनाव-2024 के नतीजों ने साफ कर दिया है कि जनता को केवल बहुमत की सरकार ही नहीं देश में एक मजबूत विपक्ष भी चाहिए। इस जनादेश की खूबसूरती यही है कि जनता ने सरकार और विपक्ष से देश के व्यापक हित से जुड़े सवालों पर एक दूसरे से संवाद करने और जहां जरूरत हो सहयोग भी करने की अपेक्षा की है।

By Sanjay Mishra Edited By: Sonu Gupta Updated: Wed, 05 Jun 2024 12:08 AM (IST)
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18वीं लोकसभा में आधिकारिक रूप से होगा नेता प्रतिपक्ष। फाइल फोटो।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2024 के नतीजों ने साफ कर दिया है कि जनता को केवल बहुमत की सरकार ही नहीं, देश में एक मजबूत विपक्ष भी चाहिए। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन आईएनडीआईए को लोकसभा में मिली बड़ी संख्या इस बात का प्रमाण है।

ताकतवर होगा विपक्ष

चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने जैसी वापसी की है, उसमें सत्ता से वह भले दूर रह गई हो मगर यह तय हो गया है कि 18वीं लोकसभा में आधिकारिक रूप से नेता विपक्ष होगा। भाजपा-राजग गठबंधन की सरकार तीसरी बार कमान संभालती है तो उसे पिछले ढाई दशक में संसद में सबसे ताकतवर विपक्ष से रूबरू होना पड़ेगा।

चुनाव नतीजों के अब तक के आंकड़ों से साफ है कि कांग्रेस जहां तीन अंकों के करीब पहुंचकर पहले से कहीं ज्यादा राजनीतिक ताकत से सत्ता को चुनौती देगी तो विपक्षी आईएनडीआईए का 235 के आसपास का लोकसभा में सीटों का आंकड़ा भाजपा-राजग को एकतरफा फैसले लेने की गुंजाइश नहीं देगा।

विपक्ष के सहयोग की होगी जरूरत

विपक्ष के मजबूत होने का सबसे बड़ा फर्क यह होगा कि संसद में आम सहमति के राजनीतिक दौर की वापसी का रास्ता बनेगा क्योंकि भाजपा-राजग सरकार को तीसरी पारी में संसद में अपने नीतिगत फैसलों से लेकर हर अहम विधायी कार्य के लिए विपक्ष के सहयोग की जरूरत होगी। इस जनादेश की खूबसूरती यही है कि जनता ने सरकार और विपक्ष से देश के व्यापक हित से जुड़े सवालों पर एक दूसरे से संवाद करने और जहां जरूरत हो, सहयोग भी करने की अपेक्षा की है।

कांग्रेस को पिछले 10 साल में भूगता पड़ा ये खामियाजा

लोकतंत्र पर खतरे और बहुमतवाद का राजनीतिक विमर्श पिछले कुछ वर्षों से चल रहा था जिसकी वजह लोकसभा में विपक्ष का कम संख्या बल होना रहा है। मालूम हो कि कांग्रेस को 2014 के चुनाव में 44 और 2019 में केवल 52 लोकसभा सीटें मिली थीं जिसका नतीजा रहा कि बीते 10 वर्षों से लोकसभा में कोई आधिकारिक विपक्ष का नेता नहीं था। 18वीं लोकसभा में कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन से इस पर जहां ब्रेक लगा दिया है, वहीं कई राज्यों में भाजपा को मजबूत चुनौती दी है।

इन राज्यों में कांग्रेस ने पेश की मजबूत चुनौती

कांग्रेस ने कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, गोवा में भाजपा के लिए मजबूत चुनौती पेश की है तो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर भाजपा को रोक लिया है। महाराष्ट्र और हरियाणा में अगले चार महीने में चुनाव होने हैं और इस नतीजे का बड़ा असर इन राज्यों पर पड़ सकता है।

1998 में सबसे मजबूत था विपक्ष

अटल बिहारी वाजपेयी की 1998 में बनी भाजपा-राजग की सरकार के समय विपक्ष सबसे मजबूत था और यही वजह रही कि 1999 में जब अविश्वास प्रस्ताव लाया गया तब वाजपेयी सरकार एक वोट से हार गई। 2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग की सरकार बनी तो भाजपा 137 सीटों के साथ दमदार विपक्ष के रूप में थी मगर तब भी विपक्षी दलों की संयुक्त ताकत इतनी नहीं थी जितनी 2024 में चुनी गई लोकसभा में है।

2009 में भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही थी मगर 2014 तथा 2019 में कांग्रेस के कमजोर संख्या बल के कारण पार्टी को विपक्ष का आधिकारिक दर्जा नहीं मिल पाया। लोकसभा में विपक्ष के कमजोर होने से राजनीति के बदले तेवरों का ही नतीजा है कि 18वीं लोकसभा में जनता ने पिछले 10 वर्ष की एकतरफा राजनीति पर ब्रेक लगा दिया है।

कांग्रेस के साथ कई दल भी हुए मजबूत

कांग्रेस के साथ ही आईएनडीआईए में उसके सहयोगी क्षेत्रीय दल उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सपा, तमिलनाडु में द्रमुक, महाराष्ट्र में शिवसेना-यूबीटी और शरद पवार की राकांपा से लेकर बंगाल में ममता बनर्जी विपक्ष की मजबूत व अहम कड़ी बनकर उभरे हैं। बिहार में राजद का प्रदर्शन जरूर आशानुरूप नहीं रहा, मगर गठबंधन की साझी ताकत तेजस्वी यादव को आगे की लड़ाई के लिए उम्मीद देगी। 

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