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Maharashtra Election: कभी रहा समाजवादियों का गढ़, अब दो 'सेनाओं' की लड़ाई; कोंकण में दिलचस्प होगा मुकाबला

Maharashtra Election 2024 कभी अपनी मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाने वाला कोंकण क्षेत्र आज दो शिवसेनाओं की लड़ाई को देख रहा है। शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में कोंकण क्षेत्र में दो शिवसेनाओं की रोचक लड़ाई देखने को मिलेगी। यहां शिवसेना (शिंदे) के दिग्गज नेताओं उदय सामंत और दीपक केसर जैसे बड़े नेताओं का सीधा मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) से होना है।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Sun, 27 Oct 2024 05:08 PM (IST)
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Maharashtra Election 2024 महाराष्ट्र में दिलचस्प होगा चुनाव।
ओमप्रकाश तिवारी, जेएनएन, मुंबई। Maharashtra Election 2024 कोंकण क्षेत्र कभी अपनी ‘मनीऑर्डर अर्थव्यवस्था’ के लिए जाना जाता था। क्योंकि यहां के लोग बड़ी संख्या में मुंबई में नौकरी करने जाते थे और वहां से अपने घरों को मनीऑर्डर भेजते थे।

कोंकण क्षेत्र में दो शिवसेनाओं की रोचक लड़ाई 

कोकणवासियों (Konkan election) का मुंबई से यही रिश्ता उन्हें राजनीतिक रूप से भी जोड़ता है और मुंबई की राजनीति कोंकण को प्रभावित करती है। यही कारण है कि शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में कोंकण क्षेत्र में दो शिवसेनाओं की रोचक लड़ाई देखने को मिलेगी।

गोवा से सटे महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले से लेकर मुंबई, ठाणे और पालघर तक पूरी समुद्री पट्टी कोंकण क्षेत्र के रूप में जानी जाती है। अरब सागर से सटा यह क्षेत्र हापुस आम और काजू उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।

समाजवादियों का गढ़ माना जाता था कोंकण

ये पूरा क्षेत्र चार दशक पहले तक समाजवादियों और वामदलों का गढ़ माना जाता था, लेकिन इन दलों के कमजोर होने के बाद जैसे-जैसे मुंबई में शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का रुतबा बढ़ता गया, कोंकण में शिवसेना की जड़ें भी मजबूत होती गईं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक के भरोसे मुंबई में तो अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही। लेकिन रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग, रायगढ़, ठाणे की दोनों सीटें और पालघर जैसे कोंकण के बाकी हिस्से गंवा बैठी है।

महाराष्ट्र को दिए पांच मुख्यमंत्री 

रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग में भाजपा के नारायण राणे एवं पालघर में भाजपा के ही डा.हेमंत सावरा जीते हैं, ठाणे की दो सीटें शिवसेना शिंदे गुट जीता है और रायगढ़ में राकांपा (अजित) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे जीते हैं। सिर्फ ठाणे की भिवंडी सीट पर राकांपा (शरदचंद्र पवार) को सफलता मिल सकी है। मुंबई- कोंकण क्षेत्र में 12 लोकसभा सीटें और 75 विधानसभा सीटें हैं। इन 75 सीटों में से 36 सीटें मुंबई में हैं।

इस पूरे क्षेत्र ने महाराष्ट्र को पांच मुख्यमंत्री दिए हैं। दिवंगत अब्दुल रहमान अंतुले, डॉ. मनोहर जोशी, नारायण राणे,  उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे। 2019 में गठबंधन करके लड़ी शिवसेना और भाजपा को पूरे कोंकण क्षेत्र में 75 में से कुल 56 सीटें मिली थीं।

2019 महाराष्ट्र विधानसभा

पार्टी   सीटें
शिवसेना  29
कांग्रेस  4
भाजपा  27
एनसीपी  6
बहुजन विकास अघाड़ी 3
समाजवादी पार्टी 2
मनसे 1
सीपीआई
निर्दलीय 2

‘ब्रांड राणे’ की लड़ाई उद्धव की शिवसेना से 

अब 2024 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना दोफाड़ हो चुकी है। दूसरी ओर कभी शिवसेना के ही मुख्यमंत्री रह चुके नारायण राणे अब सिंधुदुर्ग-रत्नागिरि से भाजपा के सांसद हैं। उनके छोटे पुत्र नीतेश राणे को भाजपा ने राणे की परंपरागत सीट कणकवली से विधानसभा का टिकट दिया है। पूर्व सांसद के बड़े बेटे नीलेश को भाजपा से टिकट नहीं मिल रहा था, तो उन्होंने सत्तारूढ़ महायुति के ही दूसरे दल शिवसेना (शिंदे) में शामिल होकर कुडाल विधानसभा सीट से उसका टिकट ले लिया है। यानी पूरे सिंधुदुर्ग-रत्नागिरि जिले में ‘ब्रांड राणे’ की लड़ाई उद्धव की शिवसेना से होनी है।

इस क्षेत्र की अन्य सीटों पर शिवसेना (शिंदे) के दिग्गज नेताओं उदय सामंत और दीपक केसर जैसे बड़े नेताओं का सीधा मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) से होना है। इन नेताओं को भी राणे का सहयोग हासिल होगा। क्योंकि अब अब उनका बेटा नीलेश भी शिवसेना (शिंदे) का उम्मीदवार है। ये गणित शिवसेना (यूबीटी) के पक्ष में तो बिल्कुल दिखाई नहीं देता।

शिवसेना (यूबीटी) के लिए राह आसान नहीं

इसी प्रकार रायगढ़ जिले में लोकसभा चुनाव राकांपा (अजित) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे जीते हैं। इस क्षेत्र में उनकी बेटी अदिति तटकरे के अलावा कुछ उम्मीदवार शिवसेना (शिंदे) के भी खड़े होंगे। यदि यहां सत्तारूढ़ महायुति आपस में सहयोग करके लड़ी, तो यहां भी शिवसेना (यूबीटी) के लिए राह आसान नहीं होगी। रायगढ़ से सटा ठाणे जिला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है।

दोनों शिवसेनाओं के बीच ही मुकाबला 

लोकसभा चुनाव में ठाणे की तीन में से दो सीटें शिंदे ने ही जीती हैं। लेकिन हाल ही में ठाणे के नई मुंबई में महायुति को थोड़ा झटका लगा है। वहां नई मुंबई भाजपा अध्यक्ष संदीप नाईक भाजपा छोड़कर राकांपा (शरदचंद्र पवार) में चले गए हैं। वहां भाजपा की वर्तमान विधायक मंदा म्हात्रे के विरुद्ध उन्हें टिकट भी मिल गया है। ठाणे और पालघर की कुल 24 विधानसभा सीटों पर महायुति और महाविकास आघाड़ी (मविआ) कांटे की टक्कर रहने की संभावना है। क्योंकि इनमें से कई सीटों पर दोनों शिवसेनाओं के बीच ही मुकाबला होना है।

जबकि, मुंबई महानगर की 36 में से अधिसंख्य सीटों पर भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से और शिवसेना (शिंदे) का मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) से होना है। मुंबई और ठाणे में ही राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसका नुकसान शिंदे और ठाकरे दोनों को हो सकता है।