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LS Speaker Contest: विपक्ष ने के सुरेश को ही ओम बिरला के खिलाफ क्यों उतारा? 8 बार सांसद रह चुके कांग्रेस नेता को यहां जानिए

18वीं लोकसभा शुरू हो चुकी है और अभी से ही लोकसभा स्पीकर पद के लिए चर्चाएं शुरू हो गई हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और इंडिया गठबंधन स्पीकर पद के लिए एक दूसरे के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। चुनाव कल 26 जून को होगा और एनडीए के ओम बिरला और इंडिया गठबंधन के कोडिकुन्निल सुरेश के बीच मुकाबला होगा।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Published: Tue, 25 Jun 2024 05:10 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2024 05:10 PM (IST)
26 जून को होगा लोकसभा स्पीकर पद का चुनाव (Image: ANI)

पीटीआई, नई दिल्ली। Lok Sabha Speaker Contest: भारतीय इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर तय करने के लिए चुनाव होगा। आमतौर पर लोकसभा स्पीकर पद के लिए पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति बन जाती है, लेकिन 26 जून को पहली बार चुनाव के जरिए स्पीकर की घोषणा होंगी।

इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को स्पीकर पद के लिए अपना प्रत्याशी चुना है। वहीं, भाजपा के तरफ से ओम बिरला स्पीकर पद के प्रत्याशी घोषित हुए है। दोनों ने ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। बता दें कि ओम बिरला पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, के सुरेश केरल के मावेलिकरा से आठ बार सांसद रह चुके हैं। 

कौन हैं के सुरेश?

लोकसभा अध्यक्ष के लिए विपक्ष की पसंद कोडिकुन्निल सुरेश हैं, जो भाजपा के ओम बिरला के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। कोडिकुन्निल सुरेश कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और आठ बार सांसद रह चुके हैं। 2009 में उनका चुनाव केरल उच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बहाल कर दिया। 66 वर्षीय सुरेश ने केरल के मावेलिक्कारा (एससी) निर्वाचन क्षेत्र से मात्र 10,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की।

उनके पहले नाम के पीछे की क्या है सच्चाई?

उनका पहला नाम तिरुवनंतपुरम के कोडिकुन्निल से लिया गया है, जहां उनका जन्म 4 जून, 1962 को हुआ था।सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए और फिर 1991, 1996 और 1999 के चुनावों में भी चुने गए। वे 1998 और 2004 में चुनाव हार गए।

2009 में जब उनके प्रतिद्वंद्वी ने दी थी चुनौती

2009 में, उन्होंने फिर से जीत हासिल की, लेकिन उनकी जीत को उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ने चुनौती दी, जिन्होंने आरोप लगाया कि सुरेश ने एक फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश किया और कहा कि वे ईसाई हैं। केरल उच्च न्यायालय ने उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को पलट दिया।

सीपीआई के पराजित उम्मीदवार ए एस अनिल कुमार और दो अन्य की चुनाव याचिका को स्वीकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि सुरेश 'चेरामार' समुदाय के सदस्य नहीं हैं और इसलिए अनुसूचित जाति के नहीं हैं। न्यायालय ने यह भी माना कि वह मावेलिकरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि यह अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है। 

सुरेश का राजनीति सफर कैसा?

सुरेश ने पहली बार 1989 में अदूर से लोकसभा से राजनीति सफर शुरू किया था। इसके बाद 1991, 1996 और 1999 में तीन बार इसी निर्वाचन क्षेत्र से वह सांसद बने और 2009 के चुनाव में 48,046 मतों के अंतर से मावेलिक्कारा से निर्वाचित घोषित किए गए। 

एलएलबी की डिग्री रखने वाले सुरेश ने 2014, 2019 और अभी-अभी संपन्न 2024 के चुनावों में फिर से जीत हासिल की हैं। वह कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं।

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