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मध्‍य प्रदेश में भी लागू हुआ लव जिहाद के खिलाफ कानून, सहयोग करने वाले भी लाए गए सजा के दायरे में, जानें प्रावधान

मध्‍य प्रदेश सरकार ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक- 2020 को अधिसूचित कर दिया है। इससे अब कथित लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून अब लागू हो गया है। पिछले साल दिसंबर में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 09 Jan 2021 11:55 PM (IST)
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मध्‍य प्रदेश सरकार ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक- 2020 को अधिसूचित कर दिया है।

भोपाल, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश में भी लव जिहाद में शामिल लोगों पर कानूनी शिकंजा कस गया है। प्यार के नाम पर धोखा देकर विवाह करने या मतांतरण करने वालों के लिए मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 की अधिसूचना शनिवार को जारी होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया। छह माह में इसे विधानसभा से पारित कराना होगा। इस कानून में मतांतरण में सहयोग करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है। पैतृक धर्म में वापसी को मतांतरण नहीं माना जाएगा।

राज्यपाल की स्वीकृति के बाद राजपत्र में प्रकाशन 

मालूम हो कि मध्‍य प्रदेश में विधानसभा का शीतकालीन सत्र कोरोना संकट के कारण स्थगित कर दिया गया था। कैबिनेट ने अध्यादेश के जरिये कानून लागू करने के लिए इसके मसौदे को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति के बाद शनिवार को इसका राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया।

मतांतरण का दायरा

1- मतांतरण के उद्देश्य से नकद वस्तु, दान, रोजगार, किसी धार्मिक निकाय द्वारा संचालित विद्यालय में शिक्षा, दैवीय प्रसाद आदि को प्रलोभन माना गया है।

2- मनोवैज्ञानिक दबाव, भौतिक बल प्रयोग या धमकी देकर बाध्य करना।

3- पैतृक धर्म में वापसी को मतांतरण नहीं माना जाएगा। पैतृक धर्म वह है, जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का होगा।

सजा के प्रावधान

1- महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर कम से कम दो तथा अधिकतम दस साल के कारावास की सजा होगी। जुर्माना भी पचास हजार से कम नहीं होगा।

2- मतांतरण की शिकायत माता-पिता, भाई या बहन अथवा रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण से संबंधित व्यक्ति कर सकेगा।

3- धर्म छिपाकर विवाह करने वालों को कम से कम तीन साल की सजा। इसे बढ़ाकर दस वर्ष तक किया जा सकता है। जुर्माना 50 हजार रुपये से कम नहीं होगा।

4- सामूहिक मतांतरण में कम से कम पांच साल की सजा। इसे दस साल तक किया जा सकता है। जुर्माना कम से कम एक लाख रुपये होगा।

5- धोखा देकर किए गए विवाह से उत्पन्न संतान को पिता की वारिस के तौर पर सभी अधिकार होंगे। विवाह शून्य घोषित करने की स्थिति में भी बच्चे के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।

6- मतांतरण करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा।

7- इस मामले में कानून कार्रवाई होने पर आरोपित को ही अपने दोषी नहीं होने के साक्ष्य देने होंगे।

8- उप निरीक्षक से नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी इस कानून में जांच नहीं करेगा।

बेटियों के साथ छल बर्दाश्‍त नहीं 

मध्‍य प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने इस मौके पर कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश ने मूर्त रूप ले लिया है। प्रदेश में अब कोई भी बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर, प्रलोभन के द्वारा हमारी बेटियों के साथ छल करेगा तो उसके खिलाफ इसी कानून के तहत उस पर कार्रवाई की जाएगी। इस कृत्य में सहयोग करने वाले भी कानून के अधीन आ गए हैं। इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है, इसलिए ऐसे सभी लोग खबरदार हो जाएं।