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महाराष्ट्र में CM का नाम फाइनल! केंद्रीय मंत्री ने 2 और 4 कदम पीछे हटने का क्यों दिया उदाहरण

महाराष्ट्र में सीएम चेहरे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा बीजेपी आलाकमान ने फैसला किया है कि देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया जाए लेकिन एकनाथ शिंदे नाखुश हैं और उनके नाराजगी दूर करने की जरूरत है...बीजेपी के पास इतनी सीटें हैं कि बीजेपी भी नहीं मानेगी। मुझे लगता है कि एकनाथ शिंदे को 2 कदम पीछे हट जाना चाहिए।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Tue, 26 Nov 2024 01:46 PM (IST)
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महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चुनने पर आया बयान
एएनआई, नई दिल्ली:  महाराष्ट्र में बंपर सीटें जीतने के बाद भी भाजपा नेतृत्व के लिए मुख्यमंत्री की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच सीएम चेहरे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का बयान सामने आया है।  आठवले ने कहा, ''महाराष्ट्र विवाद जल्द खत्म होना चाहिए...बीजेपी आलाकमान ने फैसला किया है कि देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया जाए लेकिन एकनाथ शिंदे नाखुश हैं। ''

केंद्रीय मंत्री ने देवेंद्र फडणवीस का उदाहरण देते हुए बताया कि एकनाथ शिंदे को 2 कदम पीछे हट जाना चाहिए, जैसे देवेन्द्र फडणवीस 4 कदम पीछे हट गए और उनके नेतृत्व में एकनाथ शिंदे को काम करना चाहिए। सीएम या कम से कम एक केंद्रीय मंत्री, पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बारे में जरूर सोचेंगे और कुछ फैसले जल्दी लेने चाहिए।

'हमें एकनाथ शिंदे के 57 विधायकों की जरूरत है'

रामदास आठवले ने आगे कहा, हमें एकनाथ शिंदे और उनके 57 विधायकों की बहुत जरूरत है... जल्दी समझौता होना चाहिए और कैबिनेट को चाहिए बड़े विश्वास के साथ विस्तार किया जाए। अठावले ने मांग की  उनकी पार्टी को भी कैबिनेट में एक मंत्री पद मिलना चाहिए। अठावले ने कहा कि मैंने ऐसी ही मांग देवेंद्र फडणवीस से की है।

सीएम फेस को लेकर क्या बोले संजय राउत?

महाराष्ट्र के सीएम चेहरे पर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि सीएम का फैसला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। एकनाथ शिंदे और अजीत पवार अपनी पार्टियों के लिए फैसले खुद नहीं ले सकते। 

राउत ने तंज कसते हुए कहा कि शिंदे और अजित पवार अमित शाह और पीएम मोदी के गुलाम हैं और बीजेपी की उप-कंपनियां हैं। फिलहाल बीजेपी के पास बहुमत है...वो बहुमत के लिए एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टियों को तोड़ सकते हैं। मेरे हिसाब से तो देवेंद्र फडणवीस ही सीएम होंगे।

मोदी-शाह का फैसला सर्वमान्य: शिंदे गुट

वहीं शिंदे गुट के नेता दीपक केसरकर ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और राज्यपाल ने नई सरकार बनने तक उन्हें कार्यवाहक सीएम नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि महायुति नेता एक साथ बैठेंगे और चर्चा करेंगे । सीएम पद पर रार की खबर को झूठा बताते हुए केसरकर ने कहा कि सीएम शिंदे ने स्पष्ट कर दिया है कि पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जो भी फैसला लेंगे, वह उन्हें स्वीकार्य होगा।

आसान नहीं महाराष्ट्र का सीएम तय करना

भाजपा नेतृत्व के लिए मुख्यमंत्री पद की गुत्थी सुलझाना आसान नहीं है। एक तरफ शरद पवार जैसे दिग्गज को मात देने वाले देवेंद्र फडणवीस हैं तो बाला साहब ठाकरे की शिवसेना के असली उत्तराधिकारी बनकर उभरे एकनाथ शिंदे के दावे को भी खारिज नहीं किया जा सकता। सबका सोच है कि जीत के पीछे लाड़ली बहना योजना है और इसे शिंदे से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा में कई नेता मानते हैं कि जीत में शिंदे का व्यक्तिगत असर रहा है। इस स्थिति में सीएम चेहरा तय करने में वक्त लग सकता है। यह मामला दो तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक खिंच सकता है।

अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों के बीच लगातार बात हो रही है। नई सरकार बनने तक शिंदे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे। ढाई साल पहले शिवसेना टूटने के समय देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन एक रणनीति के तहत केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद के लिए तैयार किया। यह रणनीति सफल रही और उद्धव गुट हाशिये पर आ गया। भले ही चुनाव के पहले शिंदे को अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में आधिकारिक रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया गया हो, लेकिन फड़नवीस बार-बार शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात करते रहे हैं।

भाजपा ने  उद्धव की मांग को ठुकराया

हालांकि शिंदे के दावे को खारिज करने के लिए 2014 और 2019 के तर्क दिए जा रहे हैं। लेकिन 2024 की स्थिति बिल्कुल अलग है। 2014 में शिवसेना और भाजपा अलग-अलग लड़ी थी। भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने पर शिवसेना ने फड़नवीस को मुख्यमंत्री के रूप में सहजता से स्वीकार कर लिया था। वहीं 2019 में भाजपा ने स्पष्ट रूप से फडणवीस को सीएम चेहरे के रूप में पेश किया था। इसी आधार पर भाजपा ने उद्धव की मुख्यमंत्री पद की मांग को ठुकरा दिया था।

एक सप्ताह तक खिंच सकता है यह मामला

दूसरी ओर 2019 में भाजपा की लोकसभा में 303 सीटें थीं और केंद्र में सरकार चलाने के लिए उसे किसी दल की जरूरत नहीं थी। वहीं 2024 में 240 सीटें के साथ भाजपा सहयोगी दलों पर निर्भर है। जाहिर है महाराष्ट्र में भाजपा को सरकार बनाने के लिए भले ही शिंदे की जरूरत नहीं हो, लेकिन लोकसभा में उसके आठ सांसदों की अहमियत से इन्कार नहीं किया जा सकता। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इन पहलुओं पर विचार करने के बाद ही मुख्यमंत्री का फैसला लेना होगा।

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