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Lok sabha Election Result 2024: क्या अकेले सरकार बना सकती है भाजपा? NDA में सबसे अहम होगी इन दो दलों की भूमिका

लोकसभा 2024 आम चुनाव के रुझान मंगलवार (04 मई 2024) देर शाम तक जो सामने आए हैं उससे एक देश की केंद्रीय राजनीति में गठबंधन के दौर के लौटने के संकेत हैं। भाजपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है हालांकि भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सक्षम है।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 04 Jun 2024 08:48 PM (IST)
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राजग गठबंधन में सबसे अहम होगी जद (यू) और टीडीपी की भूमिका।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। Lok Sabha Election Result 2024:  'हम गठबंधन की सरकार हैं। इससे हमारे विकल्प सीमित हो जाते हैं।' पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने यह बात वर्ष 2014 में अपने अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही थी। तकरीबन दस वर्षों तक गठबंधन सरकार चलाने वाले मनमोहन सिंह की यह बात दरअसल भारत में गठबंधन की राजनीति का एक सच है जो देश के सामने एक बार फिर आ गया है।

क्या अकेले सरकार बनाने की स्थिति में है भाजपा?

लोकसभा 2024 आम चुनाव के रुझान मंगलवार (04 मई, 2024) देर शाम तक जो सामने आए हैं उससे एक देश की केंद्रीय राजनीति में गठबंधन के दौर के लौटने के संकेत हैं। भाजपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है, हालांकि भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सक्षम है।

राजग में बढ़ा टीडीपी और जदयू का कद

तीन दर्जन से ज्यादा दलों वाला गठबंधन राजग में जिन दो दलों को लेकर सबसे ज्यादा नजर रहेगी वो हैं तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड)। इन दोनों के पास 30 सीटें होने से इनकी खास अहमियत होगी।

दिख चुका है पहले ही झलक

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि गठबंधन में शामिल पार्टियां का रवैया बहुत हद तक मुख्य पार्टी की सीटों से तय होता है। जब मूल पार्टी के पास कम सीटें होती हैं तो समर्थन करने वाले दल ज्यादा आक्रामक होते हैं और अपने मुद्दों पर अडिग रहते हैं। वर्ष 2004 की मनमोहन सिंह सरकार में और इसके पहले की अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार के कार्यकाल में यह देखा जा चुका है। उक्त दोनों कार्यकाल में गठबंधन में शामिल पार्टियों ने समय समय पर अपनी ही सरकारों के लिए परेशानियां पैदा की हैं।

2014 से 2019 तक भाजपा को नहीं आई कोई दिक्कत

वहीं, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित राजग सरकार के कार्यकाल में ऐसा देखने को नहीं मिला था। वर्ष 2014 में भाजपा के पास 282 सीटें और वर्ष 2019 के चुनाव में 303 सीटें थी। लिहाजा राजग में शामिल दूसरे दलों के पास 'सौदेबाजी की ताकत'  नहीं थी। यह स्थिति अब बदल सकती है।

भाजपा की बनी रहेगी क्षेत्रीय दलों पर निर्भरता

इस बार हालांकि भाजपा की स्थिति बहुत कमजोर नहीं है फिर भी क्षेत्रीय दलों पर निर्भरता को बनी ही रहेगी। मजबूत विपक्ष होने के कारण बार बार इसे टेस्ट भी किया जाएगा। जानकार बता रहे हैं कि राजग की केंद्र सरकार में जद(यू) और टीडीपी शामिल होते हैं उनकी तरफ से केंद्र सरकारों पर बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज मांगने का दबाव बनाया जा सकता है।

सीएम नीतीश बनाते रहे हैं भाजपा पर दबाव

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी पहले से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का दबाव बनाते रहे हैं, ताकि केंद्रीय संसाधन से राज्य को विकास के लिए ज्यादा फंड मिल सके। इसी तरह से टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा चुनाव में केंद्र से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज हासिल करने को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था। अब जब उन्हें विधानसभा चुनाव में भी भारी सफलता मिल चुकी है और 16 सीटों के साथ वह केंद्र सरकार के गठन में भी उनकी भूमिका बढ़ गई है तब उनकी तरफ से इस मांग को लेकर दबाव बनाया जा सकता है।

दोनों पार्टियां मनपसंद मंत्रालयों के लिए बना सकती हैं दबाव

सरकार में शामिल होने की स्थिति में उक्त दोनों पार्टियां मनपसंद मंत्रालयों के लिए भी दबाव बनाने में माहिर हैं। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में जदयू) मुखिया नीतीश कुमार का पसंदीदा मंत्रालय रेलवे थे। बाद में उन्होंने कृषि मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी। वर्ष 2019 में भी सरकार में शामिल होने के लिए जद(यू) रेल मंत्रालय की मांग कर रहा था।

इस मंत्रालय पर हो सकती है टीडीपी की नजर

टीडीपी की पसंद आर्थिक मंत्रालय होते हैं। बताया जा रहा है कि टीडीपी की नजर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर हो सकती है। राजग सरकार में शामिल होने वाले कुछ दूसरी छोटी पार्टियां की भी मंत्रालयों के चयन में इस बार ज्यादा चल सकती है। इसमें लोजपा (राम विलास) की तरफ से भी महत्वपूर्ण मंत्रालय मांगे जा सकते हैं।

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