Lok Sabha Speaker Election result: ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़ा किया पर क्यों नहीं की Voting की मांग? जानें वजह
Lok sabha speaker लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव में ओम बिरला ध्वनिमत से अध्यक्ष बन गए। लेकिन पर्याप्त संख्याबल न होने के बावजूद कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़ा करके क्या संदेश देना चाहा? प्रत्याशी खड़ा करने पर टीएमसी और कांग्रेस का मतभेद भी सामने आया। स्पीकर पद के लिए मतदान क्यों नहीं हुआ और यदि मतदान हो जाता तो क्या होता? यहां जानिए सबकुछ।
दीपक व्यास, डिजिटल डेस्क। Lok Sabha Speaker Chunav Result 2024 तमाम कयासों और सर्वसम्मति के प्रयासों के बीच ध्वनिमत से ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष चुन लिए गए। लोकसभा में स्पीकर पद पर आम सहमति की कोशिश को लेकर एनडीए की ओर से राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से चर्चा की थी, लेकिन बात नहीं बनी। विपक्ष ने मांग रखी कि स्पीकर पद पर सर्वसम्मति के लिए हम तैयार हैं, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष से ही होना चाहिए। एनडीए से इस सवाल का जवाब न मिलने पर कांग्रेस ने के. सुरेश को ओम बिरला के विरुद्ध चुनाव में उतार दिया। लेकिन, सवाल यह उठता है कि स्पीकर पद के लिए जब कांग्रेस ने उम्मीदवार उतार दिया तो फिर मत विभाजन की मांग क्यों नहीं की।
कांग्रेस ने क्यों नहीं कराया मत विभाजन?
ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर बन गए। 18वीं लोकसभा में इस पद के लिए सर्वसम्मति नहीं बन पाई। बिना वोटिंग के ही ध्वनिमत से ओम बिरला का चयन हो गया। आखिरकार कांग्रेस ने मत विभाजन क्यों नहीं कराया। सवाल यह भी कि जब मत विभाजन यानी वोटिंग नहीं कराना था तो फिर प्रत्याशी ही क्यों खड़ा किया। वैसे इससे पहले तीन बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए वोटिंग हो चुकी है। सबसे पहले 1952, फिर 1967 और इसके बाद 1976 में ऐसा हो चुका है।प्रत्याशी उतारना क्या विपक्ष की डिप्लोमेसी का था हिस्सा?
लोकसभा सपीकर पद के चुनाव में प्रत्याशी को खड़ा करना क्या विपक्ष की डिप्लोमेसी का हिस्सा था? प्रत्याशी खड़ा करके आखिर विपक्ष ने एनडीए सरकार को क्या संदेश देने की कोशिश की है? इस बारे में आईएनडीआईए के सहयोगी दल जनता दल युनाइटेड के नेता और मंत्री ललन सिंह ने जब लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान की बात का जिक्र किया, तो संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कह दिया कि विपक्ष की ओर से मत विभाजन को लेकर कोई मांग ही नहीं रखी गई।कांग्रेस ने वोटिंग न कराने पर क्या रखा पक्ष?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने प्रत्याशी उतारने के बाद भी मत विभाजन की मांग क्यों नहीं की। रमेश ने कहा कि पार्टी ने अपने डेमोक्रेटिक राइट का उपयोग करते हुए के. सुरेश के रूप में प्रत्याशी उतारा। कांग्रेस चाहती तो वोटिंग की मांग कर सकती थी, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। रमेश ने कहा कि मत विभाजन की मांग इसलिए नहीं की गई कि आम सहमति का माहौल बने। यह हमारी ओर से रचनात्मक कदम था। रमेश ने स्पष्ट किया कि आईएनडीआईए की पार्टियां सर्वसम्मति और सहयोग की उस भावना को मजबूत करना चाहती थी, जो पीएम और एनडीए के कामों में परिलक्षित नहीं होती है।
यही बात कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी दोहराई। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमने प्रत्याशी उतारा, लेकिन हमारा विरोधर सांकेतिक था, डेमोक्रेटिक था, क्योंकि जैसी की परंपरा है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष की ओर से होता है, इस पर एनडीए तैयार नहीं हो रही थी। हमने प्रत्याशी खड़ा करके साफ कर दिया कि संविधान नहीं बदलने देंगे। परंपरा के खिलाफ एनडीए को नहीं जाने देंगे।#WATCH आज हुए लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "...मैं आपको औपचारिक तौर से कह रहा हूं, हमने (मत) विभाजन नहीं मांगा...हमने इसकी मांग इसलिए नहीं की क्योंकि हमें यह उचित लगा कि पहले दिन एक आम सहमति बने, एक आम सहमति का माहौल बने। यह हमारी ओर से एक रचनात्मक… pic.twitter.com/FSazFBQ35b
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2024