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विपक्ष ने नई लोकसभा की पहली चर्चा में ही आक्रामक-मुखरता की खींच दी लाइन, राहुल गांधी को इस बात का पूरा यकीन

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है । कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी है। इस बीच राहुल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को बधाई दी और यकीन जताया कि विपक्ष को सदन में बोलने का पूरा मौका मिलेगा।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Wed, 26 Jun 2024 10:28 PM (IST)
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राहुल गांधी ने ओम बिरला को दी बधाई (Image: ANI)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। प्रतिपक्ष के नए नेता राहुल गांधी के साथ विपक्षी खेमे के तमाम नेताओं ने नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिरला को बधाई देने के दौरान ही सदन में पक्ष और प्रतिपक्ष के अधिकारों की सीमारेखा खींचते हुए दो टूक संदेश दे दिया कि ताकतवर होकर उभरा विपक्ष नवगठित 18वीं लोकसभा में अपनी आवाज दबाने के किसी प्रयास को सहन नहीं करेगा।

इन मुद्दों पर की गई चर्चा

साथ ही मणिपुर हिंसा, किसानों की पीड़ा से लेकर नफरती हिंसा और पिछली लोकसभाा में डेढ सौ सांसदों के निलंबन जैसे सत्ता को असहज करने विषयों का जिक्र कर आइएनडीआइए गठबंधन ने साफ कर दिया कि गतिरोध के बहाने ज्वलंत सवालों को उठाने से रोकना संभव नहीं होगा।

राहुल गांधी ने ओम बिरला को दी बधाई

लोकसभा में नेता विपक्ष के रूप में अपने पहले संबोधन में ही राहुल गांधी ने बिरला को बधाई देने के साथ कहा, यह सदन हिंदुस्तान के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है और आप उस आवाज के संरक्षक हैं। निस्संदेह सरकार के पास सत्ता की शक्ति है, लेकिन विपक्ष भी देश के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है। इस बार विपक्ष पिछली बार की तुलना में देश के लोगों की अधिक आवाज का प्रतिनिधित्व करता है।

विपक्ष आपके काम में आपकी सहायता करना चाहेगा और हम चाहेंगे कि सदन अच्छी तरह से चले।राहुल गांधी ने कहा कि इसके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विश्वास के आधार पर सहयोग हो। विपक्ष को जनता की आवाज सदन में उठाने की अनुमति दी जाए और उन्हें विश्वास है कि स्पीकर हमें देश के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करने देंगे।

विपक्ष की आवाज को दबाना गैर-लोकतांत्रिक विचार

नेता विपक्ष ने कहा कि सदन कितनी कुशलता से चलता है इससे ज्यादा अहम सवाल यह है कि सदन में देश की आवाज को सुनने की कितनी अनुमति दी जाती है। इसलिए सदन को कुशलतापूर्वक चलाने के नाम पर विपक्ष की आवाज को दबाना गैर-लोकतांत्रिक विचार है।

राहुल ने कहा कि इस चुनाव ने दिखाया है कि हिंदुस्तान के लोग विपक्ष से देश के संविधान की रक्षा करने की उम्मीद करते हैं। हमें यकीन है कि विपक्ष को बोलने का मौका देकर आप देश के संविधान की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाएंगे। नेता विपक्ष के इन तेवरों को और धार देते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बिरला को बधाई देते हुए कहा कि स्पीकर का आसन मुख्य न्यायाधीश की तरह है जिससे निष्पक्षता की उम्मीद है। साथ ही कहा कि उनका अंकुश विपक्ष पर तो रहा ही है पर अब यह अंकुश सत्तापक्ष पर भी रहे।

सदन स्पीकर के इशारे पर चलना चाहिए

पिछली लोकसभा में सांसदों के निलंबन और निष्कासन का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि सदन स्पीकर के इशारे पर चलना चाहिए इसका उलटा न हो क्योंकि स्पीकर का आसन बहुत उंचा है। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने भी सांसदों के निलंबन की घटना को अवांछित करार देते हुए कहा कि विपक्ष संख्या बल में इस बार ताकतवर है।

द्रमुक के टीआर बालू ने आसन के निष्पक्ष व्यवहार की स्पष्ट अपेक्षा की। शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत ने पिछली लोकसभा को संसदीय स्वर्णकाल बताने के सत्तापक्ष के रूख पर पलटवार करते हुए कहा कि सांसदों को निलंबित-निष्कासित कर विधेयक पारित कराना कैसे गौरवपूर्ण है। घृणा की जगह सदभाव की बात उठाते हुए सावंत ने कहा कि मणिपुर की हिंसा से लेकर किसानों की पीड़ा सुनने के लिए संसद के संवेदनाओं की दीवार टूटनी चाहिए।

स्वायत्तता सुरक्षित रखना स्पीकर की जिम्मेदारी

आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि संसद की स्वतंत्रता और स्वायत्तता सुरक्षित रखना स्पीकर की जिम्मेदारी है न कि सत्तापक्ष का संरक्षण करना। एआइएमआइएम के असद्दुदीन औवेसी ने कहा कि सदन का स्वरूप इस बार बदल गया है और भाजपा अब विपक्ष को कुचलकर आगे नहीं बढ़ सकती।

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