Maharashtra Election: चुनाव से पहले मनोज जरांगे के चक्कर काट रही सभी पार्टियां, आखिर क्यों की जा रही सीक्रेट मीटिंग
Maharashtra Assembly Election महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियों अपनी रणनीतियों पर काम करने में जुट गई है। इस बीच विभिन्न दलों के नेताओं ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे से मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया है। सभी नेता जरांगे से मिलने के लिए कतार में लग गए हैं।
एजेंसी, मुंबई। Maharashtra Assembly Election महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियों अपनी रणनीतियों पर काम करने में जुट गई है। इस बीच विभिन्न दलों के नेताओं ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे से मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया है।
क्यों की जा रही जरांगे से मुलाकात
सभी नेता जरांगे से मिलने के लिए कतार में लग गए हैं, जो पिछले साल तक बहुत कम ही मिलते थे। दरअसल, सभी पार्टियां समर्थन जुटाने के लिए उनसे मिल रही हैं और नेता खुद के लिए चुनाव टिकट सुनिश्चित करने के लिए मेलजोल बढ़ा रहे हैं।
कौन है मनोज जरांगे?
बता दें कि पिछले साल सितंबर में मनोज जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों को आरक्षण देने के लिए आंदोलन किया था, जिससे वह चर्चा में आ गए। तब से उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में कम से कम आधा दर्जन बार भूख हड़ताल की है, जिससे वे सुर्खियों में आ गए हैं।
लोकसभा चुनाव में दिखा था असर
विश्लेषकों के अनुसार, मराठा आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जिसने लोकसभा चुनावों में महायुति को नुकसान पहुंचाया था। जरांगे ने कहा है कि सरकार को मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करना चाहिए या 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतने होंगे।
पार्टी लाइन से परे कई नेताओं ने की मुलाकात
सरकार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ उनकी तीखी टिप्पणियों के बावजूद, हाल के दिनों में पार्टी लाइन से परे कई नेताओं और चुनाव उम्मीदवारों ने उनसे मुलाकात की है, जिनमें से कई ने उनके आंदोलन को समर्थन भी दिया है। एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के कारण आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक अभय देशपांडे ने कहा कि चुनाव के इच्छुक उम्मीदवार जो खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं, वे मराठवाड़ा क्षेत्र में जरांगे जैसे प्रभावशाली नेताओं से मिलकर अपने मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर विद्रोह की संभावना अधिक है, तो इससे वोटों का विभाजन हो सकता है और जीत का अंतर कम हो सकता है।
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